फोटो: आर्य शेखर
सप्ताहांत विशेष
अभी हाल में जब विश्व जल दिवस एवं विश्व जंगल दिवस मनाया गया तो देश के दूर दराज क्षेत्रों में आम लोगों द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के लिए किये जा रहे अच्छे कार्य सामने आये जो यह दर्शाता है कि पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता अब बढ़ रही है। कई स्थानों पर इन कार्यकर्ताओं को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित हुए ताकि इन्हें प्रोत्साहन मिले और ये उत्साहित हों और धरती के भविष्य को बचाने में अपनी अहम् भूमिका निभाते रहें और अन्य लोगों को भी इस काम के लिए प्रोत्साहित करते रहें।
ऐसे ही एक पर्यावरणविद हैं उन्नाव के संतोष कुमार वाजपेयी जो पिछले 30 से अधिक वर्षों से पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। 3 जून 1990 को बिरसिंहपुर, उन्नाव से संतोष की पर्यावरण संरक्षण के प्रयास का शुभारम्भ हुआ था और इस स्थान को आज पर्यावरण प्रेरणा स्थल के रूप में भी जाना जाता है, जहाँ नवग्रह वाटिका, पंचवटी, संस्कार स्मृति वाटिका और पर्यावरण के लिए उन्होंने प्रयास शुरू किये । आई टी आई मनकापुर से संतोष के वृक्ष लगाओ अभियान की शुरुआत हुई थी जो आज तक अनवरत जारी है। सन 2019 में भारत सरकार की जल शक्ति मंत्रालय ने उन्हें जल प्रहरी सम्मान से नवाज़ा था और इसके पहले भी उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जैसे कि भारत सरकार द्वारा इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्षमित्र पुरस्कार और यूपी सरकार द्वारा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार, मिले हैं।
संतोष जल, जमीन, जंगल , जलवायु और जनसंख्या के विषय में अपने काम द्वारा लोगों में जागरूकता ला रहे हैं और बच्चे और युवाओं को पर्यावरण की ओर आकर्षित करने में एक अहम् भूमिका निभा रहे हैं । वे पर्यावरण के महत्त्व के बारे में बताने के लिए स्कूलों में जाते हैं, और छोटी झीलों और कुओं की सुरक्षा पर भी काम करते हैं। साथ ही वे पर्यावरण के बारे में जागरूक करने के लिए विवाहित जोड़ों को परिणय पौध देते हैं जिसे उन्होंने अपनी शादी के दिन से 30 जून 2001 से शुरू किया गया था। उनका कहना है कि आज के जोड़ों को परिणय पौध में दिलचस्पी है जो एक बेहद उत्साहजनक बात है । “आकाशवाणी दूरदर्शन आदि के माध्यम से हम लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करते हैं। हमारा मिशन संस्कार स्मृति वाटिका को हर गाँव तक पहुंचाना है,” उन्होंने बताया।
दरअसल पर्यावरण बचाना आज की एक आवश्यकता ही नहीं पर एक मज़बूरी भी बन गयी है। यदि हमें इस पृथ्वी में जीवन को बचाना है तो हमें पर्यावरण को बचाना ही होगा। पिछले सौ सालों में मानव ने जिस प्रकार प्रकृति का दोहन किया है उसका नतीजा है कि आज सिर्फ हमारे जंगल और हमारी नदियाँ ही विनाश के कगार पर नहीं हैं बल्कि इस वजह से आज सारा वातावरण ही प्रदूषित हो चुका है। यदि यह इसी प्रकार जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जहरीली गैसों, पीने के जल की समस्या और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इस धरती में तबाही मच जाएगी।
यह एक अच्छी बात है कि छोटे तौर पर ही सही पर भारत के विभिन्न प्रांतो, शहरों, कस्बों और गावों में पर्यावरण के प्रति एक जागरूकता पैदा हो रही है – जंगलों को काटने के विरोध में , नदियों को प्रदूषण मुक्त करने और उनकी अविरलता के समर्थन में, छोटे बड़े जलाशयों पर से अतिक्रमण हटाने के लिए, आज जगह जगह लोग आगे आ रहे हैं।
