कस्तूरबा गाँधी की जयंती पर विशेष
– रमेश चंद शर्मा (संकलनकर्ता)
11 अप्रैल 1869
पोरबंदर में जन्म, श्री गोकल दास और बृजकुंवरबा की पुत्री।
1876
कस्तूर और मोहनदास की सगाई हुई।
1882
13 साल की आयु में विवाह हुआ।
1885
समय से पूर्व जन्मे बच्चे की मृत्यु।
1888
दूसरे बच्चे हरिलाल का जन्म।
1892
तीसरे बच्चे मणिलाल का जन्म।
30 अक्टूबर 1896
मोहनदास, कस्तूरबा, हरिलाल, मणिलाल और मोहनदास की विधवा बहन के पुत्र गोकलदास बम्बई से डरबन, दक्षिण अफ्रीका के लिए समुद्र मार्ग से रवाना।
19 दिसंबर 1896
जहाज डरबन पहुंचा।
13 जनवरी 1897
डरबन में प्रवेश की अनुमति मिली। मोहनदास को गोरे लोगों ने पीटा।
मई 1898
चौथे पुत्र रामदास का जन्म।
23 मई 1900
पांचवें पुत्र देवदास का जन्म।
अक्टूबर 1901
भारत लौटने का निर्णय।
दिसम्बर 1901
भारत वापसी।
नवम्बर 1902
मोहनदास को भारतीय समुदाय ने फिर दक्षिण अफ्रीका बुलाया।
जनवरी 1903
हरिलाल की 14 वर्ष में सगाई।
1904
कस्तूरबा तीन छोटे बेटों को लेकर जोहानिसबर्ग,( ट्रांसवाल) दक्षिण अफ्रीका गई।
1906
ब्रह्मचर्य का व्रत लिया मोहनदास ने।
10 अप्रैल 1908
हरिलाल और गुलाब की पुत्री रामी का जन्म, प्रथम पौत्री।
1908
कस्तूरबा बीमार, रोगग्रस्त।
23 सितम्बर 1913
कस्तूरबा की प्रथम जेल यात्रा, मैरित्सबर्ग जेल में। तीन माह का सश्रम कारावास।
22 दिसंबर 1913
मोहनदास ने जेल के बाहर कस्तूरबा का स्वागत किया।
18 जुलाई 1914
मोहनदास और कस्तूरबा समुद्री जहाज से इंग्लैंड के लिए रवाना।
6 अगस्त 1914
इंग्लैंड पहुंचे।
9 जनवरी 1915
मोहनदास और कस्तूरबा का बम्बई पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ।
1917
कस्तूरबा, देवदास चम्पारण आए।
1918
कस्तूरबा ने चम्पारण छोड़ा।
23 मार्च 1922
कस्तूरबा का देश के नाम अनुरोध ‘यंग इंडिया’ में प्रकाशित हुआ।
1932
कस्तूरबा को 6 सप्ताह साबरमती जेल में रखा, भारत में कस्तूरबा की पहली जेल यात्रा। दो माह के लिए फिर से साबरमती जेल में बंद कर दिया गया।
20 सितम्बर 1932
कम्यूनल अवार्ड पर बापू का आमरण अनशन, बा को जेल में रहने की इजाजत मिली।
26 सितम्बर 1932
यरवदा समझौते के कारण कस्तूरबा ने गांधी जी को फलों का रस देकर उपवास खुलवाया।
3 दिसंबर 1932
कस्तूरबा ने मद्रास में अस्पृश्यता विरोधी सम्मेलन का शुभारंभ कर, हरिजनों के अधिकारों की वकालत करने प्रांत का दौरा किया।
फरवरी 1933
सविनय अवज्ञा के लिए फिर से जेल भेजा और यह क्रम ही जारी हो गया। दो वर्षों में बा को छठी बार गिरफ्तार कर 6 माह के लिए साबरमती जेल भेज दिया गया। जेल में उनसे मिलने की किसी को भी इजाजत नहीं थी।
16 जून 1933
देवदास गांधी और लक्ष्मी का विवाह हुआ।
1934
कस्तूरबा को मई में जेल से रिहा किया।जून में बा बापू पूना एक सभा में भाषण देने कार से जा रहे थे, बम फेंका गया, जो पिछली कार पर गिरा जिसमें सात लोग घायल हो गए। बा दो वर्ष तक तीर्थ यात्रा, रचनात्मक और ग्राम विकास के अभियान पर रही।
1936
बा ने हरिलाल के इस्लाम धर्म कबूल करने पर हरिलाल और समाचार पत्रों को पत्र लिखे।
दिसम्बर 1936
तीन वर्ष के भ्रमण के बाद बा अपनी पौत्री मनु के साथ सेगांव में मिट्टी की एक झोपड़ी में रहने लगी, यही बाद में सेवाग्राम आश्रम कहलाया।
