गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों से मिलने पहुंचा विपक्ष के सांसदों का एक दल । फोटो सौजन्य ट्विटर। @हरसिमरत कौर बादल
“सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को आंदोलनकारी किसानों से मिलने से रोकना गलत”
गाजियाबाद: यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज आरोप लगाया कि सरकार किसानों द्वारा कृषि क़ानून के विरोध में हुए आंदोलन को लंबा चलाना चाहती है और आंदोलन को लंबा खींचने के लिए एक फार्मूला बताया। उन्होंने कहा: “हर गांव से एक ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन के फार्मूले पर काम करो, फिर आंदोलन चाहें 70 साल चले, कोई दिक्कत नहीं है।”
इस फार्मूले पर विस्तार से समझाते हुए उन्होंने बताया कि गांव के लोग आंदोलन के लिए नंबर बांध लें। उन्होंने कहा कि हर गांव के 15 आदमी 10 दिन तक आंदोलन स्थल पर रहें और उसके बाद दूसरे 15 आदमी आ जाएं। पहले वाले गांव में जाकर अपना खेत देखें।
आज विपक्ष के सांसदों को गाजीपुर आने से रोके जाने को गलत ठहराते हुए टिकैत ने कहा कि सांसद लोकतंत्र की आवाज है। ज्ञात हो आज शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल की अगुवाई में 10 विपक्षी दलों के 15 सांसदों का एक दल किसानों से मिलने के लिए गाजीपुर सीमा पर पहुंचने से गुरुवार को पुलिस द्वारा रोक दिया गया। बादल के अनुसार, विपक्षी नेताओं को बैरिकेड पार करने और विरोध स्थल तक पहुँचने की अनुमति नहीं दी गयी थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री बादल, जिन्होंने नरेंद्र मोदी के कैबिनेट से तीनों कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा दिया था, ने कहा कि विपक्षी नेताओं को विरोध स्थल पर 3 किमी चलने के लिए मजबूर किया गया। “हम यहां हैं ताकि हम इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कर सकें। विधानसभा अध्यक्ष हमें इस मुद्दे को उठाने नहीं दे रहे हैं। अब सभी पक्ष इस बात का विवरण देंगे कि यहाँ क्या हो रहा है, ” उन्होंने कहा।
Today 15 MPs representing different political parties from Kashmir to Kanyakumari went to #GhazipurBorder to express solidarity with farmers & demand imm repeal of the 3 hated #FarmLaws. We also demand an end to atrocities being meted out to peacefully agitating farmers. pic.twitter.com/bvilkFFiLM
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) February 4, 2021
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, द्रविड़ मुन्नेत्र कज़हाघम की कनिमोझी और तिरुचि शिवा, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरएसपी और आईयूएमएल के सदस्य भी इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।
टिकैत ने कहा कि वे लगातार सरकार से बात करने के लिए कह रहे हैं लेकिन सरकार बात नहीं कर रही – “हम मंच और मीडिया के माध्यम से सरकार से बात करने के लिए कहते रहेंगे। अब यह सरकार को देखना है कि उसके पास किसानों के लिए कब समय है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है।” किसानों से बात न करना और दिल्ली की किलेबंदी करना सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है। देखते हैं सरकार कब तक किसानों की परीक्षा लेती है,” उन्होंने कहा और दावा किया कि किसान शांतिपूर्वक दिल्ली की सीमा पर बैठा है। उन्होंने मंच से अपने समर्थकों को चेताया कि आंदोलन स्थल से कोई भी आदमी गलत भाषा का इस्तेमाल न करे। “वोट की नहीं यह रोटी की लड़ाई है। सियासी लोगों को मंच पर आने से मना किया गया है तो कोई भी ऐसा आदमी मंच पर नहीं आता। सियासी लोग मंच की मर्यादा का पालन करते हुए किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं,” उन्होंने कहा और साथ ही आंदोलन स्थल पर पहुंचने वाले विभिन्न दलों के विधायकों और सांसदों को मेहमान स्वरूप बताया और इस बात के लिए आगाह भी किया यहां वोट की बात कोई नहीं करेगा। “हम मंच का सियासी इस्तेमाल नहीं होने देंगे। नेताओं को न मंच देंगे और न माइक देंगे,” उन्होंने घोषणा की। टिकैत ने मंच से असंसदीय भाषा के प्रयोग करने की मनाही के साथ ही यह भी कहा कि यदि कोई ऐसी भाषा का प्रयोग करता है तो आंदोलन उसका समर्थन नहीं करता।
इंटरनेट बंद किए जाने पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि यह बच्चों को न पढ़ने देने की साजिश है। “स्कूल पहले से ही बंद हैं अब सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया, बच्चे पढ़ेंगे कैसे?” साथ ही फेसबुक पर भारतीय किसान यूनियन के पेज को बंद करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि फेसबुक पेज को बंद करना लोकतंत्र में बात कहने से रोकना है। “आजादी में बात कहने का अधिकार है,” उन्होंने कहा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो