छठी पुण्यतिथि पर विशेष
राबिन शॉ ‘पुष्प’ बिहार की एक धरोहर हैं ऐसा कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हिंदी साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले और बिहार का नाम रौशन करने वाले दिनकर, रेणु, शैलेन्द्र, शिवपूजन सहाय जैसे लेखकों के बीच ‘पुष्प’ ने भी अपना विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है। ‘पुष्प’ के हिंदी साहित्य में योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे आजीवन एक स्वतंत्र लेखक रहे । उनकी पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें अन्याय को क्षमा, दुल्हन बाज़ार जैसे उपन्यास, अग्निकुंड, घर कहां भाग गया कहानी संग्रह और फणीश्वर नाथ रेणु पर लिखी संस्मरण पुस्तक सोने की कलम वाला हिरामन उनकी चर्चित कृतियां हैं। उनकी कहानियां उर्दू, बांग्ला, पंजाबी, मलयालम, गुजराती, मराठी और मैथिली में भी अनुवादित हुई हैं। रेडियो पर प्रसारित उनका लिखा नाटक दर्द का सुख तो आज भी लोकप्रिय है।
30 अक्टूबर 2014 को ‘पुष्प’ के निधन के बाद 1 नवम्बर 2014 को आयोजित प्रार्थना सभा में श्रद्धांजलि स्वरुप उनके स्नेहिल संस्मरणों को उनके आत्मीय परिजन ने साझा किया था। श्रद्धांजलि के रूप में उसी का वीडियो पेश है। इस वीडियो को हमारे पाठकों से साझा करने के लिए ग्लोबलबिहारी.कॉम ‘पुष्प’ के धर्मपत्नी गीता पुष्प शॉ का आभारी है।
– ग्लोबलबिहारी ब्यूरो