रविवारीय: सोचता था कि रतन टाटा को पत्र लिखूं
अगर व्यक्तिगत रूप में कहूं तो कभी कभी मैं सोचता था कि मैं रतन टाटा को पत्र लिखूं और उनसे कुछ निवेदन करूं। समाज के लिए मैं कुछ करना चाहता हूँ। आप मेरी मदद करें। मुझे मेरी अंतरात्मा कहती थी, वो जरूर मदद करेंगे,पर सोचता ही रह गया। हमेशा अफ़सोस रहेगा मुझे इस बात का कि मैंने उनको पत्र क्यों नहीं लिखा।
यकीन नहीं होता! दो दिन पहले ही तो रतन टाटा ने ट्वीट कर कहा था – “मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं। मैं तो बस नियमित जांच के लिए अस्पताल आया हूं। मेरी बीमारी की खबर एक अफवाह है। इसपर ध्यान ना दें।”
किसे मालूम था कि टाटा के कहे वो शब्द सार्वजनिक तौर पर कहे गए उनके अंतिम शब्द होंगे?
एक युग का अंत! यह तो हम क्या सभी कह रहे हैं, पर इसके साथ एक बात और भी है जो बहुत ही अहम है। अगर हम यह कहें कि रतन टाटा के निधन के पश्चात एक विश्वास का अंत हुआ है, तो शायद इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए।
दुनिया भर से आए शोक संदेशों को अगर आप देखें तो एक बात आप शिद्दत से महसूस करेंगे कि लगभग हर व्यक्ति ने टाटा के व्यक्तित्व के दो पहलूओं – परोपकारीता और दयालुता को प्रमुखता से उद्धृत किया है। टाटा समूह मेरी जानकारी और मेरी समझ में कभी भी ” रैट रेस ” में नहीं रहा। इस समूह ने हर सेगमेंट का ख्याल रखा। समाज के हर तबके के लिए टाटा समूह ने सोचा। कोई भी ऐसा तबका नहीं है जो टाटा की नजरों से बच सका है। सुबह आपके जागने से लेकर रात में आपके सोने तक आप किसी ना किसी रूप में टाटा के साथ रहते हैं।
कितना विश्वास था हमारे देश के लोगों का उनपर, और वो महामानव उनके विश्वास और आकांक्षाओं पर हमेशा खरा उतरता था।
हमारे जन-मानस के उपर टाटा का कुछ ऐसा प्रभाव रहा है , ऐसी अमिट छाप रही है कि हम सभी वशीभूत हैं। एक अविश्वसनीय विश्वास रहा है हम सभी का टाटा के उपर। सरकारी नौकरी ना मिले, मंजूर है, पर अगर टाटा से संबंधित किसी भी प्रतिष्ठान में अगर आप शामिल हो गए तो यकीन मानिए, टाटा से जुड़ा हुआ छोटा से बड़ा व्यक्ति पुरे यकीन के साथ आपको टाटा के नाम की दुहाई देता मिलेगा। बस यही तो टाटा के नाम पर एक विश्वास रहा है, उस विश्वास को क़ायम रखने की टाटा समूह के आने वाले मुखिया के लिए एक चुनौती होगी ।
आप कह सकते हैं कि रतन टाटा ने व्यवसाय किया। सही है, पर एथिक्स के साथ व्यवसाय कैसे किया जाता है यह कोई टाटा समूह से सीखे। हमेशा कामयाबी और भरोसे की मिसाल रहे रतन टाटा को मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि।काश! उन्हें पत्र लिखने की मेरी इच्छा पूर्ण हो पाती।
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परोपकारी और दयालू टाटा को आपने भावभीनी टा टा किया । उनकी विश्वशनीयता ही उनका ब्रांड था । 🙏🙏
स्व0 श्री रतन टाटा की कार्यप्रणाली गुणवत्ता और नवाचार, वैश्विक पहुंच और सहयोग, सामाजिक और नैतिक उत्तरदायित्व के साथ ही भारतीय मूल्यों और संस्कृति के सम्मान की पोषक रही है। व्यक्तित्व के यही गुण उन्हें कामयाबी और भरोसे के शिखर पर पदस्थ करते हैं। विनम्र और भावपूर्ण श्रद्धांजलि।