रविवारीय: बड़ा ही अजीब अहसास है अवकाश प्राप्ति
– मनीश वर्मा ‘मनु’
बीते 31 दिसंबर को हमारे कुछ सहयोगी अवकाश प्राप्त कर गए। सभी लोगों ने अपने-अपने ढंग से, रिश्तों की गहराई एवं मर्यादा के अनुसार औपचारिकताएं निभाईं। उनके सुखी, समृद्ध एवं स्वस्थ जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं। हालांकि, कार्यालयों के औपचारिक वातावरण में अमूमन आपस में अनौपचारिक रिश्ते नहीं पनपते। सारे रिश्ते एक ही शब्द ‘कलीग’ यानि सहकर्मी में समाहित हो जाते हैं।
खैर! नौकरी की शुरुआत अगर आपने की है, तो यह दिन तो देखना ही पड़ेगा, कुछेक अपवादों को छोड़कर। यह एक ऐसा दिन है, जिसकी तिथि आपके नौकरी में आने के साथ ही मुकर्रर हो जाती है। अवकाश प्राप्ति किसी भी व्यक्ति के लिए एक बड़ा ही इमोशनल दिन होता है। आप समझ ही नहीं पाते हैं कि उसी कार्यालय में जहां आपने अपने जीवन का बहुमूल्य समय गुजारा है, शायद आज के बाद आप अवांछनीय हैं। कोई कितना भी कह ले, आप किसी भी पद पर क्यों ना हों, यह फ़र्क तो अवश्यंभावी है। भले ही कोई कुछ ना बोले पर, अनुभव करा जाता है। टीस बन कर रह जाती है। आखिरकार, क्या होता है अवकाश प्राप्ति के दिन!
अवकाश प्राप्ति के दिन आपके कार्यालय में एक छोटे से समारोह का आयोजन कर, आपको, आपके आने वाले समय के लिए शुभकामनाएं देते हुए प्रचलित परंपरा के अनुसार, एक दुशाला ओढ़ा कर, एक छोटे से ब्रीफकेस में गीता रख भले ही उसकी आपके जीवन में कभी प्रासंगिकता रही हो अथवा नहीं आपको औपचारिक तौर पर, दो चार रस्मी भाषणों के उपरान्त, विदाई दे दी जाती है। अब आप कैनवस से बाहर हो जाते हैं।
अब आप अपने जीवन की दूसरी पारी खेलने के लिए स्वतंत्र होते हैं। पर, यह तब होता है, जब आप ने पहली पारी में अच्छे रन बनाए हों। मतलब स्पष्ट है। अपनी जिम्मेदारी अच्छे तरीके से निभाई हो। बड़ा ही अजीब अहसास है अवकाश प्राप्ति। लोगों का परसेप्शन बदल जाता है आपके प्रति। आपका भी जीवन को लेकर नजरिया बदलते देर नहीं लगती है। अचानक से ऐसा लगता है मानो किसी ने ब्रेक लगा दिया है। आपको प्लानिंग करनी होती है। पर भाई इन सबसे परे है अवकाश प्राप्ति। आपने अपना सामाजिक दायरा कैसा बनाया है, किस तरह से अपने सामाजिक एवं पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन किया है, जीवन के प्रति क्या सोच रही है आपकी। बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करता है।
जीवन की दूसरी पारी में ऐश करते हैं और बड़े ही आनंद, सुख और आराम के साथ खेलते हैं वो लोग जिन्होंने अपने जीवन में नौकरी के साथ ही साथ अपना सामाजिक दायरा नौकरी से अलग बनाया है। सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन एक संतुलन के साथ किया।
दूसरी पारी वैसे लोगों के लिए बहुत ही कष्टप्रद है जिन्होंने घर परिवार समाज से अलग सिर्फ और सिर्फ ऑफिस को ही जिया है । ऑफिसियल प्रोटोकॉल के साथ ही अपना जीवन बिताया है। उसे ही अपनी ज़िन्दगी मान उसके अनुरूप ही व्यवहार किया है। कार्यालय और उसके माहौल को ही अपनी प्रेमिका, अपनी प्रेयसी समझने की भूल कर बैठे।
आप ऐसा कह सकते हैं कि इन लोगों ने अपने आप को कभी भी कार्यालय के औपचारिक माहौल से अलग देखा ही नहीं है। घर – परिवार – समाज तो क्या कभी अपने लिए भी ऑफिस से इतर जगह नहीं ढूंढा है। ऐसे व्यक्तियों के लिए अवकाश प्राप्ति के बाद जीवन की दूसरी पारी में सामंजस्य स्थापित करना एक बड़ा ही मुश्किल काम है। मेरे विचार से खुशनसीब है वो लोग जिन्हें ईश्वर ने दूसरी पारी के योग्य समझा है। ईश्वर अब आपसे आपका बेस्ट निकलवाना चाहता है। आपके पास अब बंदिशें नहीं हैं। आप अब तांगे में जुते हुए घोड़े नहीं हैं।
आपने कभी तांगा में जुते हुए घोड़ों को देखा है। जरा ध्यान से देखने की कोशिश करेंगे। उनके दोनों आंखों के बगल में एक पट्टी लगी रहती है। यह पट्टी उन्हें अगल-बगल देखने की कोशिश को रोककर रखती है। यही वह बंदिश है, जो आपके नौकरी में रहने पर आपके साथ लगी हुई होती है । थोड़ा इधर-उधर हुए नहीं कि कोचवान की चाबुक आपके ऊपर चली।
आप की दूसरी पारी आपकी इन बंदिशों को खत्म कर रही हैं। अब आप स्वतंत्र हैं, अपने आप को समय देने के लिए। अपने पेंशन के साथ जीने के लिए। भरपूर समय है आपके पास। अब आप तांगा में जुते हुए घोड़े नहीं हैं। अब आप रेसकोर्स के घोड़े हो गए। बोलियां लगाई जा रही हैं आपके ऊपर। जब तक सांस है इस स्वतंत्रता का आनन्द लें।
अब तक तो आप बहुत तरह की उलझनों के साथ, बेड़ियों में जी रहे थे। अब वो उलझनें खत्म हो चली हैं, वो बेड़ियां टूट चुकी हैं। बिंदास जीवन जीएं। हर पल को जिएं। हर पल का भरपूर आनंद उठाएं। गया हुआ पल वापस लौट कर नहीं आनेवाला।
अब आप देखें यह तो आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अवकाश प्राप्ति के बाद अपनी दूसरी पारी सुख आनंद एवं स्वस्थ शरीर के साथ जीना चाहते हैं या फिर…
बहुत ही सारगर्भित तरीक़े से अवकाशप्राप्ति की सच्चाइयों को लिपिबद्ध किया गया है और इसके लिये आपकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम ही होगी 😊👍
Qya badhiya tarike se retd life k bare m tumne chitran kiya hai main bhi abhi 2 month qabal retire hua hoon tumne ek rah dikhaee hai aage k liye Bilkul new inning ko jee bhar k jeena chahiye Bindass bina kisi tension k tabhi hm healthy &Khush rah sakte hain tumhare iss topic k liye subh kamna Hamesha ki tarah lajawab
बहुत सुंदर और प्रेरक भी