कुंभक्षेत्र प्रयागराजः प्रसिद्ध मंदिरों, धर्मस्थलों की ‘गरिमा एवं रक्षा’ के लिए उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती की मौजूदगी में परमधर्मसंसद में आये देश की मान्य सनातनी संस्थाओं के प्रमुखों के नेतृत्व में 12 जनवरी सनातन संरक्षण परिषद का गठन हुआ।
परमधर्मसंसद १००८ ने समस्त सनातन वैदिक हिन्दू आर्य परमधर्म के मानने वालों के लिए यह परमधर्मादेश जारी किया कि – ‘‘धर्म स्थलों पर धार्मिक रीति से नियंत्रण स्थापित हो इसलिए धर्मस्थानों, मंदिरों, मठों की व्यवस्था या प्रशासन में किसी भी पद पर अधार्मिक, विधर्मी, नास्तिकों की नियुक्ति न करें तथा सरकारी हस्तक्षेप से इनको मुक्त किया जाए। अन्यथा जैसा शास्त्रों में कहा गया है कि तीर्थ या धर्मस्थल का सार चला जाएगा जो कि हिन्दू धर्म की अपूरणीय क्षति होगी।अत्युग्रभूरिकर्माणो नास्तिका रौरवा जनाः। तेऽपि तिष्ठन्ति तीर्थेषु तीर्थसारस्ततो गतः॥ (श्रीमद्भागवत माहात्म्य १/७)।। प्रसिद्ध मंदिरों, धर्मस्थलों की गरिमा एवं रक्षा’ के लिए देश की मान्य सनातनी संस्थाओं के प्रमुखों के नेतृत्व में एक सनातन संरक्षण परिषद् (सनातन बोर्ड) का गठन किया जाता है।”
इसके पहले आज के इस परम धर्म संसद का सत्र उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती की मौजूदगी में जयोद्घोष के साथ शुरू हुआ। इस अवसर पर अन्य तीनों पीठ के शंकराचार्यों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
विषय स्थापना सतना मध्यप्रदेश से आये देवेन्द्र पांडेय ने की और कहा कि धर्माचार्यों का नियंत्रण धर्मस्थलों में नहीं होने के कारण आज सभी मंदिरों पर सरकार ने कब्जा कर लिया है। तदोपरांत कौशांबी से आये धर्म सांसद डा. मनीष तिवारी ने सनातन संरक्षण परिषद गठित करने का प्रस्ताव रखा।
ज्योतिर्मठ शङ्कराचार्य ने इस बात पर चिंता जताई कि वर्तमान में अनेक हिन्दू धर्मस्थलों की व्यवस्था को सरकार अपने धर्मनिरपेक्ष अधिकारियों के माध्यम से संभालने लगी है और यत्र-तत्र तो अन्य धर्म के लोगों को भी इस कार्य में लगा दिया है। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म अपने धर्मस्थानों-मठों-मन्दिरों-गुरुकुलों-गोशालाओं आदि से अनुप्राणित होता है जिस वजह से इन हिन्दू धर्मस्थलों की देखभाल और प्रबन्धन का सीधा प्रभाव हिन्दू धर्म के मानने वालों और उनके प्रति धारणा बनाने वालों पर पड़ता है। इसीलिए उन्होंने इस आवश्यकता पर बल दिया कि इन हिन्दू धर्मस्थलों के संरक्षण और प्रबन्धन में लगे लोग सनातन धर्म की गहरी जानकारी रखें। उन्होंने आगे कहा कि उनसे यह भी अपेक्षित है कि वे हिन्दू धर्म को जी रहे हों और उनकी गहरी अनुभूति से भी सम्पन्न हों।
ज्ञात हो कि कुछ अरसे पहले देश के सभी 543 संसदीय क्षेत्रों में ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य ने गौ सांसदों की नियुक्ति चारो शंकराचार्यों की सहमति से की थी ताकि वे चुने गए जन प्रतिनिधियों पर दबाव बना सकें।
आज के मौके पर संसद में उत्तराखण्ड की बद्रीश गाय का भी आगमन हुआ, जिससे शंकराचार्य ने कहा कि परमधर्म संसद और भी पवित्र हो गई।
५६ किस्म की देसी गायों में बद्रीश गाय की विशेष महत्ता है। इसके दूध को अमृत माना जाता है। ब्रजेश सती ने कहा कि बद्रीश गाय का संरक्षण आवश्यक है। सनातन धर्म के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है और शंकराचार्य ने कहा कि आज सत्र को 33 करोड़ देवी- देवताओं का भी आशीर्वाद मिल गया। उन्होंने इस ओर भी उपस्थित लोगों का ध्यानाकर्षित किया कि बाहर इन्द्रदेव भी वर्षा कर अपना आशीर्वाद दे रहे थे।
सत्र में 27 धर्मांसदों ने अपने विचार रखे। संजय जैन को गौ प्रतिष्ठा ध्वज स्थापना का संरक्षक बनाया गया और गुजरात में सभी जिलों में गौ प्रतिष्ठा ध्वज स्थापना की जिम्मेदारी दी गई।पर्व स्नान के कारण दो दिन के अवकाश के बाद 15 जनवरी को अब परमधर्मसंसद का आरम्भ होगा।
बहरहाल संसद सत्र में ही साध्वी पूर्णाम्बा व नरोत्तम पारीक ने साप्ताहिक पत्र जय ज्योतिर्मठ का विमोचन शंकराचार्य के कर -कमलों से कराया।
*ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी।