लखनऊ: उत्तर प्रदेश में क्या होंगे अपना दल (सोनेलाल) के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समीकरण? आगामी लोक सभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अपने सहयोगी संगठनों को कितनी सीटें देगा? ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय निषाद पार्टी (संजय) और अपना दल (स) भाजपा के मुख्य सहयोगी हैं। एक प्रश्न यह भी है कि क्या अपना दल (स) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल अपनी मर्ज़ी की सीट से चुनाव लड़ पाएंगी?
अनुप्रिया मिर्जापुर सीट पर वर्ष 2014 व 2019 से दो बार सांसद हैं पर इस बार वहां से शायद ना लड़ें। चर्चा है कि इस बार वह मिर्जापुर की जगह तीसरी बार आंबेडकर, प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर या बहराइच से 2024 का चुनाव लड़ना चाह रही हैं। नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (एनडीए) की घटक दल होने और ओबीसी की कुर्मी पटेल जाति मतदाताओं पर गहरा असर रखने के कारण अनुप्रिया को भाजपा शीर्ष नेतृत्व अलग महत्व देता है। सूत्रों के अनुसार अनुप्रिया ने भाजपा से उन 13 सीटों की मांग की है, जहां कुर्मी वोट बैंक ज्यादा है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार वह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से आंबेडकर, प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बरेली, लखीमपुर, सोनभद्र, जालौन, एटा समेत 13 सीटें मांग रही हैं।
अनुप्रिया पटेल के लखनऊ कार्यालय के सचिव आरबी सिंह ने ग्लोबल बिहारी से बातचित में स्वीकार किया कि पार्टी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लोकसभा की 13 ऐसी सीटों जहां पटेल कुर्मी मतदाता अच्छी संख्या में है उसी को मांगने का काम करेगी परन्तु इसके बाद कितनी सीटें अपना दल (स) को मिलेंगे यह तो एनडीए का सबसे बड़ा दल भाजपा का शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा।
मालूम हो कि जालौन, गरौठा भोगनीपुर संसदीय सीट (सुरक्षित) हैं। सूत्रों के अनुसार इस सीट को अनुप्रिया द्वारा भाजपा से मांगे जाने से इस सीट से भाजपा के एक कद्दावर नेता ने अभी से अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष से एक बड़ी डील कर ली है कि किसी तरह यदि जालौन गरौठा, भोगनीपुर सीट समझौते में भाजपा से हटकर अपना दल के पास जाती है तो वह ऐन वक्त पर भाजपा छोड़कर अपना दल में चले जायेंगे इस शर्त पर की टिकट उन्हें ही मिले।
यूपी में 80 लोकसभा सीटें है। जिसमें भाजपा 2019 में 62 सीटों पर जीती थी। अपना दल को दो सीटें मिली थीं। इसलिए क्या उनके अपना दल को पांच से ज्यादा सीटें मिल पाएंगी? हालाँकि भाजपा का नेतृत्व चुनावी समीकरण बनाने में जुटा हुआ है। सूत्रों के अनुसार अनुप्रिया अगर अपनी मिर्जापुर सीट से चुनाव नहीं लड़ती हैं तो उनकी जगह यूपी के जल शक्ति मंत्री एवं पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भाजपा वहां से चुनाव लड़वा सकती है क्योंकि वह मूल रूप से मिर्जापुर के ही रहने वाले हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपनी माताजी का त्रयोदशी समारोह अपने गृह ग्राम में किया था। जिसमें भारी जनसैलाब उमड़ा था। सिंह ने आज ग्लोबल बिहारी से फ़ोन पर हुई बातचीत में कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का जो भी आदेश होगा उसे वे मानेंगे।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी मुख्यालय से ऐसी कोई सूचना उनके पास अभी तक नहीं आई है।
इसी तरह भाजपा के यूपी के कई मंत्रियों व संगठन के प्रदेशीय व राष्ट्रीय पदाधिकारी व कुछ राज्यसभा सांसदों को चुनाव में उतारने जा रही है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अंदरखाने में यह चर्चा जोरों पर है कि जिस तरह पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्रियों, संगठन के आला पदाधिकारियों को राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव लड़ाया है, यही रणनीति यूपी में लोक सभा चुनाव में भी होगी।
*वरिष्ठ पत्रकार