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रविवार पर विशेष
– रमेश चंद शर्मा*
नहीं भुलाए जाते, अपने बचपन वाले दिन
खूब रूठकर जल्दी से मन जाने वाले दिन
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दादी, नानी, ताई, चाची के कहानी वाले दिन
सूखी रोटी गुड़ मलाई खाने वाले दिन
ज्येष्ठ दुपहरी में बिन चप्पल वाले दिन
पट्टेदार पजामा में शादी निपटाने वाले दिन
शादी में साबुन, तेल लगाने वाले दिन
शर्त में सौ लड्डू जलेबी खा जाने वाले दिन
दो पैसे कायदा, एक आने की स्लेट वाले दिन
नीम की छांव में मास्टर जी के पढ़ाने वाले दिन
छोटी सी गलती पर मुर्गा बन जाने वाले दिन
बात बात पर थप्पड़, घूसे लग जाने वाले दिन
एक साथ कई दल के बैज लगाने वाले दिन
बैलजोड़ी, दीपक, वट के निशान वाले दिन,
बिन पैसों के सभी दलों के नारे वाले दिन
नेताओं पर विश्वास करने वाले दिन
बिनाका गीत माला सुनने वाले दिन
रेडियो सिलोन की धूम मचाने वाले दिन
पंचशील को दुनिया में फैलाने वाले दिन
चीन पाकिस्तान से लड़ाई वाले दिन
रुस से दोस्ती निभाने वाले दिन
रेडियो झूठीस्तान सुनने वाले दिन
प्रिवी पर्स, बैंक राष्ट्रीयकरण वाले दिन
गरीबी हटाओ का नारा लगाने वाले दिन
गठबंधन की सरकार बन जाने वाले दिन
सर्वोदय, भूदान, ग्राम दान वाले दिन
युवा बनाम तरुण के शिविर लगाने वाले दिन
बंगला देश को नया देश बनाने वाले दिन
चंबल में बागी समर्पण, शांति वाले दिन
बिहार आंदोलन में शामिल होने वाले दिन
जेपी को पकड़कर जेल ले जाने वाले दिन
आपातकाल का विरोध करने वाले दिन
कांग्रेस के उत्तर में हार जाने वाले दिन
जनता पार्टी के सत्ता में आने वाले दिन
जल्दी से सरकार गिर जाने वाले दिन
राजनीति के घटिया हो जाने वाले दिन
मनी, मसल, लठ्ठ की राजनीति वाले दिन
एलपीजी को देश पर थोपने वाले दिन
मंदिर मस्जिद को लड़ाने वाले दिन
मर्यादा कम होते जाने वाले दिन
वेतन, भत्ते, सुविधा जुटाने वाले दिन
जल, जंगल, जमीन को लूटने वाले दिन
गरीब को और गरीब बनाने वाले दिन
लूट लूट कर देश को खा जाने वाले दिन
क्षेत्रीय दलों की बाढ़ लाने वाले दिन
झूठ के दम पर जीत जाने वाले दिन
मतदाता को मूर्ख बनाने वाले दिन
अच्छे दिन के सपने दिखाने वाले दिन
सौ दिन में चले ढाई कोस वाले दिन
लोगों को परस्पर लड़ाने वाले दिन
भय, भूख, हिंसा, नशा बढ़ाने वाले दिन
*लेखक प्रख्यात गाँधी साधक हैं।