‘‘मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है।’’
चंबल के पांच बुजुर्ग लोगों के साथ राजेंद्र सिंह करौली जिले के चौड़कियां कला गांव पहुंचे थे। इस गांव में ब्याही गई भगवती राजेंद्र सिंह के पुराने कार्य क्षेत्र अलवर जिले से ही थी। भूखों मरते मां-बाप ने भगवती को जगदीश से पांच हजार रुपए लेकर, उसके साथ भेज दिया था।
जब भगवती को उसका पति जगदीश लेकर गया था, तब इस क्षेत्र में खेती-पानी कुछ नही था। जगदीश बहुत बड़ा गैंग लीडर बन गया था। शादी के कुछ ही दिन बाद वह तो भगवती को भूल ही गया था। 7 वर्षों तक भगवती से मिलने ही नहीं आया। भगवती दुखी होकर अपने मां-बाप के पास चली आई। गांव में तब खेती होने लगी थी। भगवती ने अपनी मां से पूछा कि यह खेती कैसे होने लगी। मां ने कहा कि, यहां एक डॉक्टर आया है जिसने हमारी जमीन और पानी का इलाज कर दिया है। तब भगवती ने कहा कि, “मां उसे तो हमारे चौड़कियां कला भेज दो। वहां जमीन बहुत है, पानी नहीं हैं। पानी होगा तो खेती भी होने लगेगी। मैं खेती में गुजर बसर कर लूंगी। आपके उपर बोझ नहीं बनूंगी।’’ भगवती की मां ने राजेंद्र सिंह से आग्रह किया। राजेंद्र सिंह इन बुजुर्गो के साथ चंबल के गांव चौड़कियां कला पहुंचे। यहां भगवती ने अपने जमीन पर बांध बनाने का आग्रह किया। राजेंद्र सिंह ने कहा कि, हमारे पास बांध बनाने हेतु धन नहीं है, परंतु आपका बांध बनवाने के लिए दान दाताओं से प्रार्थना करूंगा।
राजेंद्र सिंह ने भगवती का बांध बनवा दिया। बांध का काम पूरा होने पर अच्छी वर्षा हुई और पानी के साथ पत्ते-मिट्टी भी बांध में आ गए। इसमें भगवती ने वर्षा के बाद सरसों की फसल बो दी थी। सर्दियों में भी अच्छी वर्षा हुई तो बिना सिंचाई के ही सरसों की अच्छी फसल हो गई। सरसों की कमाई से भगवती ने अपने पति के लिए वस्त्र खरीदे।
भगवती ने अपने पति को वस्त्र भेंट करने हेतु तिथि तय करके, राजेंद्र सिंह को भी उसी दिन बुलाया। राजेंद्र सिंह ने भगवती के पति को उसकी कमाई के वस्त्र भेंट किए। वस्त्र भेंट देखकर जगदीश भव-विभोर हो गया। जगदीश बड़ा गैंग लीडर बन गया था, इसलिए इसका नाम बदलकर निर्भय रख लिया था और लोग उसे इसी नाम से जानने लगे थे। निर्भय पत्नी के लाए वस्त्र पाकर भाव-विभोर हो गया और बोला कि, “अब मैं इसी के साथ रहूंगा और बंदूक नहीं चलाऊंगा। अपनी पत्नी के लाए वस्त्र पहनकर, अब बस इसी के साथ रहूंगा।’’ गैंग के दूसरे लोगों ने कहा कि, “आपको इनके साथ पुलिस नहीं रहने देगी।’’ सभी की बातें सुनकर निर्भय ने कहा कि, “अब तुम लोग जाओ; राजेंद्र सिंह सब देख लेंगे’’।
पानी के काम ने निर्भय के मन में इतना बड़ा परिवर्तन पैदा करना बहुत बड़ी घटना है। यह भगवती के काम, व्यवहार और सदाचार ने निर्भय के मन में विश्वास बनाया। इसी विश्वास को और गहरा करने में तत्कालीन राजस्थान पुलिस महानिदेशक और पुलिस अधीक्षक आदि ने समय पर अपना कर्तव्य पूरा करके, इसे अधिक विश्वास में बदल दिया। प्यार का व्यवहार और सदाचार ही विश्वास को गहरा बनाता गया।
ऐसे ही मानव के प्यार का जोर, पत्थर को पानी बना देता है। ऐसा पत्थर का पानी बनना अनुशासन, निर्भयता, प्यार, व्यवहार और जीवन के सदाचार से संभव बन जाता है। जगदीश को अपने अपराधों, केसों से मुक्ति मिलते ही वह तरुण भारत संघ साथ पूर्णकालिक जुड़कर काम करने लगा। धीरे-धीरे उसने बहुत लोगों को पानी के काम में लगाना शुरू किया। पत्थर को पानी बनाने में जुट गया। राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में तरुण भारत संघ द्वारा मंडरायल, सपोटरा, चौडकियां कला, नैनिया की गुवाड़ी, खजूरी, रायबरेली आदि गांवों में किए गए जल संरक्षण के सैकड़ों कामों से महेश्वरा नदी को पुनर्जीवित करने में सफल हुआ। महेश्वरा नदी पुनर्जीवित होते ही डांग क्षेत्र के दोनां किनारों पर बसे लोगों को भी पुनर्जीवित कर दिया।
जब नदी सूखती है, तो सभ्यता भी सूख जाती हैं। महेश्वरा पुनर्जीवित हुई तो यहां की सभ्यता और संस्कृति भी पुनर्जीवित हो गई। एक नदी अपने पास की नदियों को भी पुनर्जीवित करने में जुट जाती है। महेश्वरा नदी के काम से नेहरो, सैरनी, भावनी और भमाया आदि 21 नदियों में सभ्यता का पुनर्जीवन आरंभ हो गया।