लड़ाई अभी भी अधूरी है: संयुक्त किसान मोर्चा
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को आज प्रकाश पर्व के दिन वापस लेने की घोषणा की और कहा कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। साथ ही उन्होंने तीनों कानूनों को लाने के सरकार के निर्णय को भी सही बताया और कहा कि यह तीनों क़ानून किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए “पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से” लाये गए थे। उन्होंने इस बात के लिए देश से क्षमा मांगी कि “इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए”।
प्रधान मंत्री की घोषणा के बाद आंदोलनकारी संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने एक बैठक कर कहा कि उनकी लड़ाई अभी भी अधूरी है। संयुक्त किसान मोर्चा के घटक दल भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि किसानों की लड़ाई तभी पूरी होगी जब सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सी 2+50% के साथ की मांग को पूरा करेगी।
साथ ही उन्होंने कहा कि इस लम्बे चले आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की शहादत हुई जिसका कारण सरकार और प्रधानमंत्री जी का अहंकार था और आज यह साबित हो गया जब केवल उनके मान लेने से कानून वापस होंगे।
“देश के किसानों की सामूहिक एकजुटता, त्याग और संघर्ष की बदौलत यह पहली जीत मिली है…हम सब संयुक्त किसान मोर्चा में बैठक कर आगे का सामूहिक निर्णय लेंगे। इसके लड़ाई में किसानों ने बहुत आलोचना सही है। आन्दोलनजीवी से खालिस्तानी तक कहा गया लेकिन किसानों ने धैर्य नही खोया,” उन्होंने कहा।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक का बयान यहां देखें:
आपको बता दें कि तीनों नए कृषि कानूनों को सितंबर 17, 2020 को लोकसभा के मंजूरी दी थी और देश के राष्ट्रपति ने सितंबर 27, 2020 को इन पर दस्तखत किए थे। इस ऐलान के बाद से ही किसान संगठनों ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर इसका विरोध किया। ये तीनों कृषि क़ानून थे :
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020
- कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
- आवश्यक वस्तु विधेयक 2020
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– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो