श्रद्धांजलि
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
एस. एन. सुब्बाराव के जाने से विश्व की अपूर्ण क्षति हुई है
भाई जी दुनिया में ऐसे जीवंत विरासत के स्तंभ थे, जो बापू के मूल्यों पर जीते थे और दुनिया भर के युवाओं को बापू जी के सिद्धांतों के प्रति प्रेरणादायी संवाद के साथ जोड़ते थे। उनका दर्शन व उनसे बातचीत करके, दुनिया का कोई भी युवा गांधी के सिद्धांतों की तरफ प्रेरित हो जाता था।
हमें 21वीं शताब्दी में बापू के जीवन मूल्यों, सिद्धांतों, सादगी को प्रतिष्ठित बनाए रखने का काम भाई जी कर रहे थे। आज अचानक ही सुबह 6 बज कर 40 मिनिट पर जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में हृदय गति रुकने से उनकी आत्मिक ऊर्जा शरीर से अलग हो गई है, पर उनकी ऊर्जा हम युवाओं को सदैव ऊर्जावान बनाकर रखेगी।
बापू के रास्ते पर चलना दुधारी तलवार की तरह है, पर भाई जी ने उस कठिन रास्ते को अपने जीवन भर चल कर, युवाओं के लिए सरल, सीधा, सहज , सद्भावनापूर्ण, समता, सादगी, आसानी से जीने का कौशल हमें दिया, वो हम बनाकर रखेंगे।
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हम जानते हैं कि प्रत्यक्ष शरीर का दर्शन करके, हमारी अंतरात्मा, प्रेरित होकर, उसका एहसास करती है। हमे आभास होता है , उनके मूल्यों, सिद्धांतों का जिनके बारे में उन्होंने बोला था, इसलिए यह बात जरूर है कि उनके जाने से विश्व की अपूर्ण क्षति हुई है लेकिन उनकी सादगी , सरलता और सहजता की ऊर्जा हमे हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
मैं जानता हूं कि, वो 94 वर्ष के ऐसे युवा थे, कि जब मैं इसी 10 अक्टूबर 2021 को ही विरासत स्वराज यात्रा में गया था। उस दिन वो बड़े आनंदित थे, उन्होंने कंधे पर हाथ रख कर, सहेजकर कहा कि, “राजेंद्र लगे रहो” और मुस्कुराकर अपनी आत्मिक ऊर्जा मुझे दी।
भाई जी सदैव सहज बने रहते थे और सहजता से अपने गीतों, वचनों से , अपने व्यवहार, सदाचार से प्रेरित करते रहते थे। अब यह प्रेरणा स्त्रोत उनके विचार, उनकी विरासत है। बापू की विरासत को उन्होंने अब तक बहुत गहराई से बनाए रखने में दुनिया को योगदान दिया है। अब भाई जी की विरासत हम सब युवाओं को प्रेरित करती रहेगी और उनकी विरासत , स्थान, वचन, जीवन जीने का तरीका भी प्रेरित करते रहेंगे। हम उनके बनाए रास्ते पर चलते रहेंगे, ये हम लोगो को जीवन भर के लिए तय करने की जरूरत है। भाई जी बड़ी से बड़ी समस्या का संवाद , प्यार से निवारण करते थे। वे सहजता और सरलता से समस्याओं का सामना करने की शिक्षा देते थे। वे कठिन से कठिन सवाल पर अपनी मुस्कान के साथ समाधान बताते थे। उनके समाधान बताने का तरीका, बहुत ही सरल था। जिस प्रकार बापू की ऊंचाईयों को भाई जी ने और अधिक ऊंचा किया है। सिद्धांतों, आदर्शों की ऊंचाइयों को ऊंचा किया, लेकिन जीवन में जीने के लिए सरल बनाया। इसलिए भाई जी इस दुनिया के लिए सबसे प्रेरिक इंसान थे।
भाई जी की जीवन यात्रा इस दुनिया की विरासत है। आज तक वो जीवंत प्रेरणा देती थी, अब उनका जीवन संदेश युवाओं को प्रेरणा बनेगा। मैं समझता हूं कि बापू से जिन लाखों, करोड़ों युवाओं को अपने जीवन में सीखा ,जाना , समझा है , जिसने जीवन, जीविका और जमीर के साथ जीवन जिया है। जो बापू के जीवन संदेश से प्रभावित है, वैसे ही भाई जी के जीवन से भी प्रभावित हैं। भाई जी बापू के जीवन संदेश को आज तक में अपने जीवन जीते रहे। अब हम सभी को भाई जी के जीवन भर की यात्रा संदेश से , कामों से प्रेरणा लेने का वक्त आ गया है।
हम उनके जीवन काल से प्रेरित होते रहे है, अभी भी हम उनसे उसी तरह से प्रेरित रहेंगे। उनकी प्रेरणा हमें हमेशा इसी तरह प्रेरित रहेगी। हम उनकी विरासत को जीवंत जीयेंगे।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं।