–जलपुरुष डॉ.राजेंन्द्र सिंह*
हमारी युवा बहिन पद्मावती के आमरण अनशन का आज दिनांक 06.01.2020 को 23 वां दिन पूरा हो गया। ये 23 वर्षिय युवा बहिन नालन्दा (बिहार) में जन्मी, मातृ सदन हरिद्वार में गंगा तपस्या कर रही है। स्वामी सानंद( प्रो. जी.डी. अग्रवाल) के आमरण अनशन और बलिदान से प्रेरित होकर इसने मां गंगा की सेहत ठीक रखने का संकल्प लिया है जिसमे शामिल है पर्यावरणीय प्रवाह दिलाना, गंगा पर खनन और बांधों के निर्माण को रुकवाना, गंगा सदैव अपने सनातन रुप में बनी रहे, इसकी सेहत को खराब करने वाला कोई काम नही होवे, मां गंगा शुद्घ सदानीरा वहती रहे, मां गंगा को गंगत्व वापस मिले।
मातृ सदन में एक कोलाज
मां गंगा के लिए इस बेटी का बहुत बडा त्याग है। दुनिया में इस उम्र के लोग इतना बडा अहिंसक त्याग करते नही है। यूरोप स्वीडन-स्टोक की किषोरी ग्रेटा ने केवल जलवायु परिवर्तन के संकट पर बोलना षुरु किया है। उसे पूरी दुनिया में प्रसिद्धि दे दी गई। हमारी युवा बहिन की बात उत्तराखंड राज्य, भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र की सरकार संवेदनहीन बन कर अनसुनी कर रही है।
हमारा और हमारे देश के समाज-सरकार का दायित्व बनता है कि हम युवाओं की साधना सिद्धि में मदद करें, उनकी त्याग, तपस्या को सिद्धि दें। इनकी साधना और त्याग, तपस्या की सिद्धि ही भारत को दुनिया का गुरु बनाने का रास्ता है। हम ही अपने भगवान को समझकर नीर-नारी और नदी का सम्मान करके दुनिया के नारायण बने थे और आज भी बन सकते है। बस पंचभूतों (प्रकृति) का सम्मान शुरू करें, इनके बचाने वालों को भी बचायें।
पद्मावती गंगा जल की विशिष्टता को बचानें वाली अविरलता की मांग कर रही है। अविरलता के बिना गंगा की निर्मलता सम्भव नही है। इसलिए निर्मलता के नाम पर बन्दर बांट करना उचित नही है। गंगा की अविरलता प्रदान करने हेतु बांध निर्माण और खनन बंद करे। पद्मावती के समर्थन में देश भर के 17 राज्यों के 150 लोगों ने आज 6 जनवरी को हरिद्वार में आज घोषणा की है! गंगा पर्यावरण सम्मेलन हरिद्वार में सम्पूर्ण गंगा बेसिन के 11 राज्यों के प्रतिनिधिओं ने साध्वी पद्मावती के गंगा सत्याग्रह को सर्वसम्मति से समर्थन दिया।
सम्मेलन में सर्वसम्मति से पारित हुआ कि हम अपने राज्य की नदियों के किनारे बैठ कर, गंगा सत्याग्रह के समर्थन में अपने-अपने इलाके में गंगा सत्याग्रह हेतु जन समर्थन जुटाऐगें।
इस पवित्र नदी की सफाई में सरकार की ढिलाई व निष्क्रियता के मद्देनजर स्वामी सानंद के 111 दिन अनशन उपरान्त देह त्याग का संज्ञान लेते हुए इस सम्मेलन ने मोदी सरकार को गंगा नदी सफाई हेतु प्रभावी कदम उठाने को निर्देषित किया है।
यू.एन. पर्यावरण ने नेपाल, भारत व बांगलादेष में बहने वाली व हिन्दुओं द्वारा देवी स्वरुप पूजी जाने वाली गंगा नदी को अति पवित्र व अत्याधिक प्रदूषित माना है। यू. एन. पर्यावरण का मानना है कि स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद जी ने अवैध खनन व घातक बांधों से पर्यावरण दृष्टि से 1600 किलो मीटर में मृतप्राय हो रही गंगा नदी के रक्षार्थ अपना जीवन समर्पित कर दिया। हालाकि सरकार ने नमामि गंगे में बजट आंवटित किया लेकिन गंगा सफाई के प्रयास संतोषजनक नही है। यू. एन. गंगा नदी के प्रदूषण के संदर्भ में स्वामी निगमानन्द जी और स्वामी सानंद जी के बाद किसी अन्य पर्यावरण रक्षक को जान गवाते हुए नही देखना चाहता है। यह मंतत्व स्वंय प्रधानमंत्री जी को सूचित हुआ है।
अमेरिका की कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी बर्कले, जहां से स्वामी ज्ञान स्वरुप सांनद जी ने पी,एच.डी. की शिक्षा प्राप्त की थी, प्रो. जी. डी. अग्रवाल जी के देह अवसान पर शोक व्यक्त करते हुए, उनके त्याग को प्रेरणादायी माना तथा पर्यावरणीय मुद्दे विषेष तौर पर जीवन पर्यन्त पवित्र गंगा नदी को पुनर्जीवन हेतु उनके प्रयासों और त्याग से भारत वर्ष में प्रदूषण के विरुद्ध जंग में उनके प्रभावषाली हस्तक्षेप पर उनके शैक्षिक साथियों व परिवार को गर्व की अनुभूति है।
गंगा के विषिष्ट गुणो के ज्ञान केा पूरी दुनिया को बताने हेतु, गंगा जल का न्याय, नैतिकता और षांति हेतु अविरल गंगा जल यात्रा आज से ही पूरी दुनिया में चलाई जाएगी।
गंगा सम्मेलन में आज उपस्थित गंगा सेवक यहां से इस संकल्प के साथ जा रहे है कि साध्वी पद्मावती का गंगा सत्याग्रह सिद्धी प्राप्त करें और पद्मावती सतायु हों। हम सब की शक्ति गंगा सत्याग्रह में पद्मावती की आत्मशक्ति के साथ जुडे है और मांग करते है, भारत सरकार, भारत की न्यायपालिका और राजनैतिक दल इस कार्य को जल्दी से जल्दी पूरा करें।
भारत सरकार स्वंय के द्वारा लिखित में दिये हुए कामों को जल्दी क्रियान्वित करें सरकार।
यदि अपना काम मानकर इसे जल्दी सम्पादित करेगी तो पद्मावती को अपने प्राणों का बलिदान नही करना पडेगा। गंगा जी भी बांध निर्माण और खनन रुकने से स्वस्थ होगी। इसे सदैव स्वस्थ रखने हेतु गंगा संरक्षण कानून बने। इसकी प्रगति देखने हेतु गंगा भक्त परिषद बने; बस यही भारत सरकार करे तो दुनिया में सम्पूर्ण सम्मान मिलेगा।
*लेखक स्टॉकहोल्म वाटर प्राइज से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद हैं। यहां प्रकाशित आलेख उनके निजी विचार हैं।