हाम निन्ह , वियतनाम
संस्मरण
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
वियतनाम में जल का प्रदूषण दूसरे देशों की अपेक्षा कम है
अमेरिका को लम्बे युद्ध में हराने वाला वियतनाम आज दुनिया का ऐसा विकासशील देश है, जहाँ 95 प्रतिशत शिक्षित और 98 प्रतिशत रोजगार-सुधा लोग रहते है। यूँ तो यह आदिवासियों का देश है, जहाँ प्राकृतिक आस्था में अटूट विश्वास और गहरे काम की लगन है। मुझे बहुत अच्छे से याद है कि, अब से लगभग 50 साल पहले मैंने वियतनाम के बारे में सुना था कि वहाँ के सैनिकों को सबसे अधिक वेतन मिलता है। तब यहाँ की मुद्रा की कीमत बहुत कम है। फिर भी रूपयों में वहाँ के सेवकों का वेतन भारत से अधिक था।
जबकि वहाँ का भोजन, रहन-सहन आदि बहुत सस्ता है। यहाँ का परम्परागत खान-पान, रहन-सहन , बोलचाल बहुत ही सहमी है। ये अपने आजादी दिवस को नए साल के रूप में मना कर , एक सप्ताह बहुत शोर-शराबा करके उत्सव से मनाते है। इन्हें भगवान में अत्यंत विश्वास है। यह अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत लालची रहते है। साँप की शराब बनाकर पीना, छिपकली जैसी जहरीले जीव-जंतुओं को पकड़ना, कछुआ को घर में रखना, यह सब इनके स्वास्थ्य रहने के टोटके है।
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ये अपने परम्परागत रहन-सहन का बहुत सम्मान करते है, खासकर महिलाएं। यूँ तो इनका रहन-सहन भारतीय जैसा लगता है। लेकिन भारत में अभी भी शाकाहारी का सम्मान है। इनके यहाँ माँसाहारी का सम्मान है। कुल मिलाकर हम समझ सकते है कि इस देश में अभी एशिया के दूसरे देशों जैसा विस्थापन नहीं है। इन्होंने लम्बे युद्ध के बावजूद अपनी खेती किसानी को बचाकर रखा है। आज भी सबसे ज्यादा रोजगार इन्हें खेती में ही मिल रहा है।
यह देश लम्बे समय तक दूसरे देशों के आधीन रहा है परंतु लड़कर आजादी पायी है। यहाँ पर पर बाढ़-सुखाड़ जैसी विनाशक आपदाओं का असर भी बहुत भयानक नहीं होता है। क्योंकि इसने अपनी जल-जंगल-जमीन और हरियाली को संजोकर रखा है। निन्ह थुआन समाज को भारत की मदद से बढ़ावा मिला है। वियतनाम अपने राष्ट्रीय ध्वज में शांति के साथ श्रमनिष्ठ सिद्धांत को स्थान दिया है। इस देश के भारत के साथ महत्वपूर्ण कामों के समझौते हुए है। परमाणु से लेकर सौर ऊर्जा, खेती, उद्योग के क्षेत्रों में भी समझौते हुए, इन समझौते से लगता है कि, वियतनाम भारत के पड़ोसी देशों में बोध धर्म अनुयायी की संख्या साम्यवाद के साथ-साथ बढ़ रही है। इस देश के बारे में कहा जा सकता है कि यह बोध साम्यवादी देश है।
इस देश से आरंभ होने वाली ‘मेकांग नदी’ कई देशों में बहुत प्रसिद्ध है। यह यहाँ की राजधानी शहर से आरंभ होती है। इस देश ने युद्ध की मार के साथ चीन जैसा आहार-विहार और चीन की साम्यवादी विचारधारा को मानने वाला होने के बावजूद अपने आपको व प्रकृति के प्रति संवेदनशील है। इसलिए भारत के साथ सूर्य ऊर्जा में समझौता करके आगे बढ़ रहा है। दूसरी तरफ देखें तो भारत खुद अपनी कोल खदानों के कारण ऊर्जा के क्षेत्र में बदनाम देश है। वियतनाम अभी उतना बदनाम देश नहीं है। लेकिन बड़े उद्योगों में और उद्योगपतियों के चंगुल में भारत की तरह फँसा तो यहाँ भी भारत जैसा किसान आंदोलन भुगतना पड़ सकता है। यह देश अमेरिका से लड़कर जीतने वाला, पडोसियों से प्यार की सीख लेने वाला देश है। यहाँ दुनिया के पर्यटक बहुत आते है।
मैं जल नैतिकता-न्याय यात्रा के दौरान जब इस देश में गया तो यहाँ भी जल का प्रदूषण दूसरे देशों की अपेक्षा कम है। पानी के लूट की लड़ाई और पानी पर व्यापार करने वाली कम्पनियों का वर्चस्व अन्य गुलाम रहे देशों जैसा नहीं है। इसलिए यहाँ जलवायु परिवर्तन के विस्थापन से विनाश और विस्थापन से होने वाले तीसरे विश्व युद्ध में वियतनाम की भूमिका नजर नहीं आती।
वियतनाम आधिकारिक तौर पर समाजवादी गणराज्य है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के हिन्दचीन प्रायद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित एक देश है। इसके उत्तर में चीन, उत्तर पश्चिम में लाओस, दक्षिण पश्चिम में कंबोडिया और पूर्व में दक्षिण चीन सागर स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 331690 वर्ग किलो मीटर है। इसके इतिहास 2000 वर्षों का है। 938 ई. चीन के साथ बॉच डाँग नदी की लड़ाई में विजय हासिल करने के बाद वियतनाम के लोगों को चीन से अलग होकर स्वतंत्रता हासिल ली। यह 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बना।
वियतनाम का तीन चौथाई क्षेत्र पहाड़ों और पहाड़ियों से गिरा हुआ है। वियतनाम की लंबी सीमा के कारण यहाँ की जलवायु परिस्थितियाँ काफी विविध है। इस देश में बहुत छोटी-बड़ी नदियाँ है। यहाँ सबसे बड़ी और सबसे पूर्ण बहने पाली मेकांग और होंगा है। जो दक्षिण चीन सागर से बहती है। इस देश में तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले के भंडार के साथ, वियतनाम में विद्युत ऊर्जा के विकास की संभावनाएँ है और यहाँ कई पन-बिजली स्टेशन भी है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रकाशित लेख उनके निजी विचार हैं।