कल दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसान गलतान सिंह की मौत हो गयी थी। उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देते भारतीय किसान यूनियन के सदस्य।
“किसान आंदोलन में 47 किसानों की जान जा चुकी है”
नयी दिल्ली: जहां एक ओर आंदोलनकारी संयुक्त किसान मोर्चा ने आगामी 4 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली वार्ता के मद्देनज़र अपने अधिकतर कार्यक्रमों को विराम दिया है, वहीं मोर्चा की एक घटक, भारतीय किसान संघ ने गन्ने के मूल्य को लेकर लखनऊ में 10 जनवरी से एक नए आंदोलन की चेतावनी दी और साथ ही कहा कि यदि केंद्र सरकार 4 तारीख को फैसला टालती है तो पिछले 38 दिनों से जारी किसानों के आंदोलन को और तेज बनाया जायेगा।
आज भारतीय किसान संघ के एक सदस्य कश्मीर सिंह की आत्महत्या से आहत हो कर संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा ना ले।कश्मीर सिंह, जो उत्तर प्रदेश के रामपुर जिला से थे, अपने हस्तलिखित सुसाइड नोट में, जो पंजाबी में है, लिखा कि एक तरफ जहां इस आंदोलन में पंजाब से 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी, वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से एक भी किसान ने तीनों कृषि क़ानून को सरकार द्वारा वापिस लेने पर दबाव बनाने के लिए अपना प्राण नहीं त्यागा। “सो दास अपने शरीर के जीवन को तीनों कानूनों के लिए लगा रहा है,” कश्मीर सिंह ने अपने सुसाइड नोट में लिखा।
इससे पहले कल दिल्ली से सटे ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी बागपत जिला के एक 57 वर्षीय किसान, गलतान सिंह, की आकस्मिक मौत हो गयी थी।
“आंदोलन में 47 किसानों की जान जा चुकी है एक सरकार है कि शर्म आती नही। सरकार 4 जनवरी की बैठक में न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाये व तीनो बिल वापस ले अन्यथा अब आंदोलन को तेज किया जाएगा,” टिकैत ने कहा।
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अभी सरकार से बातचीत होने तक किसान नेताओं ने अन्य विरोध प्रदर्शनों को विराम देते हुए घोषणा की थी कि फिलहाल मोर्चा सिर्फ अडानी और अंबानी के उत्पादों और सेवाओं का बहिष्कार जारी रखेगा, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगियों को एनडीए छोड़ने और भारतीय जनता पार्टी के साथ साझेदारी छोड़ने के लिए प्रदर्शन जारी रखेगा, और पंजाब और हरियाणा में टोल प्लाजा को टोल-फ्री रखेगा।हालांकि किसान अभी भी धरने पर बैठे हैं और साथ ही देश भर में कई जगहों पर कई राज्यों में अनिश्चितकालीन धरने शुरू किए गए हैं। वर्धा में “पक्का मोर्चा” 19 वें दिन में प्रवेश किया जबकि किसानों से केरल विधानसभा में किसान आंदोलन के समर्थन में पारित प्रस्ताव की भी सराहना की।
टिकैत ने आज उत्तर प्रदेश सरकार जल्द से जल्द गन्ने का मूल्य घोषित करने की मांग करते हुए राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अब गन्ना पर्ची पर मूल्य 000 लिखने से काम नही चलेगा बल्कि सरकार एक सप्ताह में गन्ना मूल्य करे।”कोई उत्पाद ऐसा नही जिसका बिकने के बाद मूल्य तय हो। उन्होंने राज्य सरकार पर प्रदेश में गन्ना किसानों की लूट के प्रति संवेदनहीन होने का आरोप लगाया और कहा कि वहां सरकार मिल मालिकों के पक्ष में खड़ी है। “अब गन्ना किसानों पर जुल्म बर्दाश्त नही होगा। आज भी 4 हजार करोड़ गन्ना किसानों का बकाया है। गन्ना किसानों पर जुल्म की इंतहा हो चुकी है। उत्तर प्रदेश सरकार धान व गन्ना किसानों का समाधान करें अन्यथा 10 जनवरी के बाद लखनऊ विधानसभा पर भी किसान अनिश्चितकालीन घेराव करेंगे। अब करो या मरो के साथ किसान आन्दोलन को आगे चलाएगी,” टिकैत ने कहा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो