दिल्ली/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हाल के लोकसभा चुनाव के परिणाम से बैक फुट में आई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली से लेकर लखनऊ तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शीर्ष पदाअधिकारियों के साथ हुई मंथन बैठकों के बाद अब “कील कांटे” हटाकर डैमेज कंट्रोल की रणनीति बन गयी है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) के फार्मूला को वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में मात देने की रणनीत बनाई है तथा इसके अंतर्गत पीडीए की काट के लिए दलित ओबीसी तथा कुछ सामान्य, सभी मिलाकर लगभग एक सैकड़ा नेताओं को निगमों आयोगों बोर्डों का चेयरमैन व अध्यक्ष बनाया जा सकता है। भाजपा और संघ के नेतृत्व यह मान रहे हैं कि 100 में से 70 पदों में पिछड़ों एवं दलित नेताओं को वरीयता देकर प्रमुख पद देने से उत्तर प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है।
ज्ञात हो कि इस वर्ष हुए लोक सभा चुनाव से पहले जब विपक्षी पार्टियों ने इंडिया गठबंधन बनाया और समाजवादी पार्टी उसकी सहयोगी दल बना तब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दलित और पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए और अपना नया वोट बैंक बनाने के लिए पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक की गोलबंदी का नारा दिया जिससे उन्हें वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में 37 सीटों में जीत हासिल हुयी
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को मंत्रिमंडल से हटाने के लिए सहमति दे दी है तो वहीं उनकी जगह प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेई को डिप्टी सीएम बनाने की हरी झंडी दे दी है। सूत्रों की मानें तो पार्टी संगठन को कमजोर ना पड़ने देने की दृष्टि से मौर्य को लक्ष्मीकांत वाजपेई की जगह राज्यसभा में भेज कर केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है। इसी तरह बृजेश पाठक को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चा जोरों पर है।
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी द्वारा महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह तथा दोनों उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य एवं बृजेश पाठक के साथ मिलकर ऐसे नाम फाइनल किए गए हैं जिनका समायोजन होना है। इन नामों की सूची को भाजपा और संघ के शीर्ष नेतृत्व से सहमति लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिखाकर उनसे भी सहमति ले ली जाएगी। इस सूची में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा एवं क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अनिल यादव, पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत, पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, सदर विधायक बांदा प्रकाश द्विवेदी, संजीव सिंग ऋषि, पूर्व सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल, इंद्रपाल सिंह पटेल क्षेत्रीय मंत्री भाजपा, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष जालौन रामेंद्र सिंह बना, अरविंद सिंह चौहान, विधायक विनोद चतुर्वेदी के पुत्र आशीष चतुर्वेदी के नामों के बुंदेलखंड क्षेत्र होने की संभावना बतायी जा रही है।
इनमें पूर्व मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा, पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत और पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को जहां केंद्रीय नेतृत्व का आशीर्वाद प्राप्त बताया जा रहा है, वहीं पूर्व सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल, इंद्रपाल सिंह पटेल, रामेंद्र सिंह बना जी, अरविंद सिंह चौहान को प्रदेश जल शक्ति मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का आशीर्वाद प्राप्त है। सूत्रों के अनुसार विधायक विनोद चतुर्वेदी के पुत्र आशीष चतुर्वेदी को केंद्रीय मंत्री अमित शाह तथा प्रदेश के जल शक्ति मंत्री दोनों का आशीर्वाद प्राप्त है।
बहरहाल प्रदेश के भाजपा व सहयोगी दलों के पिछड़े दलित व सवर्ण नेताओं को निगम बोर्ड आयोग में ताजपोशी करवा के भाजपा और संघ का शीर्ष नेतृत्व वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में पीडीए का खेल बिगाड़ना चाहता है।
*वरिष्ठ पत्रकार