हमारे देश के भविष्य छात्र छात्राओं को जल संचयन के प्रति आगे आना होगा। अपने घरों में छोटे-छोटे बदलाव से जल की बर्बादी को रोकना होगा। आज हर घर नल जल के माध्यम से घरों में पानी पहुंच रहा है, लेकिन हम पानी के प्रति सजग न होने के चलते नल की टोटी ऐसे ही खोले रखते हैं दिन भर में सैकड़ों लीटर पानी खुली टोटी से फिजूल में बह जाता है।
इस पानी की बर्बादी को रोकने हेतु छात्र छात्राओं की भूमिका अहम हो सकती है। हो रहे हजारों लीटर पानी की बर्बादी को हम कम कर सकते हैं।
हमारे गांव के तालाबों की परंपरा खत्म हो रही है। तालाबों की परंपरा को पुनः बहाल करने के लिए भी छात्र छात्राओं को प्रयास करना होगा।अधिकतर छात्रों का जवाब आता है कि वर्तमान में जो हम तालाब अपने गांव घर के परिवेश के आसपास देखते हैं उन तालाबों में गंदा जल, कचरा की मात्रा अधिकतम रहती है। गांव की बस्ती के तालाब की स्थिति अत्यंत खराब है। हम सभी अपने घर का कचरा तालाब में ही फेंकते हैं।
हमारे जीवन, हमारे गांव के समृद्धि के प्रतीक तालाब आज विलुप्त हो रहे हैं। तालाबों पर अतिक्रमण हो रहा है। तालाब में प्रदूषण कचरा की मात्रा बढ़ रही है। गांव की समृद्धि और गांव में किसानों का उत्पादन अधिक बढ़े इसके लिए अपने गांव की तालाबों का पुनरुद्धार करना अति आवश्यक है।
छात्र छात्राओं को जल के प्राकृतिक स्रोत के महत्व को समझने की ज़रुरत है और जल के प्राकृतिक स्रोत – तालाब,पोखर,झील छोटी नदियां से जुड़ने की भी ज़रुरत है। इस के लिए बाल जल मित्र बनाने की पहल होनी चाहिए। जल साक्षरता का उद्देश्य जल संचयन के प्रति जल से जन को जोड़ना है।
आज के एक पानी चौपाल में मेरे सम्बोधन के बाद उच्च प्राथमिक विद्यालय,कलाना की प्रधानाध्यापिका गीता सिंह ने कहा कि इस पानी चौपाल से बच्चों में जल संचयन के प्रति संवेदनशील हुए इससे जल साक्षरता बढ़ी है। प्रधानाध्यापिका ने अपने बच्चों को होमवर्क के रूप में अपने गांव के तालाब का नाम,तालाब की स्थापना कब हुई, तालाब के बारे में निबंध लिखकर लाने के लिए दिया। उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे जल की प्राकृतिक स्रोत, तालाब, कुआं, के बारे में लिखकर लेकर आएं। सभी बच्चों ने अपनी सहमति भी दी। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन लगातार होते रहने चाहिए जिससे वर्तमान समय में बढ़ रहे तापमान और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को काम किया जा सके। जब हमारे बच्चे जल संचयन के प्रति अभी से संवेदनशील हो जाएंगे तो निश्चित रूप से आगे आने वाले समय में जल के संकट से हम लोगों को सामना नहीं करना पड़ेगा।
जल साक्षरता, पानी चौपाल,पानी पंचायत लगाकर किया जाता है। अपनी चौपाल के दौरान छोटे-छोटे बच्चों को जागरूक करने हेतु नुक्कड़ नाटक, दिवारी नृत्य, मैजिक शो, वॉल पेंटिंग, पेंटिंग प्रतियोगिता (जल संचयन से संबंधित) कराकर बच्चों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है और यह होना बेहद आवश्यक है।
वर्तमान में बरसात का समय है इस समय बरसात की एक एक बूंद को सहजने हेतु मिशन खेत का पानी खेत में गांव का पानी गांव में के तहत खेतों में मेडबंदी और तालाबों के माध्यम से एक एक बूंद सहेज कर अपने गांव को पानीदार बनाना होगा।जब गांव पानीदार बनेगा तो गांव में तरक्की होगी गांव खुशहाल होगा।
बढ़ती आबादी, भौतिकतावादी समाज,शहरीकरण, वनों का कटाव, नियोजित विकास विकृत आस्था आदि के चलते लगातार जलवायु परिवर्तन का प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस जलवायु परिवर्तन का प्रभाव ग्रामीण परिक्षेत्र एवं किसानों पर दुष्प्रभाव अधिक पड़ रहा है। अगर हम समय रहते पर्यावरण संरक्षण जल संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिए तो निश्चित रूप से आने वाला समय विकराल होगा।
*भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के वाटर हीरो अवार्ड सम्मानित पर्यावरणविद्।
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