विश्व जलदिवस के अवसर पर गोंछी तालाब सेक्टर 55 बल्लबगढ़, फरीदाबाद में भी तालाब के जीर्णोद्धार का काम डाक्टर जगदीश चौधरी की अध्यक्षता में ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वारा तीव्र गति से चालू किया गया। वहां जल दिवस के अवसर पर 100 से ज्यादा लोगों ने श्रमदान किया।
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ऐसी ही एक मुहीम गाजियाबाद में हिंडन नदी को बचाने की भी चल रही है। हाल ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ग़ज़िआबाद में जलाशयों को अतिक्रमण से मुक्त करने के आदेश दिए हैं। इससे अब हिंडन को भी प्रदूषण से मुक्त करने की आशा बानी है परन्तु यह आसान नहीं है।
हिंडन नदी पश्चिम उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण धरोहर है जो लाखों लोगों की जीविका एवं पानी का मुख्य स्रोत है। यह यमुना की सहायक नदी है और यमुना गंगा की मुख्य सहायक नदी है।हिंडन में सात जिलों का लगभग 750 एम. एल. डी. सीवेज एवं उद्योगों का अपशिष्ट रोजाना गिरता है जो यमुना के माध्यम से गंगा में पहुंचता है। 300 किमी लम्बी हिंडन नदी क्षेत्र में 350 प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां है तथा इसमें 31 नाले आकर मिलते हैं । अनेक अध्ययनों में पाया गया है कि नदी के पानी में जहरीले कण जैसे लैड, कैडमियम, जिंक, कोबाल्ट, क्रोमियम, आयरन, अल्युमिनियम आदि काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यह हमारे खाद्य पदार्थो में पहुंचकर कैंसर जैसी भयानक बीमारी को जन्म दे रहे हैं और हजारों लोग हर साल असमय मौत के मुंह में जाने को मजबूर हैं ।
अच्छी बात तो यह है कि बीते दिनों गाजियाबाद में तीन दिवसीय हिंडन महोत्सव पर विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित संस्था ‘एन्वाइरन्मेंट एंड सोशल डेवेलॉपमेंट एसोसिएशन’ द्वारा वर्षा जल संचय एवं हिंडन नदी के संरक्षण एवं उसकी निर्मल व अविरल धारा के विषय में हिंडन – मंथन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में शासन – प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इंडस्ट्रियल अ एसोसिएशन, आर. डब्ल्यू. ए., समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा शहर के सैकड़ों गणमान्य व्यक्तियों, पर्यावरणविदों, समाजसेवियों, छात्रों, नेहरू युवा केंद्र के वॉलंटियर्स आदि की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही एवं सभी ने प्रकृति के असली वातावरण में जल संरक्षण एवं नदी पुनर्जीवन के लिए आयोजित परिचर्चा में बढ़ चढ़ कर अपनी सहभागिता की । कार्यक्रम का शुभारंभ “हिंडन बचाएंगे हम “नाटक से हुआ जिसे सभी उपस्थित जन समूह ने सराहा। इसमे मरती हुई हिंडन नदी की पीडा़ को व्यक्त किया गया।
परन्तु जैसा कि कार्यक्रम संयोजक डॉ. जितेंद्र नागर ने बताया, जब गंगा आजतक लाख प्रयासों और हजारों करोड़ की राशि स्वाहा करने के बाद साफ नहीं हो सकी तो हिंडन जैसी नदियो के प्रदूषणमुक्त होने का सवाल ही कहां उठता है ? जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के प्रोफेसर सिराजुद्दीन अहमद ने बताया कि हिंडन में ट्रेस मैटल जो बहुत जहरीले होते है उनका स्तर काफी ऊंचा है जो हमारे भूजल को भी जहरीला बना रहा है जिससे अनेक बीमारियां फैल रही हैं। नदी में ऑक्सिजन का लेवेल जीरो के बराबर रह गया है जिससे इसमें जल जीव एक प्रकार से विलुप्त ही हो गए हैं ।
इस अवसर पर साहिबाबाद क्षेत्र के विधायक सुनील शर्मा ने कहा कि हमने हिंडन को मार दिया है और इसके लिए शहर में प्रदूषण एमर्जेन्सी लगनी चाहिये। उन्होंने लोगों से अपील की यदि शासन- प्रशासन के साथ जनता भी सहयोग करेगी तो हम हिंडन नदी को बचाने में अवश्य सफल होंगे ।
परन्तु क्या प्रशासन भी स्थिति की गंभीरता को समझता है ?
