– डॉ राजेंद्र सिंह*
भीकमपुरा (अलवर): पानी का काम किसी एक का काम नहीं है, यह हम सभी का साझा काम है। जो समाज स्वयं पानी का काम अपना काम करता है, वह समाज पानीदार बन जाता है। हमें जल के व्यापारीकरण को रोकने, समाज को जागरूक करने और सरकार को समझाने का वातावरण निर्माण हेतु जल साक्षरता की आवश्यकता है। पानी का व्यापार दिनों दिन बढ़ रहा है, इसके लिए पंचायत स्तर पर सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन की आवश्यकता है।हमें समाज में व्यापक जागरण करने की आवश्यकता है, जिससे समाज स्वावलम्बी बन सके।
भारत के गांवो को पानी के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा। इसके लिए राज, समाज और महाजन को एक साथ मिलकर सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन के कार्य करना चाहिए। किंतु पानी का काम सिर्फ बजट से नहीं हो सकता। इसका ताजा और प्रमाणिक उदाहरण जल जीवन मिशन में बनी पानी की टंकी है। सच्चाई यह है कि जल संकट का समाधान तो समाज अपने ज्ञान और पुरुषार्थ से ही कर सकता है।हमें जल का काम करने के लिए राज, संत, समाज और महाजनों को एक साथ जोड़कर काम करना होगा। जल संरचनाओं के साथ समाज को जोड़ना होगा।
आज देश का 60 प्रतिशत भाग सुखाड़ और 40 प्रतिशत भाग बाढ़ से प्रभावित है। आज हमें समाज में नदी की समझ विकसित करने की जरूरत है।आज जल का व्यापारीकरण हो रहा है, इसे रोकने हेतु हमें रणनीति बनाने की जरूरत है।आज हमारे देश में प्लास्टिक का उपयोग बहुत बढ़ गया है, जिससे हमारे समुद्र ,पूरे जीव जगत को बहुत बडा खतरा बढ़ गया है। इससे जीव – जगत की कई प्रजातियां नष्ट हो गई है। हमें इसके उपयोग को रोकना होगा।
पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तेज़ी से दिखाई देने लगा है, यह मानव जीवन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। देश में बढ़ता तापमान, अनियमित वर्षा बड़े पैमाने पर खेती को प्रभावित कर रही है। दूसरी तरफ भू-जल का दोहन लगातार बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन का संकट भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवर्तन संकट को रोकने के लिए हमें पूरे देश में सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन के कार्यों को करने के जरूरत है। । भारत को पानीदार बनाने के लिए जलस्वराज को बढ़ावा देने की जरूरत है। जल संकट बढ़ रहा है । सतही जल का प्रबंधन ठीक से नहीं हो रहा है, इस कारण भी भूजल स्तर नीचे जा रहा है। इसके लिए समुदाय में भूगर्भीय जल के प्रबंधन के लिए क्षमता वृद्धि करने की जरूरत है।
इन सभी जल सम्बंधित मुद्दों पर रणनीति बना लोगों को जोड़ने और सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए आज तरुण आश्रम, भीकमपुरा में तरुण भारत संघ, जल जन जोड़ो अभियान और जल बिरादरी द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन के आखिरी दिन देशभर के 17 राज्यों से आए 100 से अधिक सामाजिक, पर्यावरण कार्यकर्ता, जन संगठन और विभिन्न संस्थानों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में देश में बाढ़-सुखाड़ मुक्ति के लिए काम करने वाले संगठनों की प्रमुख उपस्थिति रही।
सम्मेलन के अंत में सर्वसम्मति से भीकमपुरा घोषणा पत्र जारी किया गया, जो आगे की कार्य योजना होगी। जिसके पांच बिंदु इस प्रकार से है –
1. देशभर में जल संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम कर संस्थानों के कामों को सरकार तक पहुंचाना तथा उनको समझाना कि किस तरह से समाज को साथ लेकर सामुदायिक जलाधिकार से विकेन्द्रीत जल प्रबंधन हेतु सरकार को भी खड़ा करना।
2. महाराष्ट्र में जो जलसाक्षरता का बड़ा अभियान चलाया गया ,उसमें जलनायक, जलयोद्धा, जलप्रेमी,जलदूत,जलसेवक,जलकर्मी जैसे केडर बनाने का काम हुआ, जो महाराष्ट्र के पानी के काम को अलग स्तर पर ले गए, इस तरह के दर्शन को हर राज्य में पहुंचाने की जरूरत है और सम्मेलन में भागीदार सभी कार्यकर्ता अपने – अपने राज्यों में इस दिशा में काम करेंगे।
3. युवा जल बिरादरी, देश के विश्वविद्यालयों में पहुँच कर युवाओं को जलवायु परिवर्तन उन्मूलन के प्रति चेतना विकसित करने के लिए ” बाढ़-सुखाड़ मुक्ति हेतु भारत जल चेतना यात्रा” और युवा जल संघटन अभियान चलाएंगे।
4. जल संरक्षण के क्षेत्र में सालों से काम कर रहे लोगों को अब युवाओं के लिये प्रेरक के रूप में काम करना चाहिए, उन को इस काम मे जोड़ने के लिए आगे आकर अपने अनुभव साझा करना चाहिए, जिससे देश के युवा इस काम में रुचि लेकर अपना योगदान दे सके।
5. देश के आध्यात्मिक क्षेत्र में जल हेतु मार्गदर्शन कर रहे गुरु/नेताओं को अपने साथ लाना। जिससे हमारी ऊर्जा बढ़ेगी, इसलिए उनको साथ लाने के लिए हमे अब प्रत्यक्ष काम शुरू करना। इस पर राज-समाज-महाजन-संत को साथ लेकर राष्ट्रव्यापी जल चेतना अभियान चलाने की जरूरत है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं।
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