स्मार्ट सिटी धर्मशाला
प्रथम दृष्टया
– लता
धर्मशाला: हिमाचल में कई सारे अच्छे विश्वविद्यालय विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित तो कर रहे हैं, पर बाहर से आने वाले विद्यार्थियों और कामकाजी महिलाओं के रहने की व्यवस्था नाकाफी होने की वजह से खास कर छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसी सन्दर्भ में अभी जो घटना धर्मशाला में हुई है और जिसकी मैं खुद भुक्तभोगी रही हूँ वह काफी चिंताजनक और शर्मसार करने वाली है। धर्मशाला यूं तो एक स्मार्ट सिटी बन रहा है और यहां के विश्वविद्यालय में मेरे जैसे ऐसे कई छात्र छात्राएं दूर दराज क्षेत्र से पढ़ने आये हैं । हॉस्टल में जगह की कमी की वजह से हम जैसी छात्राओं को धोखे से लड़कों के लिए बने निजी छात्रावासों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई बार तो निजी छात्रावास के मालिक लड़कियों को बताते तक नहीं कि उनके छात्रावास में लड़के भी रह रहे हैं और बड़ी चालाकी से इस बात को छिपा जाते हैं।
ऐसे ही एक धोखेबाज पेइंग गेस्ट सुविधा (पीजी) में मालकिन के लालच की शिकार मैं खुद भी बन गयी। जब सारी फीस भरने के बाद जब मैं एक पी जी में दाखिल हुई – यह पी जी भी बहुत मशक्कत के बाद मिला था क्योंकि विश्वविद्यालय के आस पास और कोई जगह रहने को नहीं मिल रही थी – तो हैरान रह गयी कि निचले माले में सिर्फ लड़के ही रह रहे थे।
इस पीजी के विज्ञापन में इस बात का कोई भी जिक्र नहीं था कि वहां लड़के रहते हैं और क्योंकि हम धर्मशाला के बाहर से आ रहे थे मैंने उनके विज्ञापन पर विश्वास कर लिया और क्योंकि मुझे रहने के लिए तुरंत ही एक जगह की ज़रुरत थी, उसकी बुकिंग कर ऑनलाइन पेमेंट भी कर डाला। पीजी पहुँच पहला झटका तब लगा जब मैंने वहां लगे बोर्ड को देखा जिसमें लिखा था वह सिर्फ लड़कों के लिए है। पूछने पर पी जी की मालकिन ने कहा कि ऊपर के माले में सिर्फ लड़कियां ही रहती हैं और मैंने उनकी बात पर विश्वास भी कर लिया। पी जी की मालकिन ने आश्वासन दिया कि लड़के सिर्फ नीचे ही रहेंगे। पर ऐसा नहीं होने वाला था।
हॉस्टल की मालकिन ने पहले तो लड़कों को निचले माले पर रखा पर फिर लगभग दो महीने के बाद ही ऊपर जिस माले में हम लड़कियां रह रहीं थीं, उसी में लड़कों को भी कमरे दे दिया। इस छात्रावास में तीन कमरे थे इनमें से दो कमरों में चार लड़कियां रहती थी और एक खाली कमरे में लड़कों को रख दिया गया। गौर तलब है कि उस माले में लड़कों के लिए अलग से कोई शौच एवं स्नान की अलग से कोई व्यवस्था नहीं थी। एक बार तो हमें लगा कि क्या हम पश्चिमी सभ्यता में पहुँच गए हैं। परन्तु वहां भी लड़के लड़कियों के निजता का ख्याल रखा जाता है। हॉस्टल की मालकिन को हमारी इस परेशानी से कोई फर्क नहीं पड़ा था और पैसे के लालच में वो तो हमें हॉस्टल से बाहर निकालने के बहाने ही ढूंढ रही थी।
सही में यहां तो हमारे पास बस यही एक विकल्प बचा था कि हम तत्काल प्रभाव से इस छात्रावास को छोड़ कहीं और चले जाएँ। परन्तु यहां सिर्फ एक परेशानी ही नहीं थी। कुछ दिन पहले ही कई लड़कियों ने अग्रिम महीने का किराया दे दिया था। उस समय भी पीजी की मालकिन ने लड़कों को लड़कियों के साथ रखने वाली बात का ज़िक्र तक नहीं करा और पैसे भी रख लिए।
मकान मालकिन की लालच की वजह से उसके इस एक फैसले से सभी लड़कियों को जो इतनी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा इसका अंदाजा लगाना भी कठिन है। बात न बढ़ने के डर से सभी लड़कियों ने पुलिस के पास जाने से भी मना कर दिया। हमने फिर उसी रात दूसरे दोस्तों की मदद से लड़कियों का छात्रावास ढूंढा और सुबह उसमें शिफ्ट करने का फैसला लिया। छात्रावास छोड़ने के समय पीजी की मालकिन ने बेरुखी से बस यह कहा कि कहा की वह पैसे वापस कर देंगी पर अभी तक उन्होंने किसी का एक भी रुपया वापस नहीं किया। ऐसी स्थिति में हम लड़कियों की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा।
जहां तक मेरा सवाल है मैंने अपने घरवालों को इस बारे में कुछ नहीं बताया क्योंकि उन्हें बेवजह परेशानी का सामना करना पड़ता। अभी हमें यह भी समझ नहीं आ रहा कि घरवालों को कैसे बताए की लड़के वहां रह रहे थे। इस छात्रावास के नाम का जिक्र भी मैं नही कर पा रही हूं क्योंकि उन्होंने फीस की कोई रसीद हमें नहीं दी थी और उसे देने में टालमटोल कर रही थी।
गौरतलब है कि इस पीजी में मैं ही एक अकेली छात्रा थी और बाकी सभी कामकाजी महिलाएं थीं । कामकाजी महिलाओं को तो परेशानी का सामना करना ही पड़ा परंतु मेरे जैसी छात्रा के लिए तो यह बहुत ही भयभीत करने वाला अनुभव था। चूंकि यह पीजी कॉलेज के नज़दीक में ही है तो मुझे उनकी शिकायत करने में इस बात का भय हो रहा है कि कॉलेज के अधिकारियों और इनके बीच कोई सांठ गांठ तो नहीं है और इनकी शिकायत करने पर शायद यह मुझ पर ही भारी नहीं पड़ जाए। फिलहाल मैं इस मामले को कॉलेज के स्टूडेंट यूनियन और महिला सशक्तिकरण दल के सामने रखने की कोशिश कर रही हूं पर और कोरोना के डर से और परीक्षा सामने होने की वजह से यह आसान नहीं है। यह और भी मुश्किल इसलिए भी है क्योंकि कोरोना की वजह से हिमाचल के सारे शैक्षणिक संस्थान 26 जनवरी, 2022 तक बंद कर दिए गए हैं। मुझे पूरा विश्वास है इस लेख के माध्यम से लोगों में जरूर एक चेतना जागेगी तथा हमारी विश्विद्यालय के अधिकारी गण भी इस पर सुनवाई करेंगे।
पीजी से निकलने के कुछ दिन बाद किसी जानने वाले से सुनने में आया कि पीजी की मालकिन ने उन्हें कहा कि, “वो लड़कियां नाइट आऊट पर घूमने जाती थी, लड़कों के साथ इसलिए उन्होंने रूम छोड़ा। हमनें उन्हें नहीं निकाला।” इस बात को लेकर कई बार लड़कियों के फोन करने के बाद भी उन्होंने किसी का फोन नही उठाया।