केंद्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड दिल्ली के एडिशनल डाइरेक्टर वी. पी. यादव ने उक्त अवसर पर बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हिंडन की अविरलता एवं निर्मलता के लिए हिंडन एक्शन प्लान तैयार किया है। प्रदूषण फैलाने वाली सभी इंडस्ट्रीज को चिन्हित किया गया है और सभी नालों की पहचान कर ली गयी है जिस पर सरकार जल्दी ही उचित कार्यवाही करेगी । कार्यक्रम की मुख्य अतिथि गाजियाबाद की महापौर श्रीमती आशा शर्मा ने कहा कि हम हिंडन नदी को साफ एवं स्वच्छ बनाने के लिए वचनबद्ध हैं और हम चाहते हैं कि गाजियाबाद देश का सबसे स्वच्छ शहर बने।
परन्तु जैसा कि प्रसिद्ध पर्यावरणविद एवं वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र रावत ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, अब हिंडन पुर्नजीवन के लिए एक जन आंदोलन की बेहद जरूरत है जिसमें जन भागीदारी की विशेष आवश्यकता है। “इसका अहम कारण अभी तक किये गये वह चाहे निगम द्वारा किये गये हों, शासन-प्रशासन द्वारा किये गये हों, वह सारे के सारे प्रयास नाकाम हुए हैं । नतीजतन हिंडन गंदे नाले से भी ज्यादा प्रदूषित है। ऐसा लगता है कि यह उसकी नियति बन चुकी है,” उन्होंने कहा।
संतोष वाजपेयी, ज्ञानेंद्र रावत एवं डॉ. जीतेन्द्र नागर, डॉ जगदीश चौधरी जैसे लोगों की आज देश के हर प्रांतो में ज़रुरत है। बुन्देलखंड में परमार्थ समाजसेवी संस्थान द्वारा संजय सिंह, महाराष्ट्र में अनिल पाटिल, नरेंद्र चुघ, डॉ रविंद्र वोरा, डॉ अरुण सावंत, तेलंगाना में वीरम्मला प्रकाश राव, आंध्रा प्रदेश में सत्य नारायण बोलिसेट्टी, तमिलनाडु के मदुरै में गुरुस्वामी, कर्नाटक के धारवाड़ में डॉ. राजेंद्र पोद्दार, मध्य प्रदेश के इंदौर में संजय गुप्ता, उत्तराखंड के ऋषिकेश में महेंद्र प्रताप सिंह, केदारनाथ में सुरेश भाई, सुशीला भंडारी, बिहार में पटना में पंकज मालवीय, कुमार जैनेन्द्र, उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद में प्रशांत सिन्हा, प्रयागराज में आर्य शेखर सरीखे अनेकों लोग हाल के वर्षों में आगे आये हैं और पर्यावरण बचाने की मुहीम में अपने सीमित साधनों से योगदान कर रहे हैं। यह प्रशंसनीय ही नहीं अपितु समय की मांग भी है। यदि पर्यावरण नहीं बचा तो हमारा भविष्य भी नहीं बचेगा। इस विषय में सरकार में लोगों का दखल कोई गतिरोध नहीं पर एक नयी सामाजिक चेतना के रूप में देखने की ज़रुरत है।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो
Global Bihari is contributing substantially in the diversified portfolio of public in particular n government sector in general…