कोटा: आज अंतरराष्ट्रीय बांस दिवस है। बांस की उपयोगिता को ग्रामीण समाज में रहने वाले सभी लोग जानते हैं और शहरी समाज के लोग भी अनभिज्ञ नहीं हैं।
यूं तो बांस अनेक रूप में उपयोगी है लेकिन आज के दौर में खेती किसानी में भी है काफी उपयोगी साबित हो सकता है। अक्सर किसान लोग शिकायत करते हैं कि खेत में जंगली सूअर और नीलगाय या अन्य पशु घुस जाते हैं, फसलों को बहुत नुकसान होता है कई जगह सरकार ने बाड़ बंदी करने के लिए कंटीले तारों की तारबंदी के लिए आर्थिक सहयोग भी शुरू किया है। जो पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।
हमारे देश के किसानों को समझना होगा की बाड़ बंदी के लिए सरकारों पर निर्भर न रहा जाए और किसानों को चाहिए कि अपने खेत की मेड़ों पर बांस लगा दें जिस की खेत भी सुरक्षित हो जाएगी और आवश्यक कार्य के लिए बांस भी उपलब्ध हो जाएगा।
बांस के पेड़ पर्यावरण सुधार और कार्बन के उत्सर्जन में कमी के लिए बहुत बड़ा संसाधन हो सकते हैं जिस पर आज सारे विश्व के लोग मंथन कर रहे हैं। बांस के अनेक उपयोग के बीच पौधा रोपण में ट्री गार्ड के रूप में भी इसका उपयोग होने लगा है। लोहे के ट्री गार्ड चोरी होने के साथ ही कुछ समय बाद उसी पौधे के लिए बोझ बन जाते हैं। लोहे के ट्री गार्ड को पौधे पर से निकालना बहुत बड़ा श्रम का कार्य है जो कोई नहीं करता।
बांस की खेती को हम मिश्रित खेती के स्वरूप से जान सकते हैं। गांव में और देश के विभिन्न भागों में कई जगह के जागरूक किसान इस प्रकार का प्रयोग कर रहे हैं बिना किसी वित्तीय सहायता और बिना विशेषज्ञ ज्ञान के बावजूद।
कोटा शहर में भी बस के ट्री गार्ड बनने लगे हैं और सफलतापूर्वक चल भी रहे हैं।सरकार को भी चाहिए कि बांस की पौध भी नर्सरी में बड़े स्तर पर की जाए और किसानों को इन्हें लगाने को प्रेरित किया। बांस की बाड़ बनाई जा सकती है,जो खेत को बचाती है और आर्थिक विकास भी करती है।
*स्वतंत्र पत्रकार एवं पर्यावरणविद्