शुक्रवार विशेष
ये लम्हा गुज़र जायेगा
– आभा शर्मा
ये लम्हा गुज़र जायेगा
वक़्त कब रूका है
ये भी गुज़र जायेगा
बर्फ़ सा पिघल जायेगा
पानी सा बह जाएगा
धुंध के बादल हैं
पल दो पल में छट जाएंगे
बरसेगी रहमत
धूप खिल जाएगी
मिलेंगी नई राहें
नए दरवाज़े खुल जायेगे
इंतज़ार है उस पल का
जब ये वक़्त गुज़र जायेगा
आदमी जिन्दा रहेगा
– त्रिपुरारि सेवक अष्ठाना ‘ निर्द्वन्द्व ‘