विरासत स्वराज यात्रा
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
आज दिनांक 9 अक्टूबर 2021 को विरासत स्वराज यात्रा दिल्ली में रही। आज भारत की विरासत यमुना की यहाँ के कलेक्टर विश्वेन्द्र जी, एडीएम तिवारी, तहसीलदार सुनील कुमार जी और विभिन्न अधिकारी दो नावों से पूरी यमुना की यात्रा की। इस दौरान देखा, समझा और नाव से कालंदी पुल से लेकर ओखला बैराज तक यात्रा की। यहाँ दिखता है कि नदी के दोनों तरफ अति गंदगी है। नदी में खड़ा होना भी बहुत मुश्किल है। नदी के हालात बहुत ही खराब हो गए है। बहुत बड़े-बड़े नाले यमुना में मिलते हैं। नदी में जलकुंभी भयानक रुप से पैदा हो रही है। दूसरी तरफ जल को साफ करने वाले पटेरा, बाँसी आदि सब भी मौजूद है, लेकिन जल की धारक क्षमता से ज्यादा गंदगी इस नदी को प्रदूषित कर रही है। यह नदी ऐसी लगती है, जैसे मैला ढोने वाली मालगाड़ी बन गई हो।
नदी की यात्रा करके, बहुत सारी बातें समझ में आयी। इस नदी में जो 22 गंदे नाले मिलते हैं, उन नालों के स्थान पर बहुत बदबू आती है और पानी का कालापन स्पष्ट रुप से दिखता है। अर्थात् आज यमुना नदी को इन नालों ने एक बड़े नाले में बदल दिया है। उनको रोककर इससे अलग कर दिया जाए और मिट्टी का कटाव रोकने के लिए बांसी और पटेरा लगा दिया जाए, तो फिर इस नदी में मिट्टी का कटाव नहीं होगा।
पूरा यमुना नदी की यात्रा करने के बाद दिल्ली सचिवालय में संजीव जी ( दिल्ली पर्यावरण सचिव) की अध्यक्षता में पूर्व दक्षिण दिल्ली, पूर्व उत्तर दिल्ली और यमुना से संबंधित तीन जिलों के कलेक्टरों, जंगल विभाग के मुख्य अधिकारी और सिचाई विभाग के चीफ इंजीनियर, संबंधित विभागों के मुखिया आदि सभी के साथ एक बैठक की। । जिसमें मैंने यमुना को ठीक करने वाली विधि की प्रस्तुती की और जाना कि क्या-क्या काम तत्काल करने जरूरी है। क्या काम आगे करने चाहिए इस पर विचार रखें। इस बैठक में मैंने अपना राजस्थान का अनुभव बताया और कहा कि यमुना पर तीन खतरे हैं – अतिक्रमण, प्रदूषण और जल का शोषण। इन सभी का अलग-अलग समाधान ढूंढ़ना पड़ेगा। यदि इनका समाधान नहीं ढूंढा गया, तो यमुना कभी ठीक नहीं होगी।
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इस लम्बी बातचीत के दौरान मैंने कहा कि इन तीनों खतरों से नदी को मुक्त करना बहुत जरुरी है। दक्षिण पूर्व के जिला कलेक्टर विश्वेन्द्र सिंह अपने जिला क्षेत्र में यमुना से जल कुंभी निकालकर, साफ करने में जुट गए हैं । यह 21 दिनों का कार्यक्रम बराबर चलेगा। जिस तरह से इस कार्यक्रम का प्लान किया गया है, उस हिसाब से यह 21 दिन में गंदे जल का निराकरण कर सकते है। नवरात्र के अवसर पर यमुना जी में से जल कुंभी निकालकर, जिससे यमुना का कटाव न हो और आस-पास हरियाली बढ़ सके। यमुना जी को अविरल और निर्मल बनाने के लिए दो कदम बढ़ा सके, अब यमुना जी की निर्मलता और अविरलता बहुत ही कठिन सवाल है। फिर जितना संभव हो यमुना जी की स्वच्छता के लिए कदम बढ़ा कर एक कोशिश करनी चाहिए। यमुना जी को अविरल बनाने का काम बहुत कठिन ही दिखता है, क्योंकि ऊपर यमुना जी बाँधों में बंध कर रुक गई है। इन अवरोधों को अब हटाना बहुत कठिन दिखता है। लेकिन यदि अविरलता की बात छोड़ भी दें, तो निर्मलता के लिए काम करने हेतु हमें यमुना जी के दोनों तरफ किनारों पर जो सबसे ज्यादा नाले दाँयें तरफ से आते है, यह नाले जहाँ भी यमुना जी में मिल रहे हैं, यह नाले जहाँ से शुरू होते है, वहीं से इनको ठीक करने के लिए बहुत पैसा पहले खर्च हो चुका है, लेकिन यह ठीक नहीं हुए हैं। यह अभी भी वैसे ही हैं जैसा मैंने 2008-09 में यमुना जी की यात्रा के दौरान देखे थे।
यात्रा के उपरांत मैंने कहा कि यमुना को ठीक करने के लिए खर्चा तो बहुत किया है, लेकिन यमुना का स्वास्थ्य ठीक हुआ नहीं है। यमुना जी का स्वास्थ्य लगातार घटता ही जा रहा है। यमुना जी के जल का प्रदूषण और शोषण बढ़ता ही जा रहा है लेकिन यमुना जी का दिल्ली की सीमा पर अतिक्रमण थोड़ा कम हुआ है। दिल्ली में अतिक्रमण तो भले ही थोड़ा कम हुआ हो, लेकिन जल का शोषण बढ़ता ही जा रहा है। इनको रोकने के लिए बायोसैनेटाइजर से इसको सैनेटाइज करके देखना चाहिए। यमुना पर अतिक्रमण तो उत्तरप्रदेश और हरियाणा में बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।