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राज्यों से: उत्तर प्रदेश
– खुशबू
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में कोरोना महामारी की इस जंग में एक्टिव भागीदारी निभाते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित ऑटोमेटिक कोविड-19 डायग्नोस्टिक टूल लॉन्च किया है। इसके तहत एक्स -रे -चेस्ट इमेजेज की प्री- स्क्रीनिंग की जाती है, जिससे मरीज में इस संक्रमण का पता लगाया जा सकता है ।
यह सॉफ्टवेयर आधारित टूल है। इसे एक्स -रे – मशीन की सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाएगा. इस टूल के डाटा सेट में कोविड-19 , निमोनिया, फ्लू और सामान्य लोगों के चेस्ट इमेज का डाटा अपलोड किया गया है। जैसे ही व्यक्ति मशीन से गुजरेगा यह टूल अपने डाटा मे पहले से मौजूद डाटा से उसकी इमेज मैच करवाएगा और संदिग्ध की पहचान महज 1 सेकेंड में हो जाएगी। हालांकि इसके बाद सही जांच के बाद ही पुष्टि होगी यह मशीन सिर्फ संदिग्ध की पहचान करेगी।इस मशीन के विश्लेषण में अभी तक 99. 98% सही परिणाम मिले हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित यह टूल डॉ ० ए ०पी ०जे० अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोटा राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस, सैफई, इटावा जैसे चिकित्सा संस्थानों के साथ मिलकर विकसित किया गया है।
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लांच के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ट ऑटोमेटिक कोविड-19 डायग्नोस्टिक के संबंध में कहा कि यह डिवाइस कोरोना से लड़ने में सहायक साबित हो सकती है। यह एक अच्छा प्रयास है । इस डिवाइस में लोगों को अलर्ट देने की भी व्यवस्था की जाएगी। जिससे यह डिवाइस बीमारियों का पता लगा सके। उन्होंने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को विभिन्न अस्पतालों में मरीजों के चेस्ट के डिजिटल एक्स-रे टूल में उपयोग हेतु शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
इससे अलावा , मुख्यमंत्री ने इस टूल के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण देखा । प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री को इस टूल की मेथोडोलॉजी के विषय में विस्तार से अवगत कराया गया, जिसमें कलेक्शन ऑफ इमेजेज़ , सेग्रीगेशन ऑफ अनवांटेड इमेजेज़ , इमेज ऑग्मेंटेशन, इमेज एनोटेशन, इन ट्रेनिंग एंड वैलिडेशन सेट, ट्रेनिंग तथा ट्रेंड मशीन लर्निंग मॉडल शामिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतियों से निपटने के लिए नए शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण संपूर्ण विश्व के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों के दृष्टिगत तकनीकी और मेडिकल संस्थानों के लिए यह अवसर है कि वे ऐसी डिवाइस विकसित करें , जो रोग की और उपचार की पहचान में मददगार साबित हो । मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में कोरोना , ए०ई० , डेंगू , स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों के वैक्सीन विकसित करने के लिए गहन शोध की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज की बिना संपर्क के जांच करने से संबंधित मल्टिपल डिवाइस विकसित करना आज की जरूरत है । ऑक्सीमीटर , थर्मामीटर जैसे विभिन्न उपकरणों को शामिल करते हुए एक मल्टीमॉडल डिवाइस की आवश्यकता भविष्य में महसूस की जाएगी । चिकित्सा क्षेत्र के शोधकर्ताओं को विभिन्न डिवाइसेंज को जोड़कर एक संयुक्त डिवाइस विकसित करने पर कार्य करना चाहिए ।
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Nice story