– रमेश चंद शर्मा* तिब्बत तिब्बत, जी हाँ तिब्बत मैं तिब्बत ही तो कह रहा हूँ बार...
कविता
– रमेश चंद शर्मा नदी तू बहती रहना तू धरती का गहना सीखा तूने कष्ट सहना अपना...
– रमेश चंद शर्मा गंगा कल, आज और कल पहले की सुन लो मेरी बात सभी चाहे...
– रमेश चंद शर्मा बापू तेरे काम पर चिपकाए अपने नाम बापू तेरे काम पर चिपकाए अपने...
– पारस प्रताप सिंह फूल की तरह जीना सीखें फूल बोलता है, भावना का अनुवाद कर देता...
– रमेश चंद शर्मा दयासागर, करुणामय राम एक राम दशरथ का बेटा एक राम धरती में लेटा...
कविता: मत लगाओ पहरे मेरी साॅंसों पर – मनीश वर्मा ‘मनु’ मत लगाओ पहरे मेरी साॅंसों पर...
– मनीश वर्मा ‘मनु’ मेरे शहर में शाम कहां होती है? मेरे शहर में शाम कहां होती...
कविता: मौन – रमेश चंद शर्मा मौन मौन कभी-कभी बहुत वाचाल होता है, मौन का भी अपना...
– रमेश चंद शर्मा कठिन है, असंभव नहीं हृदय प्यार से भरा हो स्वभाव एकदम खरा हो...
