नई दिल्ली: आंदोलनकारी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आज बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर प्रधान मंत्री और कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है, जिसमें केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक सम्मिलत होंगे ।
एसकेएम के अनुसार सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसान प्रतिनिधि में एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे तथा जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के केसों का सवाल है यू.पी. सरकार और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि आंदोलन वापिस खींचने के बाद तत्काल ही केस वापिस लिए जाएंगे। साथ ही किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और संघ प्रदेश क्षेत्र के आंदोलन के केस पर भी आंदोलन वापिस लेने के बाद केस वापिस लेने की सहमति बनी है । मुआवजे का जहां तक सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा और यू.पी. सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है । उपर्युक्त दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है ।
जहां तक बिजली बिल का सवाल है, सरकार के अनुसार संसद में पेश करने से पहले सभी स्टेकहोल्डर्स के अभिप्राय लिए जाएंगे और जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा 14 एवं 15 में क्रिमिलन लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दी है । सरकार के अनुसार इस तरह से पांचों मांगों का उचित समाधान हो चुका है। अब किसान आंदोलन को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं रहता है ।
यह सारी जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता धर्मेंद्र मलिक ने आज कहा कि सरकार की ओर से जो प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं उनमें कुछ असहमतियों से सरकार को अवगत करा दिया गया है। इनमें कमेटी, मुकदमे आदि की भाषा पर संयक्त किसान मोर्चा ने एतराज जताया है। कल नया प्रस्ताव मिलने पर 2 बजे संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर फैसला लिया जाएगा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो