कोटा: राव सूरजमल हाड़ा की ऐतिहासिक छतरी कोटा विकास प्राधिकरण द्वारा ध्वस्त किये जाने से होने से यहां स्थानीय लोगों में आक्रोश है और उन्होंने बूंदी जिला कलेक्टर कार्यालय पर आज प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोटा-बूंदी रोड पर राष्ट्रीय मार्ग राजमार्ग के किनारे ग्राम कैथूदा, तुलसी, जिला बूंदी में अज्ञात कर्म से कोटा विकास प्राधिकरण ने राव सूरजमल हाड़ा की ऐतिहासिक छतरी को भी ध्वस्त कर दिया।
राव सूरजमल हाड़ा की छतरी कोटा-बूंदी रोड पर राष्ट्रीय मार्ग राजमार्ग के किनारे तुलसी गाँव में स्थित थी जिसके नाम 14 बिस्वा परिसर व 13 बीघा जमीन बल्लोप में दर्ज है। जमीन पर वर्षों से लोगों का कब्जा है।
जहाँ एक ओर राजस्थान में अन्य राजपरिवारों के सदस्य, पूर्वजों के स्मारक व छतरियों के समय समय पर दर्शन व देख-रेख करते हैं, वहीं बून्दी व कोटा में ऐसा नही है जबकि राव सूरजमल हाड़ा बून्दी व कोटा दोनों राजपरिवारों के पूर्वज हैं।
इस ऐतिहासिक छतरी के ध्वस्त होने की पुष्टि तुलसी गांव एवं कैथूदा निवासी सुरेंद्र सिंह, सत्यनारायण गुर्जर, हंसराज सिंह, लक्ष्मण सिंह, बद्री लाल धाकड़, बाबूलाल, सरपंच हंसराज बंजारा, भारत सिंह ने की।
राव नारायणदास के परमवीर पुत्र राव सूरजमल हाड़ा का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है और तुलसी गाँव के पास स्थित उनकी यह छतरी सन 1527-1531) में बनी थी। यहाँ राणा सांगा के पुत्र रतन सिंह व सूरजमल हाड़ा के मध्य युद्ध हुआ था। उनकी बहन सूजा बाई का विवाह रतन सिंह से सम्पन्न हुआ था।
बून्दी-मेवाड़ सीमावर्ती राज्य होने से सर्वाधिक वैवाहिक सम्बन्ध भी इनमें ही होते थे तथा छोटी सी बातों में युद्ध भी। एक समय राव सूरजमल के द्वारा किया गया मजाक राणा रतन सिंह ऐसा चुभा की राणा रतन सिंह उसे भुला न सके। राणा रतन सिंह ने उसे स्वयं का अपमान समझ उसका प्रतिशोध लेने की ठान ली। वे शिकार के बहाने बून्दी आये और राव सूरजमल को अकेले ही तुलसी के जंगलों में शिकार के लिए ले गए जहाँ रतन सिंह ने पहले ही कुछ सेना छिपा रखी थी।
तुलसी के जंगलों में जैसे ही सूरजमल शिकार की होदी में चढ़ने लगे तभी उन पर सैनिकों ने तीरों व भालों से प्रहार कर दिया। घायल बून्दी नरेश मूर्छित हो गिर पड़े, तभी रतन सिंह उनके समक्ष आकर कहने लगे कि क्या यही है बून्दी का शेर? कुछ क्षणों में सूरजमल जी की मूर्छा टूटी व घायल राव सूरजमल ने रतन सिंह पर शीघ्र ही कटार से प्रहार कर रतन सिंह का वध कर दिया तथा उनके साथी सेनिको को मारकर कर स्वयं भी वीरगति को प्राप्त हुए।
उनके मरने की खबर जब बून्दी महल में पहुंची तो उनकी माँ ने अपने दूध को किले की दीवार पर फेंका तो दीवार में दरार आ गयी थी।वह शिला आज भी महल में स्थित है।
चारण साहित्य के अनुसार राव सूरजमल के हाथ घुटनों तक आते थे,इसलिए उन्हें आजानुबाहु कहा जाता है। उनक पर एपिक नामक टीवी चैनल पर “रक्त” नामक सीरियल प्रदर्शित हो चुका है।
*वरिष्ठ पत्रकार