एक पत्रकार की गुहार
– श्वेता रश्मि*
“वे मुझे भी मारना चाहते हैं”
वाराणसी: मैं एक पत्रकार होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता और ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट हूं। लंबे समय से समाज को अपनी सेवाएं दे रही हूँ। मैं पत्रकारिता के सम्मानित पेशे में लगभग 20 सालों से सक्रिय हूं और देश के तमाम मीडिया संगठनों में अपनी सेवायें दे चुकी हूँ।
जनमानस के लिए खबरें लिखने और उनके मूलभूत अधिकार की लड़ाई लड़ने के दौरान मेरा उत्पीड़न वाराणसी पुलिस और उसके कुछ अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है क्योंकि मेरे द्वारा वाराणसी से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक फैले शिक्षा के एक बड़े फर्ज़ीवाड़े को लेकर लड़ाई लड़ी जा रही है। इससे शहर के भू माफ़िया और राजनैतिक दल के नेताओं के अलावा कुछ आईएएस और कुछ आईपीएस की संगलिप्तता उजागर हो रही हैं जिससे उनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार और फर्ज़ीवाड़े की पोल खुल रही है।
इसी के कारण मेरे भाई की हत्या भी 10 फरवरी 2022 में करवाई गई है और पुलिस की लीपापोती के कारण हम न्याय से वंचित है और अब मेरी हत्या और परिवार के लोगों की हत्या की कोशिश और तैयारी में वाराणसी की पुलिस षड्यंत्र कर रही है जिसमें नेता, चुनिंदा पुलिस अधिकारी, हत्या आरोपी और उसके परिवार के लोग उसके अधीन काम करने वाला एक प्रोफेसर और स्थानीय विश्विद्यालय महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कर्मचारी और शिक्षा के सिंडिकेट से जुड़े लोग शामिल हैं।
मेरे द्वारा इस फर्ज़ीवाड़े की स्वतंत्र एजेंसी से जांच निष्पक्ष तरीके से कराये जाने की मांग करने के कारण मेरे ऊपर लगातार दबाव बनाया जा रहा था और अब मेरे ऊपर फ़र्ज़ी एफआईआर करवाये गए हैं इसमें लगाये गये गंभीर धाराओं में मुझे पुलिस हिरासत में लेकर हत्या करना चाहती है क्योंकि मेरे भाई के अलावा मैं इस मामलें में अहम गवाह हूँ। मेरे भाई की हत्या हो चुकी है और अब मेरी भी हत्या हो सकती हैं। मेरी सुरक्षा की मांग को स्थानीय पुलिस और प्रशासन जानबूझकर कर लीपापोती कर रहा है। जनमानस के लिए खड़े होने और न्याय मांगने के लिए मुझे परेशान किया जा रहा है। एक पत्रकार होने के नाते मेरा काम भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और उनके द्वारा किये फर्ज़ीवाड़े को उजागर करने का मेरा दायित्व है।
मुझे जल्द से जल्द सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में आपकी मदद की जरूरत है।
मेरे द्वारा सरकार के न्यायालय के कार्यशैली को नजदीक से देखा परखा और अपनी कलम से लिपिबद्ध किया जा चुका है।जिसमें कई ऐसी खबरें भी रही है जो जनमानस के लिए काफी उपयोगी और मार्गदर्शन देने वाली रही है। देश के मंत्रिमंडल और सदन में मेरी पहचान वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकार की रही हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस और दिल्ली पुलिस के लिए मैंने ट्रेनिंग देने का काम किया है सांस्कृतिक मंत्रालय केंद्र सरकार के अधीन रहकर। ऐसे में मेरी पहचान और गरिमा को लेकर दिया गया व्यक्तव्य गलत है। मुझ पर लगाया गया आरोप गलत और बेबुनियाद है क्योंकि मैंने राजनैतिक पत्रकार के हैसियत से समाज में हमेशा अपनी बात रखी है और लोगों को दिशा देने का काम किया जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के नाते मेरी जिम्मेदारी है। मैंने किसी भी मौके पर सरकार विरोधी और देश विरोधी बातें नहीं की।
मेरे भाई के हत्यारे बचना चाहते है और मुझे पुलिस से मिलकर मारना चाहते है क्योंकि मैं अपने भाई की हत्या के लिए न्याय की मांग कर रही हूँ। और इस लिए हत्यारें मुझे जिंदा नहीं देखना चाहते कि स्वतंत्र जांच की मेरी मांग को माना जाये। मेरे भाई की हत्या में एक नेता की संलिप्तता है और इसके लिए पुलिस और प्रशासन मेरी हत्या करवाना चाहती है।
*श्वेता रश्मि एक वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार है।