संस्मरण
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
अमेरिका को लम्बे युद्ध में हराने वाला वियतनाम आज दुनिया का ऐसा विकासशील देश है, जहाँ 95 प्रतिशत शिक्षित और 98 प्रतिशत रोजगारसुधा लोग रहते है। यूँ तो यह आदिवासियों का देश है, जहाँ प्राकृतिक आस्था में अटूट विश्वास और गहरे काम की लगन है।
मैं जल नैतिकता-न्याय यात्रा के दौरान जब इस देश में गया तो यहाँ भी जल का प्रदूषण दूसरे देशों की अपेक्षा कम है। पानी के लूट की लड़ाई और पानी पर व्यापार करने वाली कम्पनियों का वर्चस्व अन्य गुलाम रहे देशों जैसा नहीं है। इसलिए यहाँ जलवायु परिवर्तन के विस्थापन से विनाश और विस्थापन से होने वाले तीसरे विश्व युद्ध में वियतनाम की भूमिका नजर नहीं आती।मेरी विश्व शान्ति जल यात्रायें – 17938 ई. चीन के साथ बॉच डाँग नदी की लड़ाई में विजय हासिल करनें के बाद वियतनाम के लोगों को चीन से अलग होकर स्वतंत्रता हासिल ली। यह 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बना।
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वियतनाम का तीन चौथाई क्षेत्र पहाडों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है।वियतनाम की लंबी सीमा के कारण यहाँ की जलवायु परिस्थितियाँ काफी विविध है। इस देश में बहुत छोटी-बड़ी नदियाँ है। यहाँ सबसे बड़ी और सबसे पूर्ण बहने पाली मेकांग और होंगा है। जो दक्षिण चीन सागर से बहती है। इस देश में तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले के भंडार के साथ, वियतनाम में विद्युत ऊर्जा के विकास की संभावनाएँ है और यहाँ कई पनबिजली स्टेशन भी है।
वहाँ का भोजन, रहन-सहन आदि बहुत सस्ता है। यहाँ का परम्परागत खान-पान, रहन-सहन, बोलचाल बहुत ही सहमी है।
ये अपने पराम्परागत रहन-सहन का बहुत सम्मान करते है, खासकर महिलाऐं। यूँ तो इनका रहन-सहन भारतीय जैसा लगता है। कुल मिलाकर हम समझ सकते है कि इस देश में अभी एशिया के दूसरें देशों जैसा विस्थापन नहीं है। इन्होंने लम्बे युद्ध के बावजूद अपनी खेती किसानी को बचाकर रखा है। आज भी सबसे ज्यादा रोजगार इन्हें खेती में ही मिल रहा है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रकाशित लेख उनके निजी विचार हैं।