उरई: प्रसिद्ध पत्रकार, साहित्यकार, लोक कला विशेषज्ञ और रंग कर्मी अयोध्या प्रसाद गुप्त कुमुद का आज सुबह निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे और पिछले एक वर्ष से बीमार चल रहे थे। 15 जुलाई 1944 को जालौन जिले के कोच नगर में जन्मे श्री कुमुद अपने पूरे जीवन पत्रकारिता, लोक कला साहित्य और रंग कर्म के लिए समर्पित रहे।उनकी अब तक 30 पुस्तके प्रकाशित और चर्चित हुई हैं।
श्री कुमुद संपूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र एवं क्षेत्र वासियों के लिए अपने लेखन के माध्यम से चाहे पानी की समस्या हो मूजदरी के लिए पलायन की समस्या हो। इनपर वे लगातार लिखते रहे।उन्होंने बुंदेलखंड के रंग कर्मियों की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर दिलाने का काम किया। उन्होंने एक ओर जहां उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के माध्यम से और दूसरी ओर केंद्रीय सांस्कृतिक समिति जिसके वह सदस्य रहे उसके माध्यम से, बुंदेलखंड का चाहे राई नृत्य हो या बधाई नृत्य हो, इनके कलाकारों को राष्ट्रीय क्षितिज पर ले जाने का काम किया। उन्होंने लोक कलाकारों को बढ़ावा दिया और बुंदेलखंड के लोककलाओं पर भी किताब लिखी। उन्होंने बुंदेलखंड के उत्सव यात्राओं के बारे में खूब लिखा। इस विषय पर उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुईं है। बुंदेलखंड के पर्यटन स्थलों और यहां के बुंदेली पकवानों के बारे में भी के बारे में भी उनकी किताबें हैं जिसके बाद प्रशासन और शासन में बुंदेलखंड के पर्यटन पर भी गौर करना शुरू किया।
बुंदेलखंड की प्राचीन सिंचाई प्रणाली पर भी उन्होंने खूब विस्तार से किताबों और अखबारों के माद्यम से खूब लिखा और समाज को जागरूक करने के लिए कई आंदोलन भी किए। उन्होंने बुंदेलखंड के प्रसिद्ध महा कवि ईश्वरी और जगनिकपर किताबें लिखकर यहां के साहित्य को देश के फलक पर लाने का जहां काम किया, वहीं शोध करने वाले शोधार्थी को भी बहुत लाभ मिला।
श्री कुमुद को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार भी मिले। उत्तर प्रदेश में उत्कृष्ट हिंदी पत्रकारिता के लिए वर्ष 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने विद्या भास्कर पुरस्कार देकर सम्मानित किया। सर्वोच्च विशिष्ट सम्मान वर्ष 2001 में, तत्कालीन राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी में प्रदान किया।लोक भूषण सम्मान वर्ष 2006 में हिंदी संस्थान में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने प्रदान किया था। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार वर्ष 2001 में तत्कालीन राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री द्वारा प्रदान किया था। सोन चिरैया सम्मान वर्ष 2013 को राज्यपाल बी एल जोशी द्वारा प्रदान किया गया, सेठ गोविंददास पुरस्कार कर्नाटक के तत्कालीन राज्यपाल टीएन चतुर्वेदी ने वर्ष 2004ने प्रदान किया। इसके अलावा पं राम नरेश त्रिपाठी पुरस्कार, भारतीय हिंदी परिषद इलाहाबाद द्वारा दिया गया पुरस्कार, बुंदेलखंड गौरव सम्मान वर्ष 2012 में तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने दिया,साकेत पुरस्कार वर्ष 2012 प्रसिद्ध हिन्दी आलोचक डा नामवर सिंह ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मेमोरियल की ओर से दिल्ली में दिया। वर्ष 2011 में माधव राव सप्रे संग्रहालय सम्मान सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति देवदत्त धर्माधिकारी ने प्रदान किया। वर्ष 2018 में बाबू वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार प्रसिद्ध चैन कलाकार रोहिणी हट्टंगड़ी राजा बुंदेला राज्य मंत्री हरगोविंद कुशवाहा द्वारा प्रदान किया गया। सप्रे संग्रहालय भोपाल द्वारा कुमुद जी के 75 वर्ष पूर्ण करने पर वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद मिश्रा ने प्रदान किया जालौन गौरव रत्न पुरस्कार वर्ष 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने प्रदान किया।इसी तरह देश विदेश की उन्हें कई फैलोशिप भी मिली जैसे संस्कृत विभाग भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2000 में सीनियर फैलोशिप, 2006 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीयपत्रकारिता विश्वविद्यालय की फैलोशिप, इत्यादि।
*वरिष्ठ पत्रकार