– अनिल शर्मा*
लखनऊ: 86 वर्षीय प्रख्यात समाजसेवी रामकृष्ण शुक्ला कहते हैं बुंदेलखंड में रात को बूढ़ी महिलाएं जब दुखी होती हैं तो रोती हुए यह गाती हैं – ‘बुंदेलखंड वारो को कोऊ सुनबेारो न इया़‘।
इसी गीत के बोल को चरितार्थ करते हुए उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भाजपा की 45 पदाधिकारियों सहित आज जो जम्बो टीम घोषित की है उसमें प्रदेश के स्तर पर बुंदेलखंड क्षेत्र से एक भी पदाधिकारी नहीं है।
बुंदेलखंड को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सत्ता में, चाहे वह केंद्र की सरकार हो अथवा उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार, उचित महत्व नहीं मिला हैं। पर यहाँ के लगभग दो करोड़ वासियों को यह उम्मीद नहीं थी कि आगामी लोक सभा चुनाव वर्ष 2024 को ध्यान में रखते हुए राज्य भाजपा के 45 पदाधिकारियों की टीम में भी उनके क्षेत्र से एक भी पदाधिकारी बनाने की जरुरत नहीं समझी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार में बुंदेलखंड से केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा को शामिल किया गया है वही एकमात्र प्रतिनिधित्व है, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की कैबिनेट में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को कैबिनेट स्तर का जल शक्ति मंत्री बनाया गया है। हालाँकि पूर्वाचंल के होने बावजूद स्वतंत्र देव सिंह की कर्म भूमि बुंदेलखंड रही है। यहीं से वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के होल टाइमर बने फिर भाजपा के प्रदेश महा मंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष बने| बाद मे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने। बुंदेलखण्ड मे इतने वर्ष बिताने के जब स्वतंत्र देव सिंह को जब वर्ष 2017 में परिवहन विभाग का मंत्री बनाया गया तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी ने उन्हें बुंदेलखंड के कोटे से ही बनाया इतना बड़ा राजनीतिक कद होने के कारण स्वतंत्र देव सिंह के आगे बुंदेलखंड का और कोई नेता उठ नहीं पाया क्योंकि किसी भी बुंदेलखंड से जुड़े नेता की पकड़ पार्टी और सरकार में नहीं थी।
अभी बीती 20 मार्च को जलशक्ति मंत्री की त्रियोदशी मिर्जापुर के उनके गांव मे हुई जिसमें 30 हजार से ज्यादा लोगो ने शिरकत की। लेकिन पूर्वांचल के होने बावजूद स्वतंत्र देव सिंह दो-दो बार मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने बुंदेलखंड कोटे से मंत्री बनाया है। रामकेश निषाद तिंदवारी बांदा निवासी को जल शक्ति विभाग में राज्य मंत्री बनाया गया है। इसी तरह ललितपुर के मनोहरलाल मन्नू को को फिर से राज्य मंत्री बनाया है।
मालूम हो कि बुंदेलखंड के 7 जनपदों में लंबे अरसे से लोक सभा की 4 सीटें हैं। जालौन लोक सभा की सुरक्षित सीट है। झाँसी, बांदा, हमीरपुर तीन सामान्य लोक सभा सीटें हैं।
एक समय में परिसीमन के पहले बुंदेलखंड में विधानसभा की कुल 21 सीटें हुआ करती थी परिसीमन के दौरान 2 विधानसभा सीटें कम हो गई। इससे बुंदेलखंडवासियों को झटका बहुत लगा। लेकिन इसके विरोध में वे जन आन्दोलन नहीं कर पाए जिसके कारण देश में सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक बुंदेलखंड में 2 विधानसभा सीटों का नुकसान हो गया। कितनी अजीब बात है कि पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में फिर योगी मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड के जनप्रतिनिधियों को बुंदेलखंड के पिछड़े क्षेत्र के हिसाब से सत्ता में भागीदारी नहीं मिली।
उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने लंबे समय बाद जो 45 सदस्य प्रदेश की भाजपा की टीम घोषित की है इसमें 18 प्रदेश उपाध्यक्ष, 6प्रदेश महामंत्री और 16 मंत्रियों की नियुक्ति की गई है जबकि मनीष कपूर को लगातार दूसरी बार प्रदेश कोषाध्यक्ष बनाया गया है। पूरे प्रदेश की जातीय और क्षेत्रीय समीकरण देखने के बावजूद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी ने प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्र बुंदेलखंड के नेताओं को प्रदेश के लोगों की आशा के विपरीत संगठन में कोई महत्व नहीं दिया और बुंदेलखंड वासियों के हाथ खाली रह गए।
*वरिष्ठ पत्रकार