1938
बा उड़ीसा के पुरी के जगन्नाथ मंदिर में गई, जहां हरिजनों का प्रवेश निषेध था, इससे बापू बहुत नाराज़ हुए। यह अंतिम बार था जब बा बापू के कटीले मार्ग से विचलित हुई।
3 फरवरी 1939
बा मृदुला साराभाई के साथ राजकोट सत्याग्रह के समय वहां गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सात दिन एकांत में अंधेरे कमरे में रखा गया, इसके बाद मणीबेन और मृदुला को साथ रहने की अनुमति दी गई।
27 फरवरी 1939
गांधी जी भी राजकोट पहुंच गए।
3 मार्च 1939
गांधी जी ने आमरण उपवास का निर्णय किया, बा ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह सत्याग्रह के सिद्धांतों के खिलाफ था।
5 मार्च 1939
कस्तूरबा को रिहा कर दिया गया और उन्हें गांधी जी की शैय्या तक ले गए। मणीबेन और मृदुला को रिहा नहीं किया था इसलिए कस्तूरबा वापसी कैदखाने में चली गई। दूसरे दिन तीनों को रिहा कर दिया गया।
7 मार्च 1939
समझौता हुआ और राजकोट सत्याग्रह समाप्त हुआ। सेवाग्राम लौटकर बा को खांसी, जुकाम, मलेरिया हो गया, उन्हें देवदास के साथ दिल्ली में सुशीला नैयर के होस्टल में रखा, जहां उन्हें दमा जनित निमोनिया हो गया जिससे देवदास के घर सघन सावधानी से देखभाल में रखा गया, स्वास्थ्य लाभ हुआ। बा ने बापू के साथ उत्तर पश्चिम प्रांत (सीमांत प्रांत) का हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए दौरा किया और पूरी तरह स्वस्थ हो गई।
9 अगस्त 1942
कस्तूरबा ने शिवाजी पार्क में एक लाख लोगों को संबोधित किया और सुशीला नैयर के साथ गिरफ्तार कर आर्थर रोड कैदखाने में डाल दिया। बा ने कहा कि ‘मुझे महसूस हो रहा है कि मैं अब जेल से जिन्दा वापस नहीं निकल पाऊंगी।’ उस रात दस्तों का प्रचंड दौरा पड़ा और वहां कोई दवा नहीं थी।
10 अगस्त 1942
मध्य रात्रि के बाद इन्हें आगा खां पैलेस, पूणे स्थानांतरित कर दिया गया जहां गांधी जी कैद थे।
14 अगस्त 1942
अचानक महादेव भाई देसाई मूर्छित हो गए और उनका प्राणांत हो गया। इन्होंने पच्चीस वर्षों तक अति आवश्यक सहयोगी विश्वास पात्र के रूप में गांधी जी की अथक सेवा की।
10 फरवरी 1943
बा की अनुमति प्राप्त कर बापू ने तीन सप्ताह का उपवास शुरू कर दिया।
3 मार्च 1942
बा ने बापू को संतरे के रस का गिलास देकर उपवास पूरा किया। बा इस दौरान केवल दो समय फल और दूध ही लेती थी, वो भी बापू के आग्रह के कारण, जिससे बापू की सेवा कर सके।
16 मार्च 1942
बा को सांस का दौरा पड़ा और स्वास्थ्य क्षीण हो गया। धीरे धीरे स्वस्थ हुई। उन्होंने टेबल टेनिस, बैडमिंटन और कैरमबोर्ड जैसे खेलों में रुचि लेनी प्रारंभ की।
2 अक्टूबर 1943
बापू के जन्म दिवस पर, बापू द्वारा काते सूत से बनी लाल किनारे वाली साड़ी सेवाग्राम से मंगवाकर पहनी। उनकी इच्छा थी कि जब उनकी मृत्यु हो तो वह यह ही साड़ी पहने हो।
1944 जनवरी
कस्तूरबा को दो हार्ट अटैक हुए। फरवरी के दूसरे सप्ताह में दुबारा बीमार हुई।
17 फरवरी 1944
बा हरिलाल से मिलना चाहती थी इसलिए बापू ने उसे खोजा।
21 फरवरी 1944
दुबारा हरिलाल बा से मिले, नशे की हालत में, बा बहुत दुखी हुई।
22 फरवरी 1944
Congratulations. Thanks.
Ramesh Chand Sharma