कविता: मौन
मौन
मौन कभी-कभी बहुत वाचाल होता है,
मौन का भी अपना एक काल होता है।
मौन बहुत कुछ बोल जाता है,
छुपी हुई परतें खोल जाता है।
मौन की अपनी बात है,
मौन की अपनी जात है।
कभी-कभी मौन भाता है,
तब मौन बहुत सुहाता है।
मौन में है क्षमता अपार,
मौन से भी डरती है हार।
मौन मौन मौन मौन मौन,
साधना का रखवाला कौन।
मौन अद्वितीय शक्ति,
मौन होती है भक्ति।
मौन को जो भी साधे,
रहता है हर दम आगे।
मौन भी मचाता धमाल,
मौन का ये कैसा कमाल।
मौन को जो भी माने,
सुनने पड़ते खूब ताने।
मौन जिस को लगता प्यारा,
उसका जीवन सबसे न्यारा।