राष्ट्रीय संविधान दिवस – 26 नवंबर
प्रशांत सिन्हा
26 नवंबर को संविधान दिवस का आयोजन राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए। संविधान मनाने और जानने में ही भारतीय लोकतंत्र का भविष्य निहित है। सरकारें भी मानती हैं आम जनता के बीच उनके मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरुकता की आवश्यकता है।इसका प्रसार आम जनता के बीच होना चाहिए ताकि भारतीय नागरिक होने के नाते लोग अपने दायित्वों का निर्वाह बेहतर तरीके से कर सकें।
संविधान में मूल कर्तव्य है। मूल अधिकारों का दायरा बड़ा है। वैसे ही मूल कर्तव्य की व्यापकता भी है। अधिकार भोग के साथ कर्तव्य पालन भी प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। संविधान ( अनुच्छेद 51 ए ) में मूल कर्तव्यों की सूची है। कुल 11 मौलिक कर्तव्य इस प्रकार है :
- संविधान का पालन करें और उनके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज, और राष्ट्र गान का आदर करें।
- स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें।
- भारत की संप्रभुता , एकता व अखंडता की रक्षा करें ।
- देश की रक्षा करें और बुलाए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
- भारत के सभी भागों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का विकास करें जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे है और ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरूद्ध है।
- समन्वित संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और संरक्षण करें।
- वन, झील, नदी और वन्य जीव आदि प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें। प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण , मानवता ज्ञानिजन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें।
- व्यक्तिगत व सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों के उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें ताकि राष्ट्र निरंतर प्रगति व उपलब्धि की नवीन ऊंचाईयां छू सकें।
विश्व का सबसे बड़ा संविधान है भारत का संविधान। इस का उद्देश्य ” हम भारत के लोग ” की ऋद्धि सिद्धि और समृद्धि है। संविधान पूर्ण दस्तावेज है। भारत का संविधान लचीला और नरम है।
संविधान स्वयं शक्ति संपन्न नहीं होता। डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अंतिम भाषण में ठीक कहा था ” संविधान चाहे जितना अच्छा हो यदि उसे संचालित करने वाले बुरे है तो वह निश्चित ही बुरा ही जाता है। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने कहा था ” संविधान किसी बात के लिए उपबंध करे या न करे देश का कल्याण उन व्यक्तियों पर निर्भर करेगा जो देश पर शासन करेगा।
जनता और शासक दोनों के द्वारा समय समय पर दुरुपयोग हुआ है। न तो शिक्षित जनता और न ही राजनैतिक दलों के तमाम लोगों को संविधान की जानकारी है। इसलिए संविधान के प्रति जागरूकता लाने के लिए समय समय पर कार्यक्रमों की आयोजन करना चाहिए।
संविधान मानने और जानने में ही भारतीय लोकतंत्र का भविष्य निहित है।