ध्वनि प्रदूषण
– चेतन उपाध्याय*
वाराणसी: ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था ‘सत्या फाउंडेशन’ के हेल्पलाइन नंबर हाल ही में रात्रि को 12:42 बजे यह शिकायत आई कि वाराणसी के सिगरा थाना अंतर्गत सिगरा-महमूरगंज मार्ग पर, बैंक कॉलोनी में, साधना जनरल स्टोर्स के पास, एक घर में धार्मिक कार्यक्रम में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके चलते आसपास के लोग सो नहीं पा रहे हैं। इस सूचना के बाद ‘सत्या फाउंडेशन’ ने शिकायतकर्ता से पूछा कि आपने रात 10 बजे ही स्विच आफ कराने के लिए पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की? इस पर शिकायतकर्ता ने बताया कि धार्मिक कार्यक्रम के आयोजक ने रात 10 बजे, लाउडस्पीकर के डेसीबल को कथित तौर पर कम कर लिया था और किसी प्रकार के विवाद से बचने के लिए हम लोग इस तथाकथित ‘धीमी’ आवाज को सहते रहे, मगर जैसे-जैसे रात बढ़ती गयी, ये आवाज दूर तक गूँजने लगी और मोहल्लेवासियों को इतनी परेशानी होने लगी कि वे लोग चैन से सो भी नहीं पा रहे थे। शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि मोहल्ले में सब लोग परेशान थे मगर नाम लीक हो जाने के डर से कोई पुलिस से शिकायत नहीं कर रहा थे।
ज्ञात हो कि रात 10 से सुबह 6 के बीच लाउडस्पीकर को पूरी तरह से, 100% स्विच आफ करने का नियम है और यदि इस नियम की कोई अवहेलना करता हैं तो उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में गुप्त शिकायत की व्यवस्था आ चुकी है|
अब यह प्रावधान है कि शिकायतकर्ता उत्तर प्रदेश पुलिस के डायल 112 के वाट्सअप नंबर 7570000100 पर केवल लिखित शिकायत भेज सकता है और अगर अपना नाम गुप्त रखना चाहे तो अंत में लिख दें कि “कृपया शिकायतकर्ता का नाम और नंबर गुप्त रखा जाए” तो वास्तव में आपकी पहचान गुप्त रखी जाती है और उसे कोई परेशान नहीं करेगा। उक्त नंबर पर शिकायत भेजने से दिन के दौरान भी कानफाडू आवाज को कम कराया जा सकता है और रात 10 से सुबह 6 के बीच आवाज को 100% स्विच आफ कराया जाता है|
शिकायतकर्ता के अनुरोध के बाद सत्य फाउंडेशन ने शिकायत दर्ज कराईऔर इसके19 मिनट के अंदर ही यानी रात 1:07 पर मौके पर पहुँची पुलिस ने लाउडस्पीकर को स्विच आफ करा दिया और फिर लोग चैन से सो सके|
लोगों को ज़रूरी है कि ध्वनि प्रदूषण के नियम को वे समझें। कुछ लोग भ्रम फैलाते हैं कि रात 10 बजे के बाद धीमी आवाज में लाउडस्पीकर बजाया जा सकता है जबकि यह सरासर झूठ है। शादी-विवाह हो या धार्मिक कार्यक्रम, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक पटाखा, डीजे, बैंड, मशीन, हार्न, लाउडस्पीकर आदि को पूरी तरह से,100% स्विच ऑफ करने का नियम है और दिन के दौरान आवाज को धीमा रखने का कानूनी प्रावधान है। दिन के दौरान, सीमित घंटे के लिए लाउडस्पीकर बजाने के लिए भी मजिस्ट्रेट और स्थानीय थाने से अग्रिम में लिखित अनुमति लेनी पड़ती है। बिना लिखित अनुमति के या फिर अनुमति के बाद भी डेसीबल सीमा या समय सीमा का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत मुकदमा किया जा सकता है। ध्वनि प्रदूषण (विनियमन व नियंत्रण) नियम- 2000 के अनुसार, शोर को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को असीमित शक्तियां दी गयी हैं। दिन हो या रात, स्कूल-अस्पताल-कचहरी-पूजा स्थलों या अन्य नोटिफाइड स्थलों के 100 मीटर के दायरे में कोई भी शोर, यहाँ तक कि स्कूटर/बाइक का हार्न बजाना भी जुर्म है। किसी भी शहर या गाँव में कोई ऐसा स्थान नहीं है जहाँ पर स्कूल-अस्पताल-कचहरी-पूजा स्थल आदि न हों, लिहाजा दिन हो या रात, सड़क पर बैंड-बाजा, पटाखा, डी|जे| या लाउडस्पीकर बजाना बिल्कुल गलत है। दोषियों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम -1986 के तहत मुकदमा होने पर 1 लाख रुपये तक जुर्माना या 5 वर्ष तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है।
*लेखक वाराणसी स्थित सत्या फाउण्डेशन के संस्थापक सचिव हैं।