आजकल तनाव हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। हर दूसरा व्यक्ति इस दौर से गुजर रहा है। बहुतों को तो मालूम भी नहीं चलता है कि वो तनाव से ग्रस्त हैं। उन्हें लगता है कि वो बीमार हो गए हैं। तनाव है ही ऐसी चीज। हम इसे अपने जीवन से दूर नहीं कर सकते हैं, लेकिन हमें अपने जीवन को सुखमय और आनंदित बनाने के लिए इसे प्रबंधित करने की आवश्यकता है।
तनाव के बारे में हम इतनी सारी बातें कर रहे हैं, आखिर तनाव है क्या? क्यों इतना परेशान हो रहे हैं हम? क्या बला है यह? वाकई यह कोई रोग है या कुछ और?
तनाव हमारे जीवन में हमारे सामने आने वाली असामान्य स्थिति के प्रति शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया है। वास्तव में यह एक सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया है जो लगभग हर किसी के साथ होती है। कोई भी इंसान इससे अछूता नहीं है।
इसी प्रकार तनाव प्रबंधन सफल जीवन जीने के लिए, उसे सुखमय और आनंदमय बनाने के प्रयास का सबसे अहम हिस्सा है। तनाव के साथ जीना और उसे सही तरीके से प्रबंधित करना एक कला है। आप और हम अपने आप को इससे बचा नहीं सकते हैं। यह अब हम पर निर्भर करता है कि हम अपने आपको कैसे तनाव तनाव मुक्त रख सकते।
आप मान कर चलें कि तनाव आपके जीवन का अभिन्न अंग है। कोई नहीं कह सकता, हम तनाव मुक्त हैं। यह कुछ ऐसा ही है, जैसे आप सांसें ले रहें हों। आप साँसें लेना बंद नहीं कर सकते हैं। तनाव इंसान से कुछ वैसे ही जुड़ा है जैसे गर्भ, रज्जू नाल से जुड़ा होता है।
हमारा शरीर दो तरह के हार्मोन का उत्पादन करता है – एक खराब हार्मोन और दूसरा अच्छा हार्मोन। यदि आप सकारात्मक ढंग से सोचते हैं तो आपका शरीर अच्छे हार्मोन उत्पन्न करता है, यदि आप नकारात्मक ढंग से सोचते हैं तो आपका शरीर खराब हार्मोन उत्पन्न करता है। दोनों हमारे भीतर हैं. यह पूरी तरह हम पर निर्भर है कि खराब हार्मोन का स्त्राव को हम कैसे रोकें।
सकारात्मक सोच के साथ स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। बिंदास, तनाव मुक्त और उन्मुक्त जीवन जीने का प्रयास करें ताकि अच्छे हार्मोन का स्त्राव हो सके। व्यायाम, योग, ध्यान, स्वस्थ भोजन, और संगीत कुछ ऐसे तत्व हैं जो आपको तनाव मुक्त रखने में मदद करते हैं। वैसे, जीवन को हम कैसे देखते हैं ? जीवन के बारे में हमारी सोच क्या है? बहुत कुछ इसपर भी निर्भर करता है।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। आपकी सोच वस्तुनिष्ठ नहीं व्यक्तिपरक होनी चाहिए। या तो आप गिलास में आधा भरा हुआ पानी देखते हैं या आधा गिलास खाली देखते हैं। यह तो किसी चीज को देखने की आपकी धारणा है। आपका नजरिया है।
कल्पना करें कि आपका जीवनसाथी एक झगड़ालू जीवनसाथी है तो आपके पास क्या विकल्प हैं? या तो आप उससे दूर जाने की कोशिश करेंगे या परिस्थितियों के अनुकूल ढलने की कोशिश करेंगे या स्थिति को वैसे ही स्वीकार करेंगे जैसा वह है। मेरे कहने का मतलब आप येन केन प्रकारेण चीजों को अपने मुताबिक ढालने की कोशिश करेंगे। बस यही तो तनाव प्रबंधन है।
चलिए एक और उदाहरण लेते हैं। यदि आप अपने बॉस की वजह से तनावग्रस्त है तो आप क्या करेंगे? आप तनाव से कैसे उबरेंगे? वजह जब मालूम हो तो इलाज आसान हो जाता है। वैसे ‘योर बॉस इस ऑलवेज राइट’ स्वीकार कर लें। इसे मान लेने में कहां आपकी प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है? बहरहाल आपको वही रणनीति अपनानी होगी जो आपने पहले अपनाया था। तनाव के साथ, या तो आप स्थिति को बदलते हैं या उसके अनुकूल ढलते हैं या उसे स्वीकार करते हैं, यह पूरी तरह आप पर निर्भर है।
भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- भविष्य में क्या होगा, इसकी चिंता किए बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए और वर्तमान में जीना चाहिए, तभी हम तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं।
एक दूसरे से विवाद से बचें। विवाद की जगह संवाद को अपनी ताकत बनाएं। दो लोगों के बीच होने वाला हर झगड़ा तनाव उत्पन्न करता है और आपको इनसे बचने की कोशिश करनी चाहिए। तनाव आंतरिक स्थिति को प्रबंधित करने में असमर्थता है न कि बाहरी स्थिति को। हम कछुए की तरह काम करके तनाव से बच सकते हैं जो किसी भी बाहरी हमले/ खतरे से बचने के लिए अपने ही खोल/ कोकून के अंदर घुस जाता है। आप लाख कोशिश कर लें, वो बाहर नहीं आएगा, जब तक कि उसे ख़तरे के टल जाने का यकीन ना हो जाए। इसी तरह हम तनावपूर्ण स्थिति से बचने के लिए कुछ समय के लिए कोकून के अंदर घुस सकते हैं। यह कोकून हमें अपने लिए खुद तैयार करना है।हम सभी ने देखा है कि दरियाई घोड़ा जब पानी में घुसता है, तो पानी उसके कानों में ना जाए इसलिए वो अपने कान नीचे कर लेता है। इसी प्रकार हम तनावपूर्ण स्थिति से भी बच सकते हैं, उन स्थितियों से बचकर, या फिर कई बार हम स्थिति को बदलने या स्थिति के अनुकूल ढलने का प्रयास भी कर सकते हैं।
कभी-कभी हमें तनावपूर्ण स्थिति का डटकर सामना भी करना चाहिए और उसका माकूल जवाब देना चाहिए। यह भी तनाव से बचने का एक माकूल उपाय है।
अंत में महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यक्ति में चुनौतियों/ तनावों को संभालने का आत्मविश्वास होना चाहिए। थोड़ा बहुत तनाव तो जीवन में होना ही चाहिए। यह आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अपने और अपने परिवार की खुशियों की कीमत पर कुछ भी मत करें। हमें अपने परिवार और जीवन को अधिक महत्व देना चाहिए।
तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए ये कुछ मूल मंत्र हैं।
मन तनाव रहित हो गया, आपकी बातों से
धन्यवाद