– मनीष वर्मा
पौराणिक कथाओं के अनुसार बिहार के पाली स्थित काले पत्थरों से निर्मित सूर्य मंदिर है जो ऊलार्क के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण देश के अन्य बारह और सूर्य मंदिरों का निर्माण कृष्ण के वंशज राजा शाम्ब ने ऋषियों द्वारा दिए गए श्राप से मुक्ति के बाद बनवाया था।
हालांकि इतिहास इसकी पुष्टि नहीं करता है। मंदिर के साथ ही एक खुबसूरत सा तालाब भी है।
कालांतर में ऊलार्क जो स्थानीय भाषा के प्रभाव में अब ओलार हो गया है, यहां पर छठ पर्व के दौरान काफी भीड़ इकट्ठी होती है।लोग दूर दूर से यहां छठ पूजा करने आते हैं।
लोग बाग ऊलार्क आकर पूजा करते हैं और अपने अपने इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान से मन्नतें मांगते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद वो पुनः यहां आकर सूर्य भगवान की अराधना करते हैं। उन्हें दूध मिश्रित जल चढ़ाते हैं। रविवार के दिन यहां अधिक भीड़ होती है।
महिलाएं, खासकर जिन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी थी, मन्नत पुरी होने के पश्चात छठ पर्व के दौरान अपने आंचल पर नटुआ नाच ( एक प्रकार का क्षेत्रिय नाच) करवाती हैं।
ग्रामीण समाज में आज भी लोगों में पुत्र प्राप्ति की इच्छा काफी प्रबल है।
विकास की बाट जोहता एक ऐतिहासिक ,पौराणिक और धार्मिक धरोहर।