राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर संगठन के महामंत्री भजनलाल शर्मा को बनाए जाने से स्पष्ट है कि आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठन को बहुत तवज्जो मिलने वाली है।
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सभी अटकलें को ना करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले सामान्य कार्यकर्ता भजनलाल को इस महत्वपूर्ण पद के लिए चुना। संघ की शाखाओं में अक्सर गाए जाने वाले गीत ‘संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर बढ़े चलो भला हो जिसमे देश का वह काम सब किए चलो..”जैसी पंक्तियां लगता है जैसे सार्थक हो गई। सभी राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जिस नाम की घोषणा की है वह स्वच्छ छवि के जाने-माने संगठन कर्ता के रूप में प्रदेश भाजपा में जाने जाते हैं। इन बातों में कोई दम नहीं है कि वह ब्राह्मण चेहरा है या और कुछ। अभी तो भजन लाल वह एक सर्वमान्य चेहरा है।
इतने दिन से जिस प्रकार के कयास लगाए जा रहे थे की भगवाधारी संत बाबा बालक नाथ मुख्यमंत्री हो सकते हैं तो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सभी विधायकों को विधायक दल की बैठक में भगवा वस्त्र पहनकर बैठा दिया।
उम्मीद है भजनलाल राजस्थान को सुशासन प्रदान करेंगे। प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है। पेपर लीक होने की घटनाओं से बेरोजगार वर्ग काफी उद्धेलित था। राजस्थान में होने वाली सांप्रदायिक घटनाओं में गत सरकार का जो रवैया तुष्टिकरण का रहा है नए मुख्यमंत्री से उम्मीद है कि सबका साथ सबका विकास की अवधारणा पर काम करते हुए किसी का तुष्टिकरण नहीं और सबको न्याय वाले सिद्धांत पर सरकार को चलाएंगे। राज्य में लंबे समय से कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है जिसको सुधारना उनकी प्राथमिकता में रहेगा ऐसा मान कर चला जा रहा है। आए दिन प्रदेश में हत्या और बलात्कार की घटनाएं हर किसी के मन को कचोट रही है। राज्य में अवैध खनन और प्रकृति को लूटना एक परंपरा से बन गई थी उम्मीद है कि नए मुख्यमंत्री इस पर लगाम लगाई देंगे।
राजस्थान की गिनती देश के बड़े प्रांत में होती है और लोकसभा की 25 सीटें यहां से निकलती है। पिछले दो आम चुनाव में 25 की 25 सीटें भारतीय जनता पार्टी ने हासिल की तो अब इसी को बरकरार रखना भजनलाल के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।
क्योंकि भजनलाल संघ पृष्ठभूमि से भी आते हैं, हमेशा लो प्रोफाइल में रहने वाले भजनलाल अचानक हाई प्रोफाइल में आ गए हैं। उनका सहयोग करने के लिए राजसमंद की सांसद दिया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बनाया जाना भी कम आश्चर्य जनक नहीं है। ऐसा भाजपा में ही हो सकता है कि मुख्यमंत्री के रूप में कहा जाने वाला चेहरा उपमुख्यमंत्री के रूप में जनता के सामने लाया जाए और एक अन्य सहयोगी प्रेमचंद बेरवा अनजान चेहरा रहे हैं लेकिन एक ही झटके में उन्हें भी दिया कुमारी के साथ उप मुख्यमंत्री बना उनका राजस्थान में जाना पहचाना चेहरा बना दिया गया है।
लंबे समय से राजनीति का विश्लेषण कर रहे लोग जातिवाद पर काफी जोर दे रहे थे कि जातिगत समीकरणों को प्रमुख स्थान मिलेगा वह नहीं हुआ जातिगत समीकरण गूगल घोस्ट हो गए और संघ के हिंदुत्व का समीकरण सब पर भारी पड़ गया।
विधानसभा अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जाने-माने नेता रहे हैं और लंबे समय से विधानसभा में अजमेर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और शिक्षा मंत्री भी रहे हैं उनकी सूची छवि प्रशंसनीय रही है।
आने वाले समय में कानून व्यवस्था की भयंकर समस्याओं से जूझ रहा राजस्थान किस प्रकार आगे बढ़ेगा इसका पता चलेगा। नए मुख्यमंत्री और उनकी टीम लोग आस लगाए बैठे हैं।