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नाग पंचमी पर विशेष
– लता
भारतवर्ष में शनिवार यानी 25 जुलाई को मनाया जा रहा है नाग पंचमी। नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा की जाती है। यह त्यौहार हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह शिव की उपासना के लिए सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। पूर्वजों द्वारा ऐसा कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का विधान है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। शिव की उपासना करके नाग पंचमी को भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस साल ज्यादातर यह त्योहार अपने घर पर ही मना रहे हैं और महामारी की परिस्थिति को देखते हुए यह उचित भी है ।
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हिन्दू धर्म में अनुसार नाग देवता को भगवान शिव के गले का हार और सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की शैय्या माना जाता है। इसके अलावा नाग और सर्प का हमारे जीवन से भी अद्भुत नाता है । ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में बारिश के कारण नाग जमीन से निकल बाहर आ जाते है और उन्हें दूध पिलाने से सर्प दोष का निवारण होता है। सांप हमारे खेतो का रक्षण करता है इसलिए उसे क्षेत्रपाल कहा है, कीड़े मकोड़े और चूहे जो हमारी फसलों को नुकसान पहुंचाते है सांप उनसे हमारी खेती को बचाकर हराभरा रखता है। सांप कई बार हमे मूक संदेश भी देते है। ऐसे में नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाए और उन्हें दूध पिलाया जाए तो किंवदति है वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।
पुराणों के अनुसार नाग पंचमी के दिन नौ नागों की पूजा की जाती है : अनन्त, वासुकी, शेषनाग, पद्दनाभ, कंबल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, कालिया और तक्षक जैसे नागों की विधि अनुसार पूजा होती है। नागदेवता कि पूजा करने की लिए उनकी फोटो को लकड़ी की चौकी पर रखकर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाए। कच्चे दूध से नाग देवता का अभिषेक करा जाना चाहिए उसके बाद नैवेद्य अर्पित करे और आरती करके पूजा संपन्न करें।
भारत में हर जगह नाग पंचमी का त्योहार अलग तरह से मनाया जाता है । वाराणसी में हर साल नाग पंचमी के दिन नाग कुआं नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता था।कहा जाता है कि इस स्थान पर तक्षक गरुड़ जी के भय से बालक रूप में काशी संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आए परंतु गरुड़ जी को इसकी जानकारी हो गई और उन्होंने अचानक तक्षक पर हमला कर दिया । परंतु अपने गुरु जी के प्रभाव से गरुड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान कर दिया उसी दिन से यहां नाग पंचमी के त्योहार पर नाग पंचमी की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी के दिन अनेकों गांव और कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के सभी पहलवान भाग लेते हैं , और अखाड़े में कुश्ती करते हैं । इस दिन सभी गांव के लोग गाय, बैल और आदि पशुओं को पास के तालाब में ले जाकर नहलाते हैं । नाग पंचमी त्यौहार को लेकर कुरुक्षेत्र के पिगोंवा गांव के अरूनाय नामक जगह पर ऐसी धारणा है कि शिव जी के संगमिश्वर महादेव मंदिर में आज के दिन स्वयंभू शिवलिंग, जो ऋषिमुनियो कि कठोर तपस्या से अवतरित हुए हैं, उसकी पूजा उपासना करने हेतु साल में एक बार नाग नागिन का जोड़ा नजर आता है। पूजा ख़तम होने के बाद ये नाग नागिन का जोड़ा कहाँ जाता है ये अपने आप में एक रहस्य है।
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