टिपण्णी: सवर्ण वर्ग को आरक्षण
– डा. रक्षपाल सिंह*
सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण दिए जाने की केंद्र सरकार के फैसले पर मोहर लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के निर्णय का स्वागत है। इस महत्वपूर्ण फैसले से एक ओर जहां सवर्ण वर्ग की जातियों यथा ब्राह्मण, ठाकुर, कायस्थ, वैश्य, भूमिहार, त्यागी, शेख- सैयद- मुगल -पठान आदि जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर एवं गरीब लोगों को राहत मिलेगी, तो वहीं दूसरी ओर विभिन्न वर्गों में आपसी सौहार्द एवं सद्भाव को बढ़ावा भी मिलेगा।
पिछड़े वर्ग की जातियों को गरीबी के आधार पर उन्हें आरक्षण दिए जाने का मुद्दा सर्व प्रथम सवर्ण वर्ग में जन्मे स्व० डा. राम मनोहर लोहिया ने ही उठाया था और जनता पार्टी के कार्यकाल में पिछड़े वर्ग की जातियों को आरक्षण दिए जाने हेतु बनाये गए मंडल कमीशन की रिपोर्ट्स को लागू कराने के लिए 1981से लेकर 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व० विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा मंडल कमीशन की संस्तुतियों को लागू करने की घोषणा तक देश में हुए धरना, प्रदर्शन एवं जेल भरो आंदोलनों में पूर्व प्रधानमंत्री स्व० चौ० चरण सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
उल्लेख्य है कि जाट जाति सवर्ण वर्ग में ही थी एवं पिछड़े वर्ग की जातियों को आरक्षण दिए जाने के लिए संघर्ष करने वाले उक्त महत्वपूर्ण आंदोलनकारियों में अधिकांश सवर्ण समाज के ही नेतागण थे। ज्ञात हो कि उस वक़्त चौ देवीलाल, जनेश्वर मिश्र, मधु लिमये, मधु दंडवते, हेमवती नंदन बहुगुणा, श्याम नंदन मिश्र, प्रकाश सिंह बादल, कुंवर रेवतीरमण सिंह, मोहन प्रकाश, आदि सवर्ण नेताओं ने पिछड़े वर्ग की जातियों को आरक्षण दिए जाने का समर्थन किया था ।
यह अफ़सोस की बात है कि जब 2019 में केंद्र सरकार ने 103वें संविधान संशोधन के जरिए सवर्ण गरीबों को 10% आरक्षण देने की व्यवस्था की थी तो विपक्षी दलों के पिछड़े वर्ग के कतिपय बड़े नेताओं ने सवर्ण समाज के शीर्षस्थ नेताओं द्वारा मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू कराने में किये गए महत्वपूर्ण योगदान को भूलकर सवर्णों के आरक्षण का बेवजह अनुचित विरोध किया एवं आश्चर्य इस बात का भी है कि सुप्रीम कोर्ट से गरीब सवर्णों को मिले न्याय पर पिछड़े वर्ग के वे ही नेतागण आज किंतु -परंतु की नीति अपना रहे हैं।
*लेखक शिक्षाविद, तथा डा० बी.आर. अम्बेडकर विश्व विद्यालय, आगरा शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं धर्म समाज कालेज, अलीगढ़ के पूर्व विभागाध्यक्ष हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।