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सप्ताहांत विशेष
सामाजिक न्याय वाले देश में यह क्या हो रहा है?
– ज्ञानेन्द्र रावत*
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बीते दिनों हुई एक चर्चा से मेरा मन व्यथित हो गया। उसके बाद कुछ लिखने से खुद को रोक नहीं पाया। सबसे पहले गर्व को ही लें जिसकी हर मौके-बेमौके जिक्र होती ही रहती है। हमारा देश गर्व करने में किसी से पीछे नहीं है बल्कि यहां थोक में गर्व की डिस्ट्रीब्यूटर शिप दी जाती है। वह चाहे धर्म का मसला हो, बेईमानी का हो, चोरी का हो या नैतिकता का, वैसे देश में नैतिकता केवल कहने भर के लिए शेष रह गयी है, राजनीति में तो कतई नहीं। फिर भी राजनेता नैतिकता, चरित्र ,ईमानदारी और आदर्श का ढिंढोरा पीटने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जैसे इस सबका ठेका इन्होंने ही ले रखा है। यह हमारे देश की संस्कृति और विविधता की परिचायक है।
विडम्बना कहें या खासियत कि दुनिया का सबसे छोटा संविधान चीन का है जहां कोई भी अपराधी बचता नहीं है। जबकि दुनिया में सबसे भारी भरकम संविधान हमारे देश भारत का है। कहा यह जाता है कि इसके बावजूद यहां कोई अपराधी फंसता ही नहीं है।
अब जरा सरकारी सरकारी राशन की दुकान पर जमा भीड़ का नजारा देखिये। जहां हाथ में ₹ 20,000 का मोबाइल लेकर, ₹ 70,000 की बाइक पर बैठकर 2 रुपये किलो चावल लेने आते हैं ये गरीब कहलाने वाले लोग। सरकार के हिसाब से यह ही असली गरीब हैं।
यह तो विडम्बनाओं का देश है एक आध की बात दीगर है लेकिन असलियत यह है कि जहां हाथ मे ₹ 50,000 रुपये का फोन और चेहरे पर ₹ 10,000 का चश्मा लगाने वाली उन महिलाओं को देश की राजधानी दिल्ली मे बस का सफर फ्री कर दिया गया है। इस पर ही तो हम गर्व कर सकते हैं।
फिर एक और नजारा देखिए। यहां पर बैंक में जनधन खाते से पांच सौ रुपए निकालने के लिए पति सतर हजार की मोटरसाइकिल पर पत्नी को लाता है और पूछता है के अगले पैसे कब आयेंगे। यही तो हमारे देश की सुंदरता है।फिर भी कहते है के सरकार कुछ नहीं कर रही है।
जिस देश में नसबन्दी कराने वाले को सिर्फ़ ₹1500 मिलते हों और बच्चा पैदा होने पर ₹6000 मिलते हों तो जनसंख्या कैसे नियन्त्रित होगी?
एक बादशाह ने गधों को क़तार में चलता देखा तो धोबी से पूछा, “ये कैसे सीधे चलते है..?” धोबी ने जवाब दिया, “जो लाइन तोड़ता है उसे मैं सज़ा देता हूँ, बस इसलिये ये सीधे चलते हैं।” बादशाह बोला, “मेरे मुल्क में अमन क़ायम कर सकते हो..?” धोबी ने हामी भर ली।
धोबी शहर आया तो बादशाह ने उसे मुन्सिफ बना दिया, और एक चोर का मुक़दमा आ गया, धोबी ने कहा चोर का हाथ काट दो। जल्लाद ने वज़ीर की तरफ देखा और धोबी के कान में बोला, “ये वज़ीर साहब का ख़ास आदमी है।”
धोबी ने दोबारा कहा इसका हाथ काट दो, तो वज़ीर ने सरगोशी की कि ये अपना आदमी है ख़याल करो। इस बार धोबी ने कहा, “चोर का हाथ और वज़ीर की ज़ुबान दोनों काट दो, और एक फैसले से ही मुल्क में अमन क़ायम हो गया…।
बिलकुल इसी न्याय की जरुरत हमारे देश को है ।
सरपंच की सैलरी ₹ 3000 से लेकर ₹ 5000 तक होती है । समझ में नहीं आता है 2 साल बाद वह स्कॉर्पियो फॉर्च्यूनर कहाँ से ले आते हैं……? सभी जनप्रतिनिधियों से सम्बन्धित है यह कहानी। यह है हमारे भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नजारा । इस पर हमें गर्व है और रहेगा। यही हमारी एकता का प्रतीक है। गर्व है कि इसका हमने समय समय पर प्रमाण दिया है और दे भी रहे हैं। यही भारत है। आत्मनिर्भर भारत।
*लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं चर्चित पर्यावरणविद हैं।
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