नई दिल्ली: दुनिया में तकरीबन 70 लाख से ज्यादा मौतों का कारण बने घातक कोविड-19 महामारी फैलने के 5 साल बाद कोविड के जनक रहे चीन में फिर ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) नामक एक वायरस ने दस्तक दी है। चीन में इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वायरस से प्रभावित लोगों से चीन के अस्पताल भरे पडे़ हैं और वहां कुछ राज्यों में इमरजेंसी लगा दी गयी है। इसके संक्रमण की चपेट में छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले लोग तेजी से आ रहे हैं। वैसे चीन ने इस वायरस के बारे में अभी तक कोई भी जानकारी नहीं दी है। चीन के बारे में यह तो जगजाहिर है कि वहां से कोई भी जानकारी बाहर आना आसान नहीं होता। इस बार भी यही हो रहा है। अधिकारिक रूप से उसने इस मामले में अभी तक पूरी गोपनीयता बरती है। लेकिन सोशल मीडिया और सूत्रों के अनुसार चीन में इससे प्रभावित लोग बड़ी तादाद में रोजाना अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। वहां की सरकारी एजेंसियां इसके दुष्प्रभाव को घटाने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं।
एचएमपीवी वायरस के लक्षण सामान्यतः खांसी, बुखार, नाक बंद होने और सांस लेने में परेशानी हैं। यह आमतौर पर शरीर के ऊपरी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है लेकिन कभी-कभी यह शरीर के निचले हिस्से में भी संक्रमण का कारण बनता है। सर्दियों और वसंत ऋतु के शुरूआती दौर में इसका संक्रमण होना आम बात है।
एचएमपीवी और सार्स-कोविड-2 ( कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस) अलग- अलग वायरस फैमिली से सम्बन्धित हैं। यह वायरस काफी पुराना है। इस वायरस को सबसे पहले 2001 में पहचाना गया था। साल 2001 में नीदरलैंड में हुए अध्ययन में यह खुलासा हुआ था कि 1958 में लिए गये सैंपल में इस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता मौजूद थी। अध्ययन में पाया गया है कि यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है। इसलिए इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। एक अध्ययन के मुताबिक दो साल की उम्र तक 54 फीसदी बच्चों में इस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता देखी गयी है। वहीं दो से पांच साल तक के बच्चों में इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सकती है।
हाल ही में चीन में इस वायरस से संक्रमित लोगों की तेजी से बढ़ती तादाद चिंता का सबब है। जापान में भी 15 दिसम्बर 2024 तक 94,000 मामले दर्ज किए गये हैं। अभी तक वहां एचएमपीवी वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 2,18,000 को पास कर गया है।
एचएमपीवी वायरस फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार भी सतर्क हो गयी है। इस बाबत देश के अलग- अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी अपने स्वास्थ्य मंत्रियों को अस्पतालों को व्यवस्था बेहतर करने के निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने जरूरी दवाओं, आईसीयू, आक्सीजन प्लांट व वैंटिलेटर यूनिट को अपडेट करने को कहा है। कारण भारत में दक्षिण के दो राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु में दो-दो और गुजरात में इससे एक पीड़ित रोगी के मिलने से भारत सरकार ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र यानी एनसीडीसी को श्वसन सम्बन्धी व खांसी से जुड़ी बीमारियों पर बारीकी से नजर रखने और इनसे पीडि़त लोगों के इलाज में ढील न बरते जाने के निर्देश दिए हैं। सरकार इस वायरस को लेकर सतर्क है और हर संभव जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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जहां तक इस बाबत विशेषज्ञों का सवाल है, उनका कहना है कि इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है और फ्लू जैसे वायरस की कोविड से तुलना करना सही नहीं है। क्योंकि कॉरोना वायरस पूरी तरह नया वायरस था जिसके खिलाफ किसी में भी प्रतिरक्षा नहीं थी। हां यह सच है कि इसके बावजूद यह संक्रमण गंभीर हो सकता है क्योंकि उसके बाद यह प्रतिरोधक क्षमता कबतक बनी रह सकती है इसकी कोई सीमा नहीं है। यह भी कि यह किसी भी सीजन में संक्रमित कर सकता है। अधिकतर मामलों में यह खुद ठीक हो जाता है लेकिन लक्षण बढ़ने पर तत्काल डाक्टर के पास जाना चाहिए।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के के माइक्रोबायलाजी विभाग के अध्यक्ष डाक्टर ललित दर के मुताबिक 2005 से 2007 के बीच श्वसन तंत्र में संक्रमण की वजह से भर्ती हुए मरीजों में 3.7 फीसदी यानी 11 बच्चों में और पिछले साल पांच फीसदी मरीजों में इसकी पुष्टि हुयी थी। लोगों में इस वायरस की पुष्टि होना कोई नयी बात नहीं है। लेकिन इससे बचाव हेतु सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्ढा ने देश को आश्वास किया है कि इससे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। देश किसी भी चुनौती से निपटने को तैयार है।
यह वायरस व्यक्तिगत संपर्क से, संक्रमित व्यक्ति के किसी सामान के स्पर्श से बढ़ रहा है। इसका अभी कोई टीका और इसकी कोई एंटीवायरल दवा ईजाद नहीं हुयी है। अधिकांश मामलों में लोग लक्षण के अनुरूप उपचार और परहेज से ठीक हो रहे हैं। वैसे विश्व स्वाथ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) के मुताबिक इस वायरस का संक्रमण अक्टूबर 2024 से ही बढ़ रहा है। यह बीमारी मौसमी है, कुछ समय बाद इसका असर खत्म हो जायेगा। अच्छी बात है। लेकिन चीन में ऐसे संक्रमण की बार-बार व्यापकता कहीं बुनियादी स्वास्थ्य की अनदेखी या वहां के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में हो रही कमी का परिचायक तो नहीं है जिससे वहां के लोग बार-बार किसी न किसी प्रकार की ऐसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इसलिये हमें सचेत रहना होगा और इससे बचाव हेतु हमें चिकित्सा के साथ साथ कॉरोना काल के उपायों को अपनाना होगा।
*वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद।