वाराणसी: ज्ञान वापी में प्राप्त कथित ‘आदि विश्वेश्वर’ शिवलिंग की पूजा आराधना करने से रोके जाने के बाद अन्न जल त्याग तपस्या कर रहे स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करके जिला प्रशासन उन्हें लगातार गुमराह कर रहा है। “जिला प्रशासन जो भी कर रहा है वह सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। मैं बनारस के जिला अधिकारी को नोटिस भेज रहा हूँ जिसमें यह पूछा है कि किस अदालत के किस आदेश के आधार पर उन्होंने मुझे मेरे ही मठ में कैद कर रखा है,” उन्होंने आजकेदार घाट स्थित श्री विद्या मठ में एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा। ।
स्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के आरोप में वे जिलाधिकारी वाराणसी को नोटिस भेज रहे हैं । “मुझे उम्मीद है कि जिस प्रकार उन्होंने पूर्व में मेरे पत्रों के उत्तर त्वरित रूप से मिले हैं उसी प्रकार इस नोटिस का जवाब भी समय से मिल जाएगा ऐसी आशा है। यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर नोटिस का जवाब जिलाधिकारी ने नहीं दिया तो मैं अवमानना का केस दायर करूंगा।”
उल्लेखनीय है कि पिछले 4 जून से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अन्न जल त्याग तपस्या कर रहे हैं बीते पाच दिनों में उनका वजन 5 किलो से ज्यादा कम हो चुका है। यूरिन में कीटोन की मात्रा प्लस थ्री हो चुकी है। उनका स्वास्थ्य लगातार तेजी से गिर रहा है।
स्वामी ने बताया कि 16 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश वाराणसी के जिलाधिकारी को दिया है उसमें ड्यूली प्रोटेक्टेड और एप्रोप्रियेट अरेंजमेंट जैसे शब्दों का उल्लेख है। इसका अभिप्राय है कि जो शिवलिंग प्राप्त हुआ है उसकी विधिवत देखभाल और धार्मिक दृष्टिकोण से सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस प्रकरण में जितने भी पक्षकार हैं उनसे वार्ता करके जिलाधिकारी दोनों पक्षों के धार्मिक क्रियाकलापों को किया जाना सुनिश्चित करें।
“सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उलट जिलाधिकारी ने सभी पक्षकारों से बातचीत करने के बजाय सिर्फ मुस्लिम पक्षकारों से बातचीत की। वजूखाने और नमाज की व्यवस्था कर दी गई किंतु शिवलिंग की राग-भोग पूजा श्रृंगार के निमित्त कोई भी व्यवस्था नहीं की गई,” उन्होंने आरोप लगाया। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में स्वामी ने कहा कि काशी के महात्मा को पूजन करने से रोक दिया गया लेकिन उसी स्थान पर अयोध्या से आए संत द्वारा पूजा कराई गई, ऐसा जिला प्रशासन ने कहा।
“गत दिनों अयोध्या के वह महात्मा मुझसे मिलने आए थे। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई पूजन सामग्री से उन्होंने वहां पूजा कर दी है। मैं अपना अनशन तोड़ दूं।”
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जिला प्रशासन हिंदुओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है यदि सामान्य बातचीत से समस्या का समाधान निकलता नहीं दिखेगा तो विवश होकर “हमें परम धर्म सेना का आह्वान करना पड़ेगा इस आह्वान पर पूरे देश भर से 1100000 से अधिक लोग काशी में जुटेंगे”। उन्होंने कहा कि वजूखाने में मिली मछलियों को दाने की चिंता की गई लेकिन शिवलिंग के राग-भोग की चिंता क्यों नहीं की जा रही है। क्या शिवलिंग का महत्व मछलियों से कम है? यह सीधे सीधे शिवलिंग का अपमान है।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो