– डॉ राजेंद्र सिंह*
रांची: यहां जुमार नदी की यात्रा करके और इस नदी को देखकर यह अनुभूति हुई कि अभी इस पर बहुत अतिक्रमण, प्रदूषण और भूजल शोषण का तुरंत समाधान ढूंढना संभव है। यदि इसका समाधान जल्दी नहीं किया गया तो सरकार को भी इसको पुनर्जीवित करने में मुश्किलें होंगी।
अभी इस नदी में तीनों समस्याएं हैं – इस नदी के ब्लू जोन,ग्रीन जोन, रेड जोन में अतिक्रमण है और पुरानी माइनिंग के कारण जल शोधन की जो प्राचीन शक्ति थी, वह भी खत्म हो गई क्योंकि अब उसमे वह मिट्टी नहीं है।
अभी यह नदी बहुत ही बुरी हालत में है। इसको ठीक करने के लिए इसके केचमेंट में जो पुरानी जल संरचनाएं हैं, उनका सीमांकन, चिन्हीकरण करके, उनको ठीक से नक्शे में राजपत्रितकरण किया जाना चाहिए।
अभी इसको पुनर्जीवित करने की जरूरत है। इस नदी के कैचमेंट में भू जल भंडारण हो और जिससे इस नदी का प्रवाह बन सके। इसके ब्लू जोन और ग्रीन जोन में 7 तरह के पेड़ लगाए जा सकते हैं। पानी के साथ-साथ एक लाइन में अर्जुन के पेड़, दूसरी लाइन में बरगद,पीपल, गूलर, तीसरी लाइन में ऊपर की तरफ नीम के पेड़ भी लगाए जा सकते हैं। इस नदी में मिट्टी का कटाव को रोकने के लिए यहां पर चौड़ी पत्ती के पौधों का रोपण किया जा सकता है।इससे जल की अशुद्धियां भी खत्म हो जाएंगी। इसके किनारे बांस के पेड़ की भी एक लाइन लग सकती है। इसलिए प्राकृतिक तौर पर नदी का पुनर्जीवित की जा सकती है, जिससे नदी कभी नाला नही बनेगी। नदी, नदी की तौर पर दिखेगी। इसे बिना सीमेंट, कंक्रीट का उपयोग किए बिना इस नदी को नदी की तरह पुनर्जीवित करने के लिए पौधों का संरक्षण करना आवश्यक है। इस नदी को पेड़ों से भी पुनर्जीवित किया जा सकता है।
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यह काम नदी के दोनों तरफ के समुदायों और झारखंड सरकार के संबंधित विभागों को मिलकर करना चाहिए। इस नदी में कोई भी काम ठेकेदारों से ना कराया जाए। ठेकेदार मुक्त नदी पुनर्जीवन का यह प्रोजेक्ट होना चाहिए।
इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए लोगों की सामुदायिक तैयारी करके, लोगों को तैयार करना पड़ेगा। जिससे इस नदी के पुनर्जीवन के काम को जल्दी से जल्दी किया जा सकता है।
इस परियोजना में अधिक खर्च नही है, लेकिन नदी को पुनर्जीवित करने की नीति और उसके लिए एक्शन प्लान बनाने की जरूरत होगी। उस एक्शन प्लान को सरकार स्वीकृति दें और फिर सरकार उसको समुदाय के साथ इस कार्य को करेगी तो यह नदी आसानी से पुनर्जीवित हो सकती है।
इस नदी को पुनर्जीवित करने में यहां की मिट्टी इतनी खराब नहीं है। इसलिए इस मिट्टी में पेड़ों की जड़ें मजबूत होगी। इसमें अच्छे पेड़ पौधे लग सकेंगे।
जुमार नदी पुनर्जीवित करने के विषय में अप्रैल 19, 2022 को मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के साथ मेरी अशोक खुराना, सीपीडब्ल्यूडी के पूर्व डायरेक्टर जनरल, हिमालयन रिवर काउंसिल के अध्यक्ष इंदिरा खुराना जी और झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार मधुकर भाई की उपस्थिति में बातचीत हुई।
यदि पुनर्जीवित करने के लिए झारखंड सरकार और भारतीय हिमालयन रिवर काउंसिल, जल बिरादरी यहां के समुदायों को तैयार करके करवाएगी तो यह जो नदी पुनर्जीवन का प्रयोग दूसरों को भी सीख दे सकेगा।
जुमार नदी को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार और समाज के साझे प्रयासों की जरूरत है। यह साझे प्रयासों को सफल करने के लिए आज मुख्य सचिव के साथ बातचीत हुई थी, उससे लगता है कि, यह नदी को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार की रुचि है और सरकार यह काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।