लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मायावती ने रूठों को मनाने की कवायद शुरू की है और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो के निर्देश पर संगठन को मजबूत करने और पुराने रूठे हुए को मनाने के लिए गांव चलो अभियान की शुरुआत हो चुकी है।
सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों लखनऊ में मायावती ने उत्तर प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों मंडल अध्यक्षों कोऑर्डिनेटरों सहित 300 से अधिक पार्टी के पदाधिकारियों की गोपनीय बैठक लखनऊ के केंद्रीय कार्यालय में बुलाई थी जिसमें उन्होंने पार्टी के ढांचे को पुनः जोरदार तरीके से सक्रिय करने के लिए संगठन में बदलाव पर जोर दिया था।
पार्टी सुप्रीमो ने बैठक में ‘‘गांव चलो अभियान’’ का नारा देकर यह साफ हिदायत दी कि वह नेता व कार्यकर्ता जो अपने क्षेत्र में अपनी-अपनी जाति बिरादरियों में अपना प्रभाव रखते हैं लेकिन किसी कारण से पार्टी के मिशन से दूर हो गए हैं उन सबको मनाकर फिर से एकजुट करें।
मायावती के यह कहने पर कि बसपा में सभी पुराने व रुठे हुए साथियों के लिए पार्टी के दरवाजे खुले हुए हैं, वहां से आने के बाद पूरे उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के अध्यक्ष अपने-अपने जिलों में पार्टी पदाधिकारियों के साथ गांव चलो अभियान में जुट गये हैं। वे उन गाँवों में जा रहे हैं जहां बसपा का कार्यकर्ता या पदाधिकारी घर बैठ गया है या नाराज हो गया है। पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है की मायावती के इस आह्वान से जिले से लेकर राष्ट्रीय पदाधिकारियों तक में नई आशा का संचार हुआ है तथा बसपा विचारधारा के जो भी कार्यकर्ता और पदाधिकारी पिछले वर्षों में बसपा से किसी कारण से अलग हो गए हैं उनको फिर से एक धारा में लाने की मुहिम शुरू कर दी गई है।।
इस गोपनीय बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती के अलावा राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद, राष्ट्रीय महामंत्री सतीश चंद्र मिश्रा, मेवा लाल गौतम, रामावतार मित्तल, मुनकादअली, नौशाद अली, मुकेश अहिरवार, लालाराम अहिरवार, बृजेश जाटव, सुरेश चंद्र गौतम, अशोक गौतम, हेमंत प्रसाद तथा जालौन के जिला अध्यक्ष धीरज चौधरी सहित 75 जिलों के जिला अध्यक्ष, सेक्टर अध्यक्ष, मंडल प्रभारी जोनल प्रभारी आदि सभी पदाधिकारियों सहित 300 से अधिक जिले से लेकर राष्ट्रीय प्रमुख पदाधिकारी इस गोपनीय बैठक में मौजूद रहे।
पिछले वर्षों में बसपा सुप्रीमो श्री मायावती से मतभेद होने या मायावती की नाराजगी के कारण पार्टी छोड़ने वाले प्रमुख नेताओं में बसपा के संस्थापक काशीराम के बेहद करीबी रहे और संगठन के सर्वेसर्वा बाबू रामाधीन को मायावती पहले ही बसपा से हटा चुकी हैं।
पूर्व राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी, आज कांग्रेस में हैं और कांग्रेस के भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे चुके हैं। बसपा के एक और राष्ट्रीय महासचिव तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं। इसी तरह मायावती के खास सिपहसालारों में गिने जाने वाले और नसीमुद्दीन सिद्दीकी की तरह मायावती के हर मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहने वाले बाबू सिंह कुशवाहा भी मायावती का साथ छोड़कर जा चुके हैं। वह आजकल समाजवादी पार्टी के टिकट पर जौनपुर से सपा सांसद हैं । इसी तरह प्रमुख नेताओं में पूर्व कैबिनेट मंत्री दददू प्रसाद अभी बसपा छोड़ के जा चुके हैं। बिहार प्रदेश के प्रभारी पूर्व एमएलसी तिलक चंद अहिरवार भी बसपा छोड़कर अब जा चुके हैं। तमाम बड़े और दिग्गज पार्टी के नेताओं के छोड़ने की वजह से मायावती को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उन्हें किसी प्रकार पार्टी में वापिस लाया जाए।
वर्ष 2014, 2027, 2019, तथा 2024 में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में बसपा को जिस तरह से पराजय का मुंह देखना पड़ा है, इन से उबरने के लिए के लिए रूठों को मनाने की कवायद कितनी कारगर होगी वह वक़्त ही बताएगा।
*वरिष्ठ पत्रकार