पुस्तक समीक्षा: कामयाबी के मार्ग
लेखक: प्रशांत सिन्हा
प्रकाशक: आंचल प्रकाशन, नई दिल्ली
कोविड _19 महामारी के उस लंबे दौर में अनेक अप्रत्याशित कारणों से बड़ी संख्या में हर उम्र के लोग हैरान परेशान चिंतित और तनावग्रस्त है। शारीरिक दूरियां, नकारात्मक खबरें, अर्थिक तंगी और ऐसी अनेक बातों से जीवन बहुत दुष्प्रभावित हुआ है।
कोरोना महामारी के कारण देश में बढ़ी नकारात्मकता के बीच ग्लोबल बिहारी के स्तंभकार एवं लेखक प्रशांत सिन्हा की पुस्तक ” कामयाबी के मार्ग ” सराहनीय ढंग से सामने आई है। आंचल प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक नकारात्मक माहौल में लोगों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा देती है।
यह पुस्तक युवा पीढ़ी के लिए कामयाबी के सूत्र प्रस्तुत करती है। लेखक ने जीवन में आत्मविश्वास को हमेशा बनाए रखने पर जोर दिया है। इसमें बताया गया है कि जिसे स्वयं पर विश्वास नहीं है वह व्यक्ति कभी कामयाब नहीं हो सकता। यदि हमें स्वयं पर विश्वास है कि मैं यह काम कर सकता हूं तो यह काम जरूर पूरा होगा। लेखक का मानना है कि जब हमें किसी काम में कामयाबी नहीं मिलती या सोचा हुआ काम नही होता तो कुछ पल के लिए नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है। ऐसा सभी के साथ होता है। लेकिन नकारात्मक विचार को को स्वयं पर हावी नहीं होने दें।
बड़े लक्ष्य के साथ छोटे लक्ष्य भी तय करने के लिए पुस्तक में जिक्र है। इसके साथ कामयाब लोगों की जीवनी के बारे में बताया गया है जिससे पाठक को प्रेरणा मिले। कामयाब लोगों की जीवनी और विचार नियमित रूप से पढ़ते रहने की आदत डालने पर जोर दिया गया है।
युवा पीढ़ी के लिए यह पुस्तक बहुत सहायक होगी। लोगों में इस पुस्तक पर बहुत चर्चा हो रही है।
आत्म विकास के लिए प्रेरणादायक किताबें प्रचुर मात्रा में दुकानों में मौजूद है। कुछ पाठक पढ़ने के बाद असहज हो सकता है क्योंकि ऐसा लगता है कि किसी के जीवन की समस्या हल हो सकती है पर ऐसा नहीं है। अगर धीरे धीरे अभ्यास किया जाता है तो संभव है क्योंकि जीवन की परिस्थितियां बदलने के लिए आत्मबल की जरुरत होती है। इसलिए पुस्तक को ध्यान से सोच समझ कर पढ़ने की आवश्यकता है। पुस्तक में विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास कैसे बरकरार रखें इस बात पर ख़ास जोर दिया गया है। यही इस पुस्तक की खासियत है।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो
Very encouraging and motivational