आगरा: महिलाओं से बदला लेने के लिए तरह-तरह के दुष्टतापूर्ण माध्यम प्रयोग किए जा रहे हैं, एसिड उनमें से एक घृणित कदम है एसिड यानि तेजाब से हमला। ज्वलनशील पदार्थ महिला के शरीर पर डालना, विशेषकर चेहरे पर, यह पाप कर्म सभ्य समाज कहे जाने वाले लोग करते हैं! ऐसे कदम उठाने वाले को इंसान कैसे कहा जा सकता है?
बड़ी संख्या में मातृशक्ति के चेहरों पर एसिड डाला जाता है। जो घटनाएं घटित हो रही हैं उससे समाज, देश कलंकित हो रहा है। समाज के माथे पर काले धब्बे लग रहे हैं। आज के माहौल में महिलाओं पर अत्याचार, हिंसा, दमन की घटनाएं घटित हो रही हैं। छोटी-छोटी बच्चियों को नहीं बख्शा जा रहा है। महिला को बदलाव नहीं बदला लेने का माध्यम बनाया जा रहा है। उनके प्रति जैसे जैसे व्यवहार हो रहे है, किए जा रहे हैं। उनसे सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, समाज कटघरे में खड़ा होता जा रहा है। मानसिकता निम्न स्तर पर जा रही है। मानवीय सरोकारों को भयंकर चोट पहुंचाई जा रही है। मानवता खंडित हो रही है। सभ्य समाज, विकास, मानवता के चिथड़े उड़ाए जा रहे हैं।
आज आवश्यकता है कि पीड़ित महिलाओं को सम्मान के साथ पुनर्वास मिले। समाज में उन्हें जीने का पूरा अधिकार रहे। ऐसे दुष्कर्म, अपराध को रोकने के लिए समाज में जागृति, जागरण आए। ऐसी अपराधी मानसिकता रखने वाले के लिए कठोर कानून बने।
ऊपर दोनों चित्र आगरा में छांव फाउंडेशन द्वारा निर्मित एक कैफ़े के हैं जिसे शेरोस हैंगऑउट कैफ़े के नाम से जानते हैं। एसिड हमले से पीड़ित बहनों द्वारा संचालित है। शेरोस हैंगऑउट कैफ़े में चाय, जलपान, भोजन उपलब्ध है। बिक्री के लिए कुछ सामग्री भी उपलब्ध है। सादा, स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठा सकते है। सभा, बैठक, संवाद, बातचीत के लिए अच्छा, उपयोगी स्थल है। पुनर्वास के साथ-साथ मान्यता एवं प्रायश्चित का भाव भी नजर आता है। अनुकरणीय उदाहरण है। इसी फाउण्डेशन द्वारा संचालित कैफ़े लखनऊ और कुछ अन्य शहरों में भी है। समाज में जागृति, जागरण, संवाद, पुनर्वास के ऐसे सृजन स्थल सार्थक उपयोगी हैं। जब तक समस्या है, ऐसे स्थल रचनात्मक प्रवृत्तियों को बढ़ावा दे सकते हैं।
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महिलाओं को एक तरफ देवी, लक्ष्मी, पार्वती, राधा, सीता, सावित्री माना जाता है। कन्या पूजन किया जाता है। महिला यानी महान कहा जाता है। यत्र नारी पूज्यंते रमणते तत्र देवता का जाप करते है। महिलाओं का योगदान समाज में लगभग-लगभग प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है। कंधे से कंधा मिलाकर महिलाएं सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, राजनीतिक, साहित्यक, तकनीकी, कृषि, व्यापारिक, पुलिस, सेना ही नहीं आकाश में भी अपना योगदान दे रही है। एक ओर ऐसी छवि है।
दूसरी ओर महिलाओं के लिए जो माहौल बना है उसके बारे में सोच कर भी चिंतित हो जाते हैं। छांव फाउंडेशन ने इस ओर सराहनीय कदम बढ़ाएं है। ऐसे प्रेरक कदमों को हार्दिक समर्थन, सहयोग, सहकार, स्नेह, साथ देना हर नागरिक का परम कर्तव्य है।