– अनिल शर्मा*
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी संगठनों की प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दो तिहाई बहुमत की सरकार है, चार बड़ी घटनाएं हुई हैं जिसकी सुनवाई के इंतज़ार में हैं प्रदेश के ‘असंतुष्ट’ मंत्रीगण| सुनवाई अब दिल्ली के दरबार में होना तय है |
चूंकि वर्ष 2022 के 7 महीने निकल चुके हैं, और सिर्फ एक साल सात महीने चुनाव 2024 के लोक सभा चुनाव को बचे हैं, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शीर्ष नेतृत्व कोई जोखिम नही उठाना चाहता और अटकलें लगाई जा रही हैं कि शायद जल्दी सुनवाई हो जाये |
सबसे पहले प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों के स्थानांतरण को लेकर के गहरी नाराज़गी जताई लेकिन जब उनकी आरोपों का समुचित इलाज मुख्यमंत्री ने नहीं किया तो वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई | इसके बाद वहां से प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जांच के निर्देश हुए इस पर अपर निदेशक पैरामेडिकल राकेश कुमार गुप्ता और अपर निदेशक स्वास्थ्य प्रशासन अशोक कुमार पांडे तथा संयुक्त निदेशक पैरामेडिकल अरविंद कुमार वर्मा सस्पेंड कर दिए गए, लेकिन अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद और स्वास्थ्य सचिव रविंद्र को क्लीन चिट दे दी गई|
सूत्र बताते हैं उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक खुश नहीं हैं कि स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी तो बचा लिए गए और छोटे अफसरों पर गाज गिरा दी गई| वह अपनी नाराज़गी जताने दिल्ली दरबार पहुंच गए हैं|
इसी तरह लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद के विभाग में कुछ आला अधिकारियों ने मंत्री से बिना पूछे ही अधिशासी अभियंता और अधीक्षण अभियंताओं के रात भर की कुल 32 अधिकारियों की सूचियां बढ़ाकर 42 नाम कर दिए जिससे नाराज़ हो मंत्री जितिन प्रसाद भी दिल्ली दरबार में पहुंच गए।
इसके बाद जल शक्ति विभाग के राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने ट्रांसफर पोस्टिंग में अपनी उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया है। एक तरफ मुख्यमंत्री और आला नेतृत्व डैमेज कंट्रोल करने में जुटा रहा लेकिन भूजल सप्ताह के आखिरी दिन लोक भवन में 22 जुलाई 2022 को हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह तथा राज्य मंत्री रामकेश निषाद तो मौजूद रहे लेकिन भाजपा संगठन और सरकार के द्वारा जो यह बात कही जा रही थी कि खटीक अब नाराज नहीं हैं तो उन्होंने उस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और जल शक्ति कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव के होने के बावजूद आने की जरूरत नहीं समझी जिससे साफ है उन की नाराजगी अभी दूर नहीं हुई है।
चर्चा यह है राज्य मंत्री दिनेश खटीक भी अपनी पीड़ा दिल्ली दरबार को बता चुके हैं ।
इसके बाद चौथा मामला 15 हजार करोड़ की लागत से बने बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का है जिसका लोकार्पण बीती 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भव्य समारोह में जालौन जिले के कैथेरी गांव में किया था | लोकार्पण के चन्द दिनों के भीतर हुई बरसात में जिस तरह से बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई और ठेकेदार कंपनी ने जिस तरीके से बुंदेलखंड एक्सप्रेस बिना कोई डायरेक्शन काट दिया, उसके कारण तमाम वाहन पलटी और लोग गंभीर रूप से घायल हो गए और एक दो लोगों की जाने चली गई ।
भाजपा के शासनकाल में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मंत्रालय में तमाम एक्सप्रेसवे और हाईवे बनाएं लेकिन उन्हें कोई दुर्घटना नहीं घटी| इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में बने एक्सप्रेस वे में भी आज तक इस तरह की घटना नहीं घटी |
विपक्षी दल और भाजपा के भीतर भी तमाम नेता अपने पार्टी फोरम में इस बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के घोटाले की जांच की मांग करने लगे हैं | क्योंकि यह बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसमें हुए गड़बड़ी को से उनकी छवि को धक्का पहुंचा है इसलिए इसकी संभावना है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की उच्च स्तरीय जांच हो |
फिलहाल चाहे पीडब्ल्यूडी का मामला चाहे राज्य मंत्री दिनेश खटीक का मामला और चाहे स्वास्थ्य विभाग के तबादलों का मामला हो या फिर बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे में हुए घोटाले का मामला, सभी मामलों में सुनवाई को लेकर आला अधिकारी प्रदेश शासन और आमजन दिल्ली दरबार की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं|
*वरिष्ठ पत्रकार