विरासत स्वराज यात्रा 2022
हबीब (इजिप्ट): आज 10 नवंबर 2022 को हमारी विरासत स्वराज यात्रा हबीब से सेंट केथरीन के लिए रवाना हुई जहाँ एक सूखी नदी है। उसे पुर्नजीवित करने हेतु इस यात्रा का आयोजन किया था। सिनाई पर्वत के ऊंट दुनिया के सबसे मजबूत ऊंट होते है। यह बहुत बड़े नही होते, लेकिन ताकतवर होते है।
सेंट केथरिन में अनेक प्राकृतिक कला कृतियां बनी हुई हैं । यह भारत के दक्षिण के मंदिरों की तरह यह समान आकृति की है। पर हमारी इस 150 किलोमीटर की यात्रा में एक भी पेड़ दिखाई नहीं दिया। पूरा रेतीले पत्थरों का रेगिस्तान है। सरकार ने यहां पानी रोकने के लिए मिट्टी के कुछ बांध और तालाब बनाएं है। यहां के पहाड़ में छः तरह के पत्थर है और पहाड़ बिल्कुल नग्न है।
सिनाई पर्वत पर जो काम यहां के साथियों और सुखाड़ -बाढ़ विश्व जन आयोग ने शुरू करवाया है, वहीं पर पानी की प्रार्थना की और ओम के उद्घोष के साथ सभी ने सद्भावना शांति केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया। यहां के हुसैन जल के संरक्षण के लिए काम की तैयारी कर रहे हैं और कुछ काम पूर्ण किए है।इसके उपरांत यहां पर हमने साथ मिलकर जल संरचनाओं का चिन्हीकरण और भूमि पूजन किया। सभी लोगों ने इस बात पर अपनी खुशी साझा की।
यहां पर बनी एक जल संरचना जो स्टीव फ्लो में अर्द्ध चंद्राकर बनाई गई थी, वहां मैंने सुझाव दिया कि यहां उभय चंद्राकर की संरचना बनानी होगी, नहीं तो यह टूट जायेगी। आगे मैंने जल संरचनाओं के चिन्हीकरण की प्रक्रिया यहां के लोगो को समझाई और अपने अनुभव रखे।
देर रात हमारी यात्रा कॉप-27 में भाग लेने शर्म अल शेख पहुंचेगी। अभी तक के हुए 27 कॉप सम्मेलन में से मैंने 9 कॉप सम्मेलन में हिस्सा लिया है। अभी तक कॉप में अपने ही निर्णयों की अनुपालना नहीं हो रही है। यह कॉप सम्मेलन अब बहुत उपयोगी नहीं रहा, क्योंकि यह सरकारों पर दबाव डालकर पालना नहीं करवा पा रहा। इसलिए सभी देश अपनी मनमर्जी करने लगे हैं। पहले थर्मल पॉवर, कोयले से बिजली बनाने पर बिल्कुल रोक लगा दी गई थी। लेकिन इस साल से फिर से बहुत सारे कोयले से बिजली बनाने का काम कई यूरोप के देशों में भी शुरू हो गया है। इससे ऐसा लगता है कि, अब इस तरह के कॉप की जरूरत नहीं बची है।
कॉप-27 में जल को मुख्य बिंदु होना चाहिए
कॉप का बजट बढ़ रहा है लेकिन पानी पर नहीं है। जल को मुख्य बिंदु पर लेकर आना चाहिए। पानी पर्यावरण को ठीक करने का काम ही हरियाली बढ़ाने , सांस्कृतिक और मानवीय व्यवहार को बदलने का काम कर सकता है। 21 वीं शताब्दी में जो मानवीय व्यवहार प्रकृति के विपरीत जा रहा है। यह प्रकृति और मानवता बीच में दूरियां बढ़ाकर, शोषण, प्रदूषण और अतिक्रमण बढ़ा रहा है। इसको रोकने व कम करने के लिए मानवीय व्यवहार को बदलने की जरूरत है। जब यह मानवीय व्यवहार बदल जाएगा तो फिर लोग लाभ के स्थान पर शुभ लिए काम करने लगेंगे। आज हमें लाभ नहीं , शुभ चाहिए।अब सामुदायिक विकेंद्रित निर्णयों से ही दुनिया की तस्वीर बदली जा सकती है। क्योंकि जलवायु परिवर्तन दुनिया की बड़ी समस्या है लेकिन समस्या का निवारण स्थानीय समाधान ही है।जैसे – राजस्थान क्षेत्र में हुआ है। इसलिए पूरी दुनिया को जलवायु परिवर्तन के संकट से मुक्ति के लिए स्थानीय विकेंद्रित व्यवस्था को ठीक करना होगा।
*लेखक स्टॉकहोल्म वाटर प्राइज से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।