मैं हूँ राम, मै ही रहीम मैं हूँ कृष्ण, मैं ही करीम मैं हूँ हिन्दू, मैं ही मुस्लिम मैं हूँ सिख, मैं ही ईसाई मैं हूँ जैन, मैं ही पारसी मैं हूँ बौद्ध, मैं ही बहाई मैं हूँ एक , मैं ही दहाई मैं हूँ सैकड़ा, मैं ही इकाई मैं हूँ सुख, मैं ही दुःख मैं हूँ खाना, मैं ही भूख मैं हूँ प्यासा, मैं ही पानी ऐसी अदभूत अपनी कहानी
मैंने मारा, मैं ही मरा मैं ही डूबा, मैं ही तरा मैं ही खरा, मैं ही खोटा मैं ही बड़ा, मैं ही छोटा मैं ही राजा, मैं ही रंक मैं ही दुर्जन, मैं ही संत मैं ही धरती, मैं ही आकाश मैं ही अँधेरा, मैं ही प्रकाश मैं ही पानी, मैं ही आग मैं ही मुहर्रम , मैं ही फाग मैं ही जीवन, मैं ही काल ऐसा अदभूत अपना कमाल
मैं ही नदी, मैं ही ताल मैं ही ठहरा, मैं ही चाल मैं ही मंजिल, मैं ही डगर मैं ही गाँव, मैं ही नगर मैं ही गागर, मैं ही सागर मैं ही मछली, मैं ही मगर मैं ही कर्ता, मैं ही कर्म मैं ही विश्वास, मैं ही भ्रम मैं ही कठोर, मैं ही नरम मैं ही पाप, मैं ही धर्म मैं ही व्यक्ति, मैं ही ब्रह्म मुझ में ही छुपा परमानंद