तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नें जब वर्ष 2002 में ‘नदी जोड़ परियोजना’ शुरू करने का निश्चय किया था तब मैंने उनको मिलकर बताया था कि इससे भारत बाढ़ और सुखाड़ मुक्त नहीं बनेगा। उन्होने मेरी पूरी बात को बहुत ध्यान से सुना था। नदियों के साथ भारत के लोगों को जुड़ने से जैसे हमारे काम से बाढ़-सुखाड़ की मुक्ति हुई है, इसी तरह के काम से ही सम्पूर्ण भारत पानीदार बन सकता है। यह बात उन्हें बहुत अच्छी लगी थी और मुझे लखनऊ में एक जल सम्मेलन में बुलाया था, उसमें मैनें अपनी पूरी बात रखी थी। उसे उन्होनें गंभीरता से लिया था।
उन्होनें नदी जोड़ का काम अपने मंत्री सुरेश प्रभु को सौंप दिया था। सुरेश प्रभु ने भी बहुत ईमानदारी से इस पर काम करने की कोशिश की। उनसे उनके घर पर मुलाकात करके एक दिन कहा था कि नदी जोड़ने का काम श्री प्रभु करते है; सुरेश जी को नहीं करना चाहिए। प्रभु हर उस जगह से नदियों को जोड़ते हैं, जहां उनको जरूरत लगती है। यह नदी जोड़ने का काम मानव का नहीं, हमारी धरती पर प्रकृति अपने आप इसे करती रहती है।
मैं पहली बार वर्ष 1976 में वाजपेयी जी मिला था। तब मैं उनकी बातों, उनके सोचने व काम करने के तरीके से बहुत ही प्रभावित और आनंदित हुआ था। मैं, उनके जन्मशताब्दी समारोह में उन्हें बहुत सम्मान और श्रद्धा के साथ नमन करता हूँ।
अटल बिहारी वाजपेयी भारत की जनता पर बहुत विश्वास रखते थे, इसलिए उन्होंने कहा था कि, सामुदायिक विकेंद्रित कार्य ग्रामीण लोग ही कर सकते है, नौकरशाह नहीं कर सकते।
केन – बेतवा लिंक परियोजना (नदी जोड़ ) पर हमने और अन्य कई संस्थानों ने गहन अध्ययन किया था। हमें समझना होगा कि केन-बेतवा नदी क्षेत्र में वर्षा समान रूप से होती है लेकिन एक नदी में ज्यादा पानी बताकर दूसरी नदी में लेकर जाना अव्यवहारिक है। इस केन बेतवा लिंक परियोजना को सरकार द्वारा बाढ़ -सुखाड़ की मुक्ति के तौर पर बताया जा रहा है लेकिन यह बात व्यवहारिक नहीं है ; क्योंकि अभी तक किसी भी बड़े प्रोजेक्ट में से 30% भी क्लेम सिंचाई के पूरे नहीं हुए।
केन – बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत यह नदी जोड़ ढोढन नदी से ऊपर होकर जायेगा। इसलिए यह परियोजना बहुत ही खर्चीली और पर्यावरणीय पारिस्थितिकी के अनुकूल नही है। यह बात हम वर्ष 2002-03 से बहुत जोरों से कह रहे हैं।
कल पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म शताब्दी अवसर परइस परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री करेंगे। लेकिन भारत में नदी जोड़ के बजाए नदियों से लोगों को जोड़ना बाढ़ -सुखाड़ मुक्ति की युक्ति बन सकता है। नदी जोड़ बाढ़ -सुखाड़ मुक्ति की युक्ति बिल्कुल नहीं है।
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के अपने काल के सर्वोच्च प्रकृति और संस्कृति को सम्मान करने वाले राजनेता थे। उनका मन बहुत ही साहित्यिक था। वो कवि हदय और मन से साहित्यिक-संस्कृतिक राजनेता भी थे। वो सम्पूर्ण भारत भूमि और दुनिया को प्यार करते थे। भारत के भी सभी लोग दलगत राजनीति से ऊपर उठकर, उन्हें सम्मान करते थे।
*जल पुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।