– रमेश चंद शर्मा*
(प्रख्यात गाँधी साधक)
बने वे भारत की सशक्त वाणी, मैं उनको ढूंढ रहा हूँ
तात्या, नाना, झांसी की रानी,
बा बापू की गजब कहानी,
बने वे भारत की सशक्त वाणी,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
लाल, बाल और पाल,
शहीदों ने मिल किया कमाल,
गांधी ने किया देश का ऊंचा भाल,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
अंग्रेजों की नाक में डाली नकेल,
दिया देश से बाहर धकेल,
गांधी, नेहरु, सुभाष, पटेल,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
टैगोर ने महात्मा बताया,
सुभाष ने राष्ट्रपिता बनाया,
जिसने दुनिया में सत्य, अहिंसा का
परचम लहराया,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
खुदाई खिदमतगार पठान,
सभी थे भारत मां की शान,
सीमांत गांधी रखा नाम,
खान अब्दुल गफ्फार खान,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
भारत का अपना सच्चा ज्ञान,
गजब की शान और पहचान,
जुबां पर न्यौछावर करते प्राण,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
खूब जागे, आगे आए नौजवान,
छोड़कर शिक्षा और मकान,
संकल्प था, बनाना नया हिन्दुस्तान,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
गांव में होगा अपना राज,
आएगा सच्चा स्वराज्य,
हर हाथ को मिलेगा काज,
अपना राज और अपना ताज,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
अछूतोद्धार, खादी और चर्खा,
सफाई, कताई और करघा,
श्रमपूर्ण जीवन का यह सार,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह,
यह था हिंदुस्तान का आग्रह,
जन जन में फूकें ऐसे प्राण,
बा बापू का यह आह्वान,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
रघुपति राघव राजा राम,
पतित पावन सीताराम,
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सबको सन्मति दे भगवान,
यही सच्चा जीवन पैगाम,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
घर घर में चर्खा चलवाया,
आजादी का प्रतीक बनाया,
स्वदेशी, स्वावलंबन विचार फैलाया,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
खुद स्वयं सादगी अपनाई,
खादी आजादी की वर्दी कहलाई,
ग्राम संस्कृति की नीति फैलाई,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
जन जन को निर्भय बनाया,
गांव-गांव संदेश पहुंचाया,
कुटीर-ग्रामोद्योग बढ़ाया,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
बुनियादी शिक्षा की पढ़ाई,
तकली से करो कताई,
बच्चों का हो जीवन निर्माण,
बढ़ेगी इससे देश की शान,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
सबको साथ रहना सिखलाया,
जन-जन में विश्वास जगाया,
सत्य का दीप जलाया,
अन्याय से हरदम टकराया,
मैं उनको ढूंढ रहा हूँ।।
प्रभावकारी कविता
